Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
रतलाम20 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
टाटा मेमोरियल अस्पताल में पहली बार प्लाज्मा डोनेट करते वीरेंद्र चौहान।
- रतलाम से दो साल पहले छीन चुकी है ब्लड एफेरेसिस मशीन, कंपोनेंट यूनिट है… लेकिन शुरू नहीं इसलिए दाता बाहर जा रहे
बन सहारा बे-सहारों के लिए, बन किनारा बे-किनारों के लिए, जो जिये अपने लिए तो क्या जीये, जी सके तो जी हजारों के लिए कुछ ऐसे ही हैं रतलाम के रक्तदाता। सेवा का जज्बा ऐसा कि 8 युवा प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रतलाम से मुंबई पहुंच गए। 658 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद मेडिकल कंडीशन के कारण 4 लोग ही डोनेट कर सके लेकिन इस बात का किसी को दु:ख नहीं है, दु:ख है तो इस बात का कि रतलाम में ब्लड एफेरेसिस मशीन की सुविधा ही नहीं हो पा रही है।
युवाओं ने मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में सर्वोदय सेवा संस्था के माध्यम से प्लाज्मा डोनेट किया। युवाओं में बादल वर्मा ने चौथी बार, दीपक पांचाल ने पहली बार, जुगल पंड्या ने पहली बार, वीरेंद्र चौहान ने पहली बार डोनेट किया। हालांकि, डोनेट करने मो. शोएब शेख, अंकित पाटीदार, धर्मराज पाटीदार (दंतोड़ा) व नीलेश जोशी (नामली) भी गए थे, लेकिन मेडिकल कंडीशन के कारण वे डोनेट नहीं कर सके।
युवा ट्रेन से मुंबई गए। वहां पहुंचने के बाद एक युवा को 1 से 1.30 घंटे का समय डोनेशन में लगा। युवाओं का कहना है कि रतलाम में ब्लड एफेरेसिस मशीन की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें मुंबई जाकर प्लाज्मा डोनेट करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने संस्था के माध्यम से फार्म सबमिट किया था।
तीन महीने पहले भी गए थे तीन युवा : जिले में तीन महीने पहले भी तीन युवाओं ने प्लाज्मा डोनेट किया था। हालांकि, 29 साल के सुनील गोयल व 36 साल के बादल वर्मा ही प्लाज्मा डोनेट कर सके थे। 27 साल के मो. शोएब शेख मेडिकल कंडीशन के कारण प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सके थे।
2014 से थी जिले में यह सुविधा, प्रबंधन शुरू ही नहीं कर सका एफेरेसिस मशीन, लाइसेंस प्रक्रिया चल रही जिले में दो साल पहले ब्लड सेपरेशन मशीन (एफेरेसिस) की सुविधा सरकार ने छीन ली थी। इस मशीन को इंदौर के मेडिकल कॉलेज में भेज दिया था।
इस मशीन को 2014 से अस्पताल प्रबंधन नहीं कर सका था। इसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। इधर, अभी ब्लड कंपोनेंट यूनिट 2014 से अस्पताल में रखी है लेकिन बंद है। अभी तक इसकी लाइसेंस की प्रक्रिया ही हो रही है।
कोरोना मरीजों के लिए डोनर को इंदौर भेजना होता इसलिए प्लाज्मा थैरेपी का काम भी सुस्त
तत्कालीन कलेक्टर रुचिका चौहान के कार्यकाल में कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी देने के लिए तैयारी की गई थी। लेकिन, यह काम अब बंद हो गया है। इसमें भी बड़ी चुनौती डोनर को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए इंदौर भेजना था। हालांकि, इसके लिए गाड़ी की व्यवस्था की थी, लेकिन आईसीएमआर ने प्लाज्मा थैरेपी को कारगर नहीं बताया, ऐसे में यह काम पूरी तरह ही बंद हो गया।