MP के पैडमैन ब्रदर्स ने 5 हजार से शुरू किया कारोबार, अब टर्नओवर 1 करोड़ रुपयों से ज्यादा

MP के पैडमैन ब्रदर्स ने 5 हजार से शुरू किया कारोबार, अब टर्नओवर 1 करोड़ रुपयों से ज्यादा


सांकेतिक फोटो.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चंबल घाटी में बसे मनेपुरा (Manepura) गांव में जहां महिलाएं सैनिटरी पैड (Sanitary pads) का उपयोग करना तो दूर बात करना भी पसंद नहीं करती थी.

भींड. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चंबल घाटी में बसे मनेपुरा (Manepura) गांव में जहां महिलाएं सैनिटरी पैड (Sanitary pads) का उपयोग करना तो दूर बात करना भी पसंद नहीं करती थी. अब इस गांव की महिलाएं खुद पैड बनाकर स्वावलंबी बन रही हैं. यह बदलाव गांव के दो युवा भाइयों की वजह से हुआ है, जिन्होंने पैडमेन मुरूगनाथम की जीवनी प्रेरणा लेकर न सिर्फ छोटे से गांव में सैनिटरी पैड की इंडस्ट्री खड़ी कर दी, बल्कि जिले और देशभर की महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने का काम कर रहे हैं.

हम बात कर रहे हैं मनेपुरा गांव में पले बढे दो युवा भाई विराग और अनुराग बौहरे की, जिन्होंने बीहड़ी क्षेत्र में बसे इस गांव में सैनिटरी पैड बनाने का काम महज पांच हजार रुपए से शुरू किया था. अब उनका कारोबार एक करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है. अब दोनों भाई सेनेट्री पैड बनाने के साथ साथ पैड बनाने की मशीन बनाने की इंडस्ट्री खड़ी की है. यह दोनों युवा भाई ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को संक्रमण से बचाने के लिए मुफ्त में सेनेटरी पैड भी देते हैं, जिस वजह से वे अपने इलाके में पैडमेन के नाम से विख्यात हो चुके हैं. यह कार्य वे सर्वोदय संत लल्लू दद्दा समिति के माध्यम से कर रहे हैं.

बचपन से परेशानियों से थे रूबरू
विराग और अनुराग बौहरे ने बताया कि महिलाओं को पीरियड्स(मासिक धर्म) के दौरान होने वाली परेशानियों को हम लोग बचपन से सुनते आ रहे थे. वर्ष 2008 में राजस्थान के जयपुर शहर में एक समाजसेवी संस्था द्वारा महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म और सेनेटरी पैड के विषय को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें हम दोनों भाई भी शामिल हुए थे. उस कार्यशाला में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाले विशेषतौर पर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की परेशानियों को बारीकी से जाना. उस वक्त हमारे मन में सेनेटरी पैड बनाने का विचार आया, लेकिन इस काम के लिए मुख्य प्रेरणा हम लोगों को पैडमेन मुरूगनाथम की जीवनी और उसके द्वारा लिखी गई किताबें पढ़ने से मिली. जिसके बाद हम दोनों भाइयों ने खुद की सेनेटरी पैड मशीन का निर्माण करते हुए गांव में हाइजीन सैनिटरी पैड बनाने का काम शुरू किया, वर्तमान में गांव की महिलाएं पैड बना कर अपना भरण पोषण कर रही है.नेपाल तक कारोबार

विराग बौहरे ने बताया कि देश में अधिकांश कंपनियों के द्वारा गमयुक्त सेनेटरी पैड बनाए जा रहे हैं, जो पूरी तरह से हाइजीन नहीं होते हैं, लेकिन हम लोग हाइजीनयुक्त पैड बनाना चाहते थे. जिससे किसी भी प्रकार का संक्रमण न फैले. विराग बौहरे ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2010 में सिर्फ एक लाख की लागत से यह मशीन बनाई थी, जिसे बनाने में डेढ़ साल का समय लगा. यही मशीन दूसरी कंपनियों की मशीनें से काफी सस्ती है। इस मशीन से बना पैड बायोडिग्रेडेबल व प्रदूषण मुक्त है. यह आसानी से जमीन के अंदर गल भी जाता है. यह सेनेटरी मशीन देश के 250 स्थानों पर हम लोग लगा चुके हैं. वहीं नेपाल में 150 मशीन लगाने का हमारा वहां की सरकार से अनुबंध है, लॉकडाउन से पहले हम लोग नेपाल में 30 मशीन लगा चुके हैं.





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