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- Questions About The Safety Of Children; Parents Said On Opening School We Will Give Consent, Will The Schools Guarantee The Security Of Children
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मध्यप्रदेश28 मिनट पहले
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- मध्यप्रदेश सरकार ने 18 दिसंबर से दसवीं- बारहवीं के स्कूल खोलने जा रही है
मध्यप्रदेश सरकार ने 18 दिसंबर से दसवीं- बारहवीं के स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है। पैरेंट्स हैरान हैं और पूछ रहे हैं कि यह सिर्फ फीस वसूलने का हथकंडा तो नहीं है। कुछ ने कहा- सरकार ने स्कूल खोलने के आदेश तो दे दिए, लेकिन बच्चों की सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा? पैरेंट्स यदि सहमति पत्र दे रहे हैं तो स्कूल संचालक से भी हमें बच्चों की सुरक्षा की गारंटी का कार्ड दिलवाएं।
यह भी कहा जा रहा है कि प्राइवेट स्कूल वालों के दबाव में स्कूल तो खुलवा दिए, लेकिन सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूलों में 800 से 1000 बच्चे दर्ज हैं, उन पर निगरानी कैसे होगी। प्राइवेट स्कूलों में यह संख्या 150 से 200 से ज्यादा नहीं रहती।
पैरेंट्स के ऐसे सवालों के जवाब में एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स, सोसाइटी फॉर प्राइवेट स्कूल के अध्यक्ष अनुपम चौकसे कहते हैं, ‘हम किसी बच्चे को स्कूल आने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं। जो नियमित आएगा उसे पढ़ाएंगे। हम पैरेंट्स का स्वागत करते हैं कि वे एक बार स्कूल आकर देखें तो हमने क्या इंतजाम किए हैं। गाइड लाइन का पूरा पालन किया जाएगा। हेल्पलाइन नंबर भी रहेगा जिससे लाेग जानकारी ले सकेंगे।’
जबलपुर के कांचघर की मोना विश्वकर्मा कहती हैं, ‘मैं बच्चे को भेजने को तैयार हूं, लेकिन स्कूल वालों को भी सुरक्षा का पूरा भरोसा देना होगा।’ स्कूल खोले जाने के पीछे सरकार का भी अपना तर्क है। लोकशिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत कहती हैं- बच्चों को दबाव बनाकर स्कूल बुलाने का प्रश्न ही नहीं उठता। स्कूल खोलना इसलिए जरूरी है कि 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा होती है। इसमें नियमित क्लास लगना चाहिए। गांव के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हो रही है। स्कूल संचालकों से कहा है कि गाइड लाइन का पालन हर हाल में हो अन्यथा शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी। गैर जरूरी छुटि्टयां बिल्कुल नहीं होंगी।

पैरेंट्स यूनियन NO वैक्सीन, NO स्कूल पर अड़ा
स्कूल संचालकों और पैरेंट्स के बीच में पालक संघ का रुख स्कूल खोलने के खिलाफ और कड़ा है। उसका कहना है- No वैक्सीन, No स्कूल ही सबसे सही तरीका है। स्कूल खुलें ठीक हैं लेकिन सिर्फ फीस वसूली के नाम पर नहीं। अगर इसके बाद भी दबाव बनाया जाता है तो हम अदालत जाएंगे।
पैरेंट्स की चिंता… बच्चों की सुरक्षा से बढ़कर कुछ नहीं
पिता हूं, कैसे बेटी की जान खतरे में डाल दूं…
कोटरा सुल्तानाबाद के मनोज कटिहार की दो बेटियां हैं। एक दसवीं में, दूसरी 11वीं में। वे कहते हैं कि किसी सूरत में बेटी को स्कूल नहीं भेजूंगा। सरकार ने फैसले से पहले पैरेंट्स से सहमति नहीं ली। जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, वह सुरक्षित है या नहीं यह पता नहीं चल जाता, उसके पहले एक पिता अपनी बेटी की जान को कैसे खतरे में डाल सकता है। मेरी 10 से 12 परिचितों से बात हुई, वे भी मना ही कर रहे हैं।
बच्चे के संक्रमित होने का दर्द हर कोई नहीं जानता
इंदौर की आरती झा भी प्रीति की ही बात को आगे बढ़ा रही हैं। उनका कहना है- अब सत्र ही खत्म् होने वाला है तो स्कूल खोलने का क्या मतलब है। बच्चों को स्कूल भेजकर रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले बच्चे कहीं घूमने गए थे और एक बच्चा पॉजिटिव आ गया था। पूरा परिवार किस मुसीबत से गुजरा, हम ही जानते हैं।
स्कूल को अगले सत्र के लिए तैयार करें
इंदौर की प्रीति पुल्लिया कहती हैं- मेरा एक बच्चा दसवीं क्लास में है। पति खुद डॉक्टर हैं। पूरे साल ऑनलाइन पढ़ा और अब कोर्स खत्म होने वाला है। अब एक-दो महीने के लिए स्कूल भेजकर रिस्क नहीं ले सकती। कोरोना काल में बहुत कुछ बदला और ऑनलाइन क्लास भी फायदेमंद ही रही। स्कूल संचालकों को चाहिए कि अगले सेशन के लिए अपनी परिसर को तैयार करें। अभी क्लासेस शुरू करने का औचित्य नहीं है।
कैम्पस खाली है, सोशल डिस्टेंस रख लेंगे : निजी स्कूल
इंदौर के सेंट अर्नाल्ड स्कूल के प्रिंसिपल फादर पायस का कहना है हमारे स्कूल में स्टूडेंट्स कम हैं। सभी के पैरेंट्स को सहमति पत्र भिजवाया है, वे अनुमति देंगे तो ही अगला कदम उठाएंगे। स्कूल में 10वीं में 250 और 12वीं में 140 छात्र हैं। स्कूल पूरा खाली है। ऐसे में गाइड लाइन अनुसार पढ़ाई हो जाएगी। ऑनलाइन क्लास भी लग जाएगी।
1000 बच्चे हैं, सोशल डिस्टेंस रख पाना मुश्किल : सरकारी स्कूल
इंदौर की कन्या माध्यमिक विद्यालय अहिल्या आश्रम क्रमांक 2 की प्रिंसिपल सुनीता ठक्कर सरकार के इस फैसले के बाद से चिंतित हैं। उनका कहना है- 10वीं-12वीं को मिलाकर करीब 1000 स्टूडेंट्स हैं। सोशल डिस्टेंसिंग रखकर बैठाना मुश्किल है। टीचर्स भी कम हैं। बच्चियां शायद ही स्कूल आएं। अधिकतर निम्न या मिडिल क्लास फैमिली से हैं जिन्हें ऑनलाइन पढ़ाने में भी समस्या आ रही है। एक्जाम में दिक्कत नहीं, लेकिन क्लासेस कैसे लगाएंगे।