विधायकों की कम नहीं हुई मुसीबत: हाईकोर्ट ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर मार्च में मंत्री बने विधायकों को नए सिरे से नोटिस जारी करने का दिया आदेश

विधायकों की कम नहीं हुई मुसीबत: हाईकोर्ट ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर मार्च में मंत्री बने विधायकों को नए सिरे से नोटिस जारी करने का दिया आदेश


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जबलपुर9 मिनट पहले

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एमपी हाईकोर्ट

  • मध्य प्रदेश शासन में कांग्रेस से इस्तीफा देकर मंत्री बने 14 विधायकों का मामला

कांग्रेस से इस्तीफा देकर मंत्री बनाए जाने के मामले में शामिल रहे विधायकों की मुसीबत अभी कम नहीं हुई है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने नए सिरे से नोटिस जारी करने आदेश दिया। दरअसल कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया गया था कि कुछ विधायकों व मंत्रियों को नोटिस तामील नहीं हुई थी। इस जानकारी को रिकार्ड पर लेकर कोर्ट ने नए सिरे से नोटिस जारी करने की व्यवस्था दे दी। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
जवाब पेश करने 14 दिसंबर का मिला था समय
21 अक्टूबर, 2020 को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा अध्यक्ष सहित 14 मंत्रियों को नोटिस जारी किए थे। इसके माध्यम से पूछा गया था कि इस्तीफा देने के बावजूद मंत्री कैसे बना दिया गया? जवाब पेश करने के लिए 14 दिसंबर तक का समय दिया गया था।
इनके नाम जारी हुए नोटिस
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, राज्यपाल के सचिव, राष्ट्रपति के कैबिनेट सचिव, भारत निर्वाचन आयोग, तुलसीराम सिलावट, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, डॉ. प्रभुराम चौधरी, डॉ. महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, हरदीप सिंह डंग, राज्यवर्धन सिंह, विजेंद्र सिंह यादव, गिर्राज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ व ओपीएस भदौरिया को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए थे। इनमें से कुछ को नोटिस तामील हुए जबकि कुछ को नहीं हुए हैं।
याचिका के माध्यम से लगाई है आपत्ति
छिंदवाड़ा निवासी अधिवक्ता आराधना भार्गव की ओर से यह याचिका दायर की गई। दलील दी गई कि कांग्रेस की निर्वाचित सरकार गिराने के लिए मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में साजिश रची गई। इसके तहत 22 कांग्रेस विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। बाद मे भाजपा सरकार के सीएम शिवराज सिंह ने 14 को मंत्री बना दिया।
नहीं थी विशेष परिस्थितियां
बहस के दौरान कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत मंत्री बनाए जाने के लिए विधायक होना जरूरी है, लेकिन तब 14 मंत्रियों में से कोई भी विधायक नही था। विशेष परिस्थितियों में ही सीएम किसी विद्वान, किसी विषय विशेष के विशेषज्ञ या ऐसे किसी व्यक्ति को जिसे मंत्री बनाया जाना आवश्यक हो, मंत्री नियुक्त कर सकता है।
जो खुद विधायक नहीं रहना चाहते थे, उन्हें मंत्री बना दिया
प्रदेश में ऐसी परिस्थितियां न होने के बावजूद मनमाने तरीके से उक्त 14 लोगों को मंत्री बना दिया गया। दलील दी गई कि ये सभी लोग तो खुद विधायक रहना नहीं चाहते थे। इसी कारण विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, फिर उन्हें मंत्री बनाया जाना संविधान के अनुच्छेद 164 का सीधा उल्लंघन है। विशेष परिस्थितियों में भी एक या दो लोग ही मंत्री बनाए जा सकते हैं।
40 फीसद मंत्री विधायक ही नहीं थे
सरकार गठन के समय बनाए गए कुल 32 मंत्रियों में 14 अर्थात 40 फीसद विधायक ही नही थे। यह संविधान का मजाक है। आग्रह किया गया कि असंवैधानिक तरीके से नियुक्त किए गए इन 14 मंत्रियों को हटाया जाए। साथ ही संविधान की मंशा के खिलाफ जाकर मनमानी करने के लिए वर्तमान बीजेपी सरकार को भी बर्खास्त किया जाए।



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