स्कूल खोलने की जिद क्यों ?: जबकि भोपाल में अब तक 13 से 17 साल के 1192 बच्चे हो चुके संक्रमित

स्कूल खोलने की जिद क्यों ?: जबकि भोपाल में अब तक 13 से 17 साल के 1192 बच्चे हो चुके संक्रमित


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भोपाल7 घंटे पहले

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प्रतीकात्मक फोटो

  • आज से लगेंगी 10वीं-12वीं की कक्षाएं- बच्चों की सेहत को लेकर फिक्रमंद पैरेंट्स अब भी असमंजस में
  • टाइमिंग भी गलत…क्योंकि दिसंबर में सिर्फ 5 दिन ही लग पाएंगी क्लासेस

कोरोना संक्रमण के बीच मप्र सरकार ने शुक्रवार से 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मार्च से अब तक राजधानी में 13 से 17 साल की उम्र के 1192 बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और एक की मौत हुई है।

ऐसे में बच्चों की सेहत को लेकर फिक्रमंद पैरेंट्स असमंजस में हैं कि उन्हें स्कूल भेजें या नहीं। उनका कहना है कि यदि स्कूल में बच्चों को कोराेना हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? कई अभिभावकों ने राष्ट्रीय और राज्य बाल आयोग में स्कूल खोले जाने का विरोध करते हुए शिकायत की है।

हेल्पलाइन में रोज आ रहे पैरेंट्स के 70-80 कॉल
माध्यमिक शिक्षा मंडल और टीन एजर हेल्पलाइन में इन दिनों पैरेंट्स के रोजाना 70-80 कॉल पहुंच रहे हैं। कोरोना के चलते बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर डरे हुए ज्यादातर अभिभावक यही जानना चाहते हैं कि ऐसे हालात में बच्चों को स्कूल भेजना कितना सुरक्षित होगा।

पैरेंट्स की चिंता… हेल्पलाइन में पूछ रहे- कैसे होगी मॉनिटरिंग

  • बच्चे को स्कूल भेजे या नहीं
  • बच्चा अब तक कोरोना से बचा हुआ है। स्कूल सही तरीके से सैनिटाइज होगा या नहीं?
  • क्या स्कूलों में कोरोना से बचाव के पूरे इंतजाम होंगे?
  • डिस्टेंसिंग मेंटेन होगी या नहीं?
  • स्कूल में कोरोना गाइडलाइन के पालन की मॉनिटरिंग कैसे होगी?

विंटर वेकेशन… ज्यादातर स्कूलों में 25 दिसंबर से लग जाएंगी छुटि्टयां
दिसंबर आधा बीत चुका है। मिशनरी और कॉन्वेंट स्कूलों में 25 से जनवरी के पहले सप्ताह तक और सामान्य स्कूलों में 25 से 3 जनवरी तक विंटर वेकेशन होंगे। ऐसे में इस माह 5 दिन ही क्लासेस लग पाएंगी। कुछ स्कूलों में शनिवार-रविवार की छुट्टी होती है। सिर्फ 18, 19, 22, 23 और 24 को ही स्कूल लग पाएंगे।

बच्चों के लिए अलग से नहीं आएगी वैक्सीन, वयस्कों पर सफल हुई तो ही बच्चों को लगेगी
अभी दुनियाभर में वैक्सीन के जितने भी क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं, वे वयस्कों यानी 18 से 65 वर्ष तक के लोगों पर हो रहे हैं। बच्चों पर दुनियाभर में कोई ट्रायल नहीं हुआ है, इसलिए बच्चों के लिए वैक्सीन आने में अभी कितना वक्त लगेगा, यह हर कोई जानना चाहता है।

आईसीएमआर-निरेह के निदेशक और एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. आरएन तिवारी का कहना है कि बच्चों के लिए अलग से कोई वैक्सीन नहीं आएगी। मौजूदा वैक्सीन के ट्रायल की सफलता के बाद ही बच्चों के लिए इसके डोज तय होंगे। आइडियल डोज तय होने के बाद मौजूदा वैक्सीन्स ही बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। क्लीनिकल ट्रायल एडल्ट पर ही होते हैं, बच्चों पर नहीं। बच्चों को कोई वैक्सीन सबसे आखिर में पूर्णत: सफलता के बाद ही दी जाती है।

दबाव में लिया फैसला
स्कूलों के दबाव में सरकार ने ये फैसला लिया है। स्कूलों में बच्चों की सेफ्टी के सवाल पर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है।
– कमल विश्वकर्मा, अध्यक्ष, पालक महासंघ मप्र

हम बच्चों का ध्यान रखेंगे
निजी स्कूलाें में जगह पर्याप्त है, फिजिकल डिस्टेंसिंग की काेई दिक्कत नहीं हाेगी। पालकाें से ज्यादा हम बच्चाें का ध्यान रखेंगे।
-डी. अशाेक कुमार, सचिव सहाेदय ग्रुप ऑफ सीबीएसई स्कूल्स



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