PM मोदी के संबोधन के बीच BJP समर्थित भारतीय किसान संघ ने कर दी कृषि कानून में संशोधन की मांग

PM मोदी के संबोधन के बीच BJP समर्थित भारतीय किसान संघ ने कर दी कृषि कानून में संशोधन की मांग


किसान संघ ने देश के 400 सांसदों से मिलकर उन्हें कृषि बिल में सुधार के लिए ज्ञापन सौंपा था.

किसान संघ (Kisan sangh) ने कहा सर्वोच्च न्यायालय की अलग से समिति बनाने के सुझाव का हम स्वागत करते हैं. हम यह मांग करते हैं कि पूरे देश में किसानों (Farmers) के हितों के लिए काम करने वाले सभी रजिस्टर्ड संगठनों के प्रतिनिधियों को भी इस समिति में शामिल किया जाना चाहिए.

भोपाल. नये कृषि कानून (New agriculture law) के समर्थन में किसान सम्मेलन और महा सम्मेलन कर रही बीजेपी के सामने अब उसके ही समर्थित किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने नये कृषि कानून (New agriculture law) में संशोधन की मांग रख दी है. आज संघ के संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि कृषि कानून में जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए.

किसान संघ के मुताबिक 8 जून 2020 को जो कृषि बिल सरकार लेकर आई है उसके बाद किसान संघ ने 1 से 15 अगस्त 2020 तक देश भर के 20000 गांव की ग्राम समितियों के सुझाव लिए थे और यह सुझाव प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को भी भेजे गए थे. उसके बाद किसान संघ की ओर से देश के 400 सांसदों से मिलकर उन्हें कृषि बिल में सुधार के लिए ज्ञापन भी सौंपा गया था. अब किसान संघ ने कहा है कि सरकार को कृषि बिल में जरूरी संशोधन करने चाहिए

किसान संघ के ये हैं प्रमुख सुझाव
1- भारतीय किसान संघ ने अपने सुझाव में मांग की है कि समर्थन मूल्य से नीचे किसान का उत्पाद नहीं बिकना चाहिए और एमएसपी का कानूनी प्रावधान होना चाहिए.2- व्यापारी जो व्यवसाय करना चाहता है उसका केंद्र और राज्य में रजिस्ट्रेशन हो और बैंक में सिक्योरिटी हो ऐसे सभी व्यवसायियों की सूची पोर्टल पर दर्ज हो जिसे देखकर किसान अधिकृत व्यापारी को ही अपना माल बेच सके.

3-कृषि न्यायालय का गठन हर जिले में किया जाए जिसमें किसानों से संबंधित सभी प्रकार के विवादों का जल्द फैसला हो.

4- जीवन आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की छूट बड़े उद्योगों को दी गई है. इस वजह से जमाखोरी बढ़ रही है जो उपभोक्ताओं के हित में बाधा पहुंच सकती है. उन लोगों को दी गई इस प्रकार की छूट खत्म होना चाहिए.

5-संविदा खेती करने वाली कंपनी को किसान का दर्जा नहीं दिया जाए और अनुबंध के बाद हर परिस्थिति में किसान का उत्पादन करने के लिए बाध्य किया जाए.

समिति में हों अधिकृत किसान संगठन
भारतीय किसान संघ ने कहा है कि आंदोलन के प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के बीच 6 दौर की चर्चा के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है. मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच चुका है. किसान संघ सर्वोच्च न्यायालय की अलग से समिति बनाने के सुझाव का स्वागत करता है और यह मांग करता है कि पूरे देश में किसानों के हितों के लिए काम करने वाले सभी रजिस्टर्ड संगठनों के प्रतिनिधियों को भी इस समिति में शामिल किया जाना चाहिए. इस मामले में किसी भी निर्णय पर पहुंचा जाए जो किसानों के हित में होगा.





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