Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
उज्जैन13 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
पॉजिटिव मरीजों से दोगुना से ज्यादा निगेटिव मरीजों की उज्जैन में मौत हुई है। मार्च से अब तक 9 माह 16 दिनों में 100 पॉजिटिव की मौत हो चुकी है। जबकि अन्य करीब 273 मरीजों की मौत हुई है। इसमें सिर्फ आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही 248 निगेटिव मरीजों की मौत हुई है तथा 22 से ज्यादा ऐसे मरीजों की मौत हुई जो कि सस्पेक्टेड थे।
इसके अलावा माधवनगर अस्पताल व प्राइवेट अस्पतालों में तथा इंदौर व देवास के अस्पताल में दम तोड़ चुके हैं। पॉजिटिव से ज्यादा निगेटिव मरीजों की मौत की बड़ी वजह कोरोना जैसे लक्षण होने के बावजूद जांच में वायरस नहीं पाया जाना या संक्रमित मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव पाई जाने के बाद भी साइटोकिन स्ट्रॉम लीवर, रक्त वाहिकाओं, गुर्दे और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाना है। विशेषज्ञों ने जांच में पाया है कि वायरस के नियंत्रण के बाद भी इम्युनी प्रणाली बंद नहीं होती है और यह ओवर ड्राइव में जा सकता है। पूरे शरीर में एक तीव्र और व्यापक प्रतिक्रिया होती है, जिसे साइटोकिन स्ट्रॉम कहा जाता है।
कोविड के साथ कुछ मरीजों में प्रतिरक्षा प्रणाली खतरे के अनुपात से लंबे समय तक रक्त प्रवाह में एंटीबॉडी को रिलीज करती है जो वायरस के बाद का खतरा होता है। जब ऐसा होता है तो इम्युनी प्रणाली शरीर के अपने टिश्यू पर हमला करती है। ऐसे में डायबिटिज, हाइपरटेंशन, अस्थमा तथा कैंसर व लीवर, हार्ट तथा किडनी के मरीजों की मौत हो जाती है। इसके अलावा 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए भी खतरा रहता है।

फेफड़ों में इंफेक्शन से सांस में तकलीफ और निमोनिया हो रहा
इंफेक्शन भी बड़ा खतरा
कोविड विशेषज्ञों का कहना है कि रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद मरीजों में करोना जैसे लक्षण मिल रहे हैं। निगेटिव मरीजों के फेफड़ों में इंफेक्शन होने से सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया हो रहा है। ऐसे मरीजों का इलाज कोरोना के मरीजों की तरह ही करना पड़ रहा है। मरीजों को हाई फ्लो ऑक्सीजन भी देना पड़ रही है। निगेटिव रिपोर्ट वाले केस में लंग्स में ज्यादा इंफेक्शन पाया जा रहा है जो कि गंभीर स्थिति है।
ये दो प्रमुख कारण
- वायरस डिटेक्ट नहीं हाे रहा है, वायरस फेफड़ों में रहता है, ऐसे लक्षण मरीज में मिलते जाते हैं।
- वायरस ने रूप बदला है जो फेफड़े डैमेज कर रहा है, वह डिटेक्ट नहीं होने से निगेटिव आ रहे हैं।
लैब में वायरस डिटेक्ट नहीं होता पर फेफड़ों में यह बना रहता है
लैब में वायरस डिटेक्ट नहीं हाे रहा है लेकिन वायरस फेफड़ों में बना रहता है, जिससे कोरोना जैसे लक्षण मरीज में पाए जाते हैं। वायरस ने अपना स्वरूप बदला है जो फेफड़े को डैमेज तो कर रहा है लेकिन वह डिटेक्ट न होने से रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ऐसे मरीजों को सप्ताह तक अंडर ट्रीटमेंट में रखा है।
डॉ. एचपी सोनानिया, कोविड नोडल अधिकारी
सलाह: तत्काल सीटी स्कैन करवाएं
पॉजिटिव मरीजों की तरह निगेटिव मरीजों में लक्षण पाए जा रहे हैं। संक्रमित मरीज की तरह उनका इलाज हो रहा है। लोग अपनी सीटी स्कैन तत्काल करवाएं ताकि इंफेक्शन का पता चल सके और समय पर इलाज शुरू हो सके।
डॉ. सुधाकर वैद्य, नोडल अधिकारी, मेडिकल कॉलेज