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जबलपुर17 घंटे पहले
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- हर नेता अपने हिसाब से सड़क का सेंटर प्वॉइंट बताता है, अपने लोगों के निर्माण बचाने की जुगत जारी
स्मार्ट सिटी योजना से 25 करोड़ रुपये की लागत से बन रही घमापुर-रांझी फोरलेन सड़क मजाक बन कर रह गई है। सड़क के दोनों ओर काबिज निर्माणों को तोड़ने से पहले ही नेताओं की फौज खड़ी हो जाती है और अधिकारियों पर दबाव बनाया जाता है कि सड़क का सेंटर प्वॉइंट हमारे हिसाब से तय किया जाए।
कई बार प्रयास किए गए लेकिन इसके बाद भी यह मसला हल नहीं हुआ, जिसके कारण घमापुर से सतपुला तक कि सड़क बन ही नहीं पाई और केवल डिवाइडर का काम ही चलता रहा। अब निगम इस सड़क को जितनी जगह मिल पाई है उसी में निर्माण करने की सोच रहा है और ऐसा भी नहीं हुआ तो सड़क को उसी हाल में छोड़कर काम बंद कर दिया जाएगा।
शहर की सबसे अधिक ट्रैफिक वाली सड़कों में घमापुर-रांझी सड़क पहले नम्बर पर है। इस पर रोजाना हजारों लोग आवाजाही करते हैं। करीब 13 साल पहले भी इस सड़क को फोरलेन सड़क की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनी थी, लेकिन भाजपा के केन्ट और पूर्व विधानसभा के दो कद्दावर नेताओं ने अतिक्रमण नहीं हटने दिए थे, जिससे सड़क का काम शुरू ही नहीं हो पाया। इसके बाद दोबारा स्मार्ट सिटी योजना से 24 करोड़ 30 लाख रुपये से 4.7 किलोमीटर लम्बी सड़क के लिए निर्माण एजेंसी को मार्च 2018 में ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया था लेकिन अभी तक सड़क का 40 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है।
सबसे अधिक मुसीबत घमापुर से काँचघर तक
इस सड़क पर घमापुर से काँचघर तक ही सबसे अधिक अतिक्रमण भी हैं और मुसीबतें भी हैं। यहाँ जिसके भी निर्माण तोड़ने की बारी आती है पहले नेता पहुँच जाते हैं। अभी तक सड़क की कुल चौड़ाई ही नहीं मिल पाई है तो फिर सड़क बने कैसे। सड़क को 80 फीट बनाने की बात की गई थी लेकिन कई जगह यह चौड़ाई प्राप्त ही नहीं हो पा रही है। ऐसे में निगम अधिकारी पशोपेश में हैं और उनका मानना है कि यहाँ विवाद कभी खत्म नहीं होने वाले इसलिए जितनी चौड़ाई मिल रही है उतने में ही सड़क बनाने की तैयारी की जा रही है।
सतपुला से गोकलपुर तक टेंडर ही नहीं हुआ
घमापुर में काम की गति बेहद धीमी है लेकिन वहाँ काम शुरू तो हो चुका है जबकि सबसे तेज रफ्तार ट्रैफिक वाले सतपुला से गोकलपुर तक के हिस्से में अभी तक कोई भी काम शुरू नहीं हुआ है। शुरू हो भी कैसे जब यहाँ का काम टेंडर में ही नहीं है। इसके लिए निगम को टेंडर जारी करना था और उसके लिए जीसीएफ की अनुमति की जरूरत थी। बाद में कहा गया कि जीसीएफ प्रबंधन ने सड़क निर्माण के लिए अनुमति प्रदान भी कर दी है, लेकिन उसके बाद भी टेंडर नहीं हो पाया। निगम को इस हिस्से पर ध्यान देना चाहिए और पहले इस तरफ की सड़क बनानी चाहिए, जिससे एक बड़ी आबादी को लाभ होगा।
रांझी में सर्वाधिक काम हुआ
इस सड़क का अधिकांश काम रांझी में हो चुका है। गोकलपुर में नाली और डिवाइडर का काम भी हो चुका है। ऐसा ही काम शीतलामाई और चुंगी के आसपास हो रहा है। सड़क के कुछ हिस्सों में डिवाइडर या नाली के ही काम हो रहे हैं, घमापुर से चुंगी तक सड़क चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण नहीं हटाए गए हैं ऐसे में सड़क का काम कब पूरा होगा यह कहना कठिन है।