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- Archaeological Excavations Did Not Occur After 1962; While 4 Thousand Years Old Remains Have Been Found Here
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ओमप्रकाश सोणोवणे | उज्जैन19 घंटे पहले
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महाकाल के आंगन में मिला 1 हजार साल पुराना मंदिर
- महाकाल ने दिया अवसर : मप्र पुरातत्व विभाग और स्मार्ट सिटी मिलकर बना सकते हैं शहर को हेरिटेज पर्यटन स्थल
श्रीकृष्ण की यात्रा की पौराणिक मान्यताओं और विक्रमादित्य के ऐतिहासिक कथानकों से शहर की पहचान हैं। उनके प्रमाण भी मौजूद हैं। लेकिन शहर और आसपास के क्षेत्र में 4 हजार साल पुरानी सभ्यता के पुरावशेष मिलने के बावजूद शहर की यह संपदा उपेक्षा की शिकार है।
उपेक्षा का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि 83 साल पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कानीपुरा में बौद्ध स्तूप खोज लिए थे लेकिन अब तक इन्हें प्रकट तक नहीं कर पाए। 63 साल पहले गढ़कालिका में उत्खनन से 2600 साल पुरानी बस्ती के अवशेष मिल चुके लेकिन वहां दोबारा उत्खनन नहीं हुआ। 58 साल पहले शिप्रा से विक्रमादित्य के सिक्के और राज मुद्राएं मिल चुकी लेकिन आज भी विक्रमादित्य के अस्तित्व पर सवाल बना हुआ है।
पुराविद् डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित के अनुसार यहां पुरातत्व की हमेशा उपेक्षा हुई है। महाकाल मंदिर परिसर की खुदाई में मिले 1 हजार साल पुराने मंदिर के अवशेषों ने फिर अवसर दिया है कि शहर और आसपास के क्षेत्र के पुरा स्थलों का उत्खनन कराएं। ताकि यह शहर भी प्राचीन सभ्यता के अध्ययन और पर्यटन का विश्व स्तरीय केंद्र बन सके।
यह हैं शहर के पुरास्थल
भर्तृहरि गुफा- राजा भर्तृहरि का साधना स्थल।
मत्स्येंद्रनाथ समाधि- 2600 साल पुराना बंदरगाह
वैश्य टेकरियां- जिनमें बौद्ध-स्तूप हैं।
गढकालिका व प्राचीन देवी मंदिर – विक्रमादित्य कालीन (2 हजार साल पुराने)।
महाकाल में लगे शिलालेख- राजा भोज कालीन (एक हजार साल पुराने)
दुर्दरेश्वर जैथल- प्राचीन मंदिर, यहां आभूषण आदि का कारखाना होने के पुरावशेष
सप्त सागर- शहर का सबसे पुराना जलप्रबंध।
अनेक पुरास्थलों का विकास हुआ
शहर और आसपास के पुरास्थलों का पहले भी विकास किया है। इनमें पंचक्रोशी पड़ाव स्थल तथा ग्रामीण क्षेत्र के प्राचीन स्थान शामिल हैं। इस संबंध में राज्य सरकार के स्तर पर भी प्रयास किए जाएंगे।
डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री मप्र
केंद्र के स्तर पर प्रयास करेंगे
उज्जैन पौराणिक, ऐतिहासिक नगर है। यहां हर जगह पुरातत्व संपदा है। यहां फिर से सर्वे और उत्खनन हो, इसके लिए केंद्र सरकार के स्तर पर प्रयास करूंगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इस संबंध में प्रस्ताव भी भेजेंगे। अनिल फिरोजिया, सांसद

सर्वे : कायथा में मिली 4 हजार साल पुरानी सभ्यता
- पद्मश्री डॉ. स्व. विश्री वाकणकर द्वारा कायथा में उत्खनन किया गया। यहां से 4 हजार साल पुरानी बस्ती, पात्र, तांबे के हथियार, मिट्टी व तांबे के बर्तन आदि मिले। यह गणितज्ञ वराह मिहिर का नगर था।
- रूणिजा में 1979 में हुए सर्वे में 3 हजार साल पुराने हथियार, भोजन सामग्री, खिलौने, बर्तन आदि मिले।
- 1987 में महिदपुर में हुए सर्वे में 4 हजार साल पुराने स्वर्णनिष्क (गायों के सींग पर लगाते थे) व अन्य सामग्री मिली।
- बड़नगर के दंगवाड़ा में 1976 में किए सर्वे में 4 हजार साल पुराने सिक्के, यज्ञ वैदिका, सिक्के, पत्थर के मोती मिले।
- नागदा के टकरावदा में 2009 में हुए सर्वे में ताम्र सभ्यता के अवशेष, पात्र आदि चंबल नदी से मिले।
- पुराविद् डॉ रमण सोलंकी के अनुसार)
खुदाई का काम विशेषज्ञों की निगरानी में करेंगे
मंदिर परिसर में खुदाई का काम शनिवार को भी बंद रहा। प्रशासक व एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी के अनुसार वरिष्ठ अिधकारी से मार्गदर्शन लेने के बाद फिर से काम शुरू होगा। इसमें पुरातत्व विशेषज्ञ की सलाह भी लेंगे।
इतनी अनदेखी क्यों? 83 साल पहले बौद्ध स्तूप खोज लिया था लेकिन प्रकट नहीं कर पाए
