नाटक का मंचन: मोहन से महात्मा गांधी बनने की कहानी है गांधी

नाटक का मंचन: मोहन से महात्मा गांधी बनने की कहानी है गांधी


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भोपाल17 मिनट पहले

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  • शहीद भवन में चल रहे आदि विद्रोही नाट्य समारोह का समापन

शहीद भवन में चल रहे आदि विद्रोही नाट्य समारोह के अंतिम दिन नाटक गांधी का मंचन हुआ। इस नाटक का निर्देशन और लेखन सौरभ अनंत ने किया। यह नाटक का पहला शो था, इसकी अवधि एक घंटा 20 मिनट थी। यह नाटक वर्कशॉप में तैयार किया गया था। नाटक में वैष्णव जान…, कैसा संत हमारा गांधी…, रघुपति राघव राजा राम…, जैसे कई गीत थे। नाटक में 30 कलाकारों ने मंच पर अभिनय किया। नतर्क के जरिए अहिंसा, उपवास, स्वदेशी, कुटीर उद्योग, आत्म निर्भरता जैसे कई पहलू को मंचित किया गया।नाटक मोहन से महात्मा गांधी बनने की कहानी को दिखाया गया। शुरुआत के दृश्य में दिखाया कि मोहन अपनी दादी से कहता है कि मुझे अंधेरे से डर लगता है, तो दादी उससे कहती है कि जब भी डर और भय का एहसास हो तो भगवान राम का नाम लेना। टैब से मोहन भगवान राम का नाम लेने लगते है। इसके बाद अगले दृश्य में दिखाया कि मोहन बड़े होकर अपने घर वालों से वकालत करने की बात कहकर विदेश जाते है जिससे गांव के लोग उन्हें यह कहकर अपने समाज से अलग करते हैं कि आज तक हमारे समाज में कोई भी समुद्र के पार पढ़ने नही गया। इसके बाद दिखाया कि वे पहली बार केस लड़ रहे थे उस दौरान मोहन कंपकंपा रहे थे। अगले दृश्य में दिखाया कि अफ्रीका में मोहन को ट्रेन से धक्का देते हैं, जिससे उनके स्वाभिमान पर चोट होती है और वहीं गोखले से मिलते हैं और भारत में आकर कई यात्रा और आंदोलन, खादी का बढ़ावा देते हैं और देश आजाद होता है। नाटक के अंतिम दृश्य में कलकत्ता के दंगे को दिखाया जिसमें चैन और अमन के लिए गांधी जी कलकत्ता जाते हैं।



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