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विदिशा9 मिनट पहले
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जैन समाज के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक की सिद्ध भूमि शीतलधाम विदिशा में करोड़ों रुपए की लागत से देश का पहला 135 फीट ऊंचा समवशरण मंदिर बनने जा रहा है। इस मंदिर की दो मंजिल अब पूरी हो गई हैं। दो मंजिल बनने के बाद मंदिर की ऊंचाई 60 फीट हो गई है। अभी 75 फीट ऊंचाई बाकी है। खासबात ये है कि मंदिर की नींव 28 फीट गहरी है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा समवशरण मंदिर होगा।
2022 में पूरा करने का लक्ष्य, एक हजार साल तक रहेगा ऐसा
शीतलधाम के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि 2008 में 18 बीघा भूमि पर आचार्य विद्यासागर ने शिलान्यास किया था। अब तीसरी मंजिल का काम शुरू हो गया है। हरिपुरा स्थित शीतलधाम में लाल पत्थर राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से और पीला पत्थर जैसलमेर से लाया है। 2022 दिसंबर तक इसे पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है। मुख्य इंजीनियर प्रो. राजीव जैन ने बताया कि मंदिर की नींव 28 फीट गहरी है। 9 रिक्टर के पैमाने पर आए भूकंप का भी असर नहीं होगा। एक हजार साल तक इस मंदिर पर कोई असर नहीं होगा। अब तक 5 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए। 30 करोड़ से ज्यादा की लागत आएगी।
पत्थरों में किसी प्रकार का जोड़ नहीं लगा, लोहे का उपयोग भी नहीं
भगवान शीतलनाथ की चतुर्मुखी प्रतिमा के साथ सभी 24 तीर्थंकरों के अलावा भगवान का पूरा समवसरण रहेगा। डोम के आकार में इस समवशरण के अंदर कोई भी स्तंभ नहीं रहेगा। पत्थरों में किसी प्रकार का जोड़ नहीं लगेगा। लोहा का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।