किसानों की मांग: किसानों का सड़क पर धरना, बिगड़ी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था, बस स्टैंड मार्ग पर लगा जाम

किसानों की मांग: किसानों का सड़क पर धरना, बिगड़ी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था, बस स्टैंड मार्ग पर लगा जाम


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बैतूल2 घंटे पहले

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बैतूल। कलेक्टोरेट मार्ग पर सड़क पर ही धरना देने बैठ गए किसान।

  • कृषि कानून में करें संशोधन, न्यूनतम समर्थन मूल्य को बनाएं कानून, देश में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर न हो खरीदी

केंद्र सरकार के कृषि कानून में संशोधन सहित अन्य मांगों को लेकर सोमवार को जिला उद्योग कार्यालय के सामने भारतीय किसान संघ के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने धरना दिया। संख्या बढ़ने पर किसान सड़क पर ही बैठ गए। किसानों के सड़क पर बैठने से पुलिस को कलेक्टोरेट कार्यालय का मार्ग बंद करके रूट जाम करना पड़ा। इस कारण बस स्टैंड और जिला न्यायालय सहित कोठीबाजार का ट्रैफिक बिगड़ गया।

बस स्टैंड और जिला न्यायालय के मार्ग पर जाम के हालात बन गए। करीब आधा घंटे तक इन मार्गों पर वाहनों की कतारें लग गईं। पुलिस ने जाम तो खुलवा दिया, लेकिन किसानों का धरना समाप्त होने तक करीब दो घंटे ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ी रही। किसानों का धरना समाप्त करवाने एसडीएम, तहसीलदार और एसडीओपी धरने स्थल पर पहुंचे और किसानों को जल्द धरना समाप्त करने के लिए कहा। शाम 4 बजे किसानों का धरना समाप्त होने के बाद कलेक्टोरेट मार्ग खुला। इसके बाद ट्रैफिक सुचारू हुआ।

भाकिसं ने कृषि कानून में संशोधन, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने सहित स्थानीय समस्याओं को लेकर आंदोलन किया। प्रदर्शन में जिलेभर से एक सैकड़ाें किसान शामिल हुए। भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामभरोस बसोतिया, क्षेत्रीय संगठन मंत्री महेश चौधरी, प्रांत संगठन मंत्री मनीष शर्मा, जिलाध्यक्ष अशोक पटेल, पुरुषोत्तम सरले, नकुल सिंह चंदेल, नरेंद्र गोठी, प्रदीप शुक्ला, दीपक कपूर के नेतृत्व में किसानों ने जिला उद्योग कार्यालय के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया।

एसडीएम खुद ज्ञापन लेने धरना स्थल पर पहुंचे
एसडीएम सीएल चनाप, एसडीओपी नीतेश पटेल, कोतवाली टीआई संतोष पंद्रे, गंज टीआई जयंत मर्सकोले धरना स्थल पर पहुंचे। एसडीएम खुद ही धरना स्थल पहुंचे, जहां किसानों ने उन्हें ज्ञापन दिया।

यह रखी किसानों ने मांग

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाया जाए, सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे देश में कहीं भी खरीदी पर पाबंदी हो।
  • निजी व्यापारियों का पंजीयन राज्य व केंद्र स्तर पर आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सिक्यूरिटी हो, जो एक सरकारी पोर्टल वेबसाइट पर सभी को प्राप्त हो।
  • इस संबंध में जो भी विवाद हो, उसका समाधान करने के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालय की व्यवस्था प्रत्येक जिले में हो और सब विवादों का निपटारा वहीं हाे।
  • इन कृषि कानूनों में किसान की परिभाषा में कार्पोरेट कंपनियां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उनको भी तर्क संगत बनाकर जो केवल कृषि पर निर्भर हैं, वही इस परिभाषा में आए।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 100 हेक्टेयर व अधिसूचित फसल बुवाई की बाध्यता समाप्त हो, फसल क्षति के आकलन में खेत की इकाई माना जाए।
  • जिले में कृषि महाविद्यालय खोला जाए।



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