सेहत से खिलवाड़: नौलखी स्टाप डेम के पानी का टीडीएस 175 ब्लीचिंग , फिटकरी के बाद भी शुद्धता नहीं

सेहत से खिलवाड़: नौलखी स्टाप डेम के पानी का टीडीएस 175 ब्लीचिंग , फिटकरी के बाद भी शुद्धता नहीं


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गंजबासौदा7 मिनट पहले

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बेतवा नदी के जल में टीडीएस की मात्रा 175 पाई गई ।

  • 21 लाख 50 हजार हो रहे हैं ब्लीचिंग और फिटकरी पर खर्च, आरओ फिल्टर एक माह में ही ठप

नगर पालिका हर साल बेतवा का पानी फिल्टर करने साढ़े इक्कीस लाख रूपया ब्लीचिंग और फिटकरी पर खर्च कर रही है। उसके बाद बेतवा नदी के पानी में जितनी टीडीएस की मात्रा मिली। उतनी ही मात्र नागरिकों को मिल रही फिल्टर जल में पाई जा रही है। इससे इस बात की आशंका है। वर्तमान में नपा के जिम्मेदार लोग जल का शोधन के लिए फिटकरी या ब्लीचिंग का उपयोग नहीं कर रहे। नदी का जल सीधा नागरिकों तक पहुंचा रहे हैं। इसी कारण बेतवा और जल आवर्धन की सप्लाई में समानता दिख रही है।

जल आवर्घन योजना की लेब बंद: नौलखी बेतवा घाट पर बने फिल्टर प्लांट पर पानी परीक्षण के लिए लेब स्थापित की गई है। लेकिन लेब बंद पड़ी है। प्लांट से जो पानी नागरिकों को वर्तमान में सप्लाई हो रहा है। उनकी जांच नहीं की जा रही है। इसके कारण नगर को वर्तमान में जो पानी की सप्लाई मिल रही है। वह भगवान भरोसे चल रही है। कितनी फिटकरी या ब्लीचिंग की मात्र मिलनी चाहिए। इसे देखने वाला कोई नहीं जिम्मेदार नहीं पहुंचता।

पीली सिल्ट जम रही: नगर पालिका द्वारा मिल रहे पानी को साफ करने के लिए नगर के सात सौ से ज्यादा परिवारों ने आरओ का उपयोग किया जा रहा है। आराे का उपयोग करने वाले मील रोड निवासी देवेंद्र रघुवंशी, सुरेंद्र भारद्वाज जयेश शाह का कहना है एक महीने से ज्यादा फिल्टर नहीं चल रहे। उनमें पीली सिल्ट जमा हो रही है। जबकि सामान्य तौर पर एक फिल्टर पांच से छह महीने चलता है। इससे लोगों को हर महीने करीब 150 रूपया फिल्टर बदलने पर खर्च हो रहा है।

स्वास्थ के लिए खतरा
डा. केके तिवारी का कहना है पेयजल में तय मापदंड से ज्यादा टीडीएस किडनी, दिल को प्रभावित करता हैै। इसलिए सामान्य तौर पर 100 टीडीएस से ज्यादा का पानी उपयोग नहीं होता। इसके कारण ही अब लोग मिनरल वाटर का उपयोग कर रहे हैं। यदि बेतवा और जल आवर्धन के एक जैसा मिला तो यह गंभीर मामला है।

नदी के पानी में होते हैं बैक्टेरिया
नागरिकों को सप्लाई किए जाने वाला जल 400 टीडीएस तक जल खतरनाक नहीं होता। नदी के पानी में बैक्टेरिया होते हैं। इनको मारने के लिए फिटकरी और ब्लीचिंग का उपयोग लगातार किया जा रहा है। पिछले साल साढ़े 21 लाख रुपए का ब्लीचिंग व फिटकरी का उपयोग किया गया।
विनोद कुशवाह, उपयंत्री जल आवर्धन योजना नपा गंजबासौदा।



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