इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर घोटाला: माल सप्लाई किया नहीं; बना दिया 2.70 करोड़ का इनवॉइस, जीएसटी चुकाए बिना लेना चाहते थे फायदा

इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर घोटाला: माल सप्लाई किया नहीं; बना दिया 2.70 करोड़ का इनवॉइस, जीएसटी चुकाए बिना लेना चाहते थे फायदा


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उज्जैन41 मिनट पहले

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कर सलाहकार ने 2 करोड़ 70 लाख के आईटीसी घोटाले को अंजाम दिया।

  • आनन-फानन में सरकारी खजाने में जमा कराए 35 लाख रुपए
  • कर सलाहकार से मिलकर लगा रहे थे सरकार को चपत

सेंट्रल जीएसटी विभाग ने उज्जैन में दो करोड़ 70 लाख के फर्जी आईटीसी घोटाला उजागर किया है। व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह गोरखधंधा कर सलाहकार से मिलकर किया जा रहा था। घोटाला पकड़ में आते ही फर्म ने 35 लाख रुपए फौरन सरकारी खजाने में जमा करा दिए। सेंट्रल जीएसटी की कार्रवाई से व्यापारियों में हड़कंप मचा है।

सीजीएसटी एवं केन्द्रीय उत्पाद शुक्ल विभाग के इंस्पेक्टर नागेंद्र प्रताप सिकरवार ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि फर्म नैमिष इंटरप्राइजेस के प्रोप्रराइटर नैमिष शर्मा ने 2.70 करोड़ के इनवॉइस बिना माल सप्लाई किए ही जारी कर दिया। बिना जीएसटी चुकाए सिर्फ इनवॉइस जारी कर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) पास ऑन कर दिया। नागेंद्र प्रताप ने बताया कि जांच में पाया गया कि नैमिष इंटरप्राइजेस को गलत फायदा पहुंचाने के लिए कर सलाहकार दीपेश बोहरा ने इस घोटाले को अंजाम दिया। जांच में पता चला है कि फर्म के जीएसटी नंबर में प्रयुक्त मोबाइल और फर्म के बैंक खाते का संचालन भी दीपेश बोहरा द्वारा किया जाता है।

कर सलाहकार दीपेश के फ्रीगंज स्थित कार्यालय और भागसीपुरा स्थित आवास में सर्चिंग के दौरान नैमिष इंटरप्राइजेस के प्रोप्रराइटर नैमिष शर्मा के हस्ताक्षर किए हुए इनवॉइस व चेक बुक भी मिले। उन्होंने बताया कि नैमिष इंटरप्राइजेस द्वारा जारी इनवॉइस पर जिन फर्मों ने आईटीसी लिया है, उन्हें भी जांच के दायरे में लिया गया है। जांच में घोटाले की रकम बढ़ने की उम्मीद है।

शाजापुर की तीन फर्मों के खिलाफ भी 1.89 करोड़ के फेक आईटीसी का केस

इंस्पेक्टर नागेंद्र ने बताया कि शाजापुर की तीन फर्म श्रीनाथ ट्रेडर्स, धनराज ट्रेडर्स और सोनी ट्रेडर्स के खिलाफ भी एक करोड़ 89 लाख के फर्जी आईटीसी का मामला जांच में मिला है। तीनों फर्मों के विरुद्ध जीएसटी चोरी का केस दर्ज किया गया है। तीनों फर्मों की ओर से बिना माल सप्लाई किए ही बिल जारी किया जाता था, जिस पर बिल प्राप्त कर्ता द्वारा आईटीसी का लाभ लेता था। इस तरह से जीएसटी की चोरी की जाती थी।

क्या है आईटीसी

इंस्पेक्टर नागेंद्र प्रताप ने बताया कि एक हजार रुपए में खरीदे गए माल पर बिल में 12 प्रतिशत की दर से 120 रुपए जीएसटी का आईटीसी खरीदने वाले क्रेडिट अकाउंट में क्रेडिट के रूप में जमा रहता है। खरीदार जब माल को फिर से 1200 रुपए में बेचेगा, तो उसे 12 प्रतिशत की दर से बिल राशि पर जीएसटी के 144 रुपए चुकाने होंगे। इस 144 रुपए में से 120 रुपए आईटीसी से और 24 रुपए नकद रूप में चुकाने होंगे।



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