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इंदौर12 मिनट पहले
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एरोड्रम क्षेत्र में रहने वाली 12 साल की नाबालिग बालिका ने मंगलवार शाम घर में फांसी लगा ली। मामले में गुरुवार को बयान के दौरान एक नया खुलासा हुआ है। नाबालिग अपनी सहेली पर दबाव बनाने के लिए फांसी का नाटक कर रही थी। इसी दौरान गलती से कुर्सी खिसक गई और फंदा उसके गले में कसा गया। नाबालिग ने अपने हाथ पर SORRY G भी खुरचकर लिखा था। वहीं, उसके पास से सहेली के नाम एक सुसाइड नोट भी मिला था। उसमें लिखा है कि हम दोनों से गलती हो गई है, माफ करना, ओके बाय-बाय फॉरेवर।
लड़के से दोस्ती के लिए सहेली पर बना रही थी दबाव
थाना प्रभारी राहुल शर्मा के अनुसार 12 साल की नाबालिग ने जिस सहेली के नाम लेटर छोड़ा था, गुरुवार को उसके बयान लिए गए। सहेली के दुखद निधन के बाद वह काफी डरी-सहमी थी। उससे पूछताछ करने में करीब 2 घंटे का समय लगा। बच्ची ने बताया कि उससे एक लड़का दोस्ती करना चाहता था। वह मेरी मृतक सहेली का भी दोस्त था। उसने मुझे कई बार उससे दोस्ती करने को कहा, लेकिन मैंने हर बार मना कर दिया। इसके बाद मेरी सहेली ने मुझे कई बार डराया और उससे दोस्ती करने का दबाव बनाया। मेरे नहीं मानने के बाद उसने अपने हाथ पर कुछ शब्द भी खुरच लिए थे। मैंने घटना के दो तीन दिन पहले से ही उससे बात करना बंद कर दिया था। उसने मुझसे बात करने की कोशिश भी की, लेकिन मैं उससे दूर रही। इसी को लेकर वह मुझे फांसी का नाटक कर डराना चाह रही होगी।
आंधे घंटे पहले पिता ने बेटी से की थी बात
बयान में पिता ने पुलिस को बताया कि बेटी से आधे घंटे पहले ही बात की थी। घर में काम चल रहा था, इसलिए मैंने उससे बात कर घर का हालचाल जाना था। हम दो दिन पहले ही पितृ पर्वत पर हम सब घूमने गए थे। बेटी के स्वभाव से ऐसा नहीं लग रहा था कि वह किसी वजह से परेशान है। उसे हमने मोबाइल इसलिए दे रखा था कि वह घर पर बड़ी थी। नौकरीपेशा होने से हमें घर आने में देरी हो जाया करती थी। मोबाइल होने से हम उनके बारे में जानकारी ले लिया करते थे।
यह है मामला
एरोड्रम पुलिस के अनुसार, मृतका 7वीं की छात्रा थी। परिजनों के अनुसार वह वीडियो बनाने, क्लासिकल डांस करने और पढ़ने में होशियार थी। उनकी दूसरी मंजिल पर प्लंबरिंग और फ्लोरिंग का काम चल रहा है। उसने सभी मजदूरों को चाय पिलाई। शाम करीब 4.45 बजे उसने तल मंजिल स्थित मकान में फांसी लगा ली। वह जब फंदे पर लटकी, तभी पड़ोस में रहने वाली दादी का आना हुआ। वह पोती को लटका देख चीखीं, लेकिन कोई पड़ोसी देखने नहीं आया। वह अकेली ही उसे उतारने की कोशिश करती रहीं। फिर बहन ने फोन लगाकर जानकारी दी। मैंने दोस्तों को फोन लगाया। सभी घटनास्थल पहुंचे और बेटी को निजी अस्पताल ले गए। रास्ते में उसे पंपिंग की, लेकिन वह नहीं बची। मेरे दो छोटे बच्चे और हैं, वे दादी के घर में थे।