संकट में शिक्षक: टीचिंग छोड़ खेती करने लगे, घर चलाने कोई बन गया सेल्समैन; कोचिंग संस्थानों के अनलॉक नहीं होने से बड़ी मुसीबत

संकट में शिक्षक: टीचिंग छोड़ खेती करने लगे, घर चलाने कोई बन गया सेल्समैन; कोचिंग संस्थानों के अनलॉक नहीं होने से बड़ी मुसीबत


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इंदौरएक दिन पहले

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29 साल पढ़ाया, नौ माह के संकट ने तंगहाल बना दिया

लॉकडाउन में शहर के कोचिंग संस्थान क्या बंद हुए, शिक्षकों के सामने घर चलाने का संकट खड़ा हो गया। पूरा शहर अनलॉक हो गया, लेकिन कोचिंग संस्थानों को अनुमति नहीं मिलने से शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है।

25 साल कोचिंग की, अब खेती बनी घर का सहारा

कोचिंग संचालक महेंद्र जोशी ने बताया 25 साल से कोचिंग पढ़ा रहे हैं। कोरोना के कारण भंवरकुआं और गीता भवन पर 2 कोचिंग सेंटर और 2 लाइब्रेरी बंद कर हरदा शिफ्ट होना पड़ा। आजीविका चलाने के लिए हरदा में खेती करने के साथ बचे समय में ऑनलाइन स्टूडेंट्स के डाउट्स क्लियर कर रहे हैं। प्रशासन कोचिंग खोलने की अनुमति दे देगा तो इंदौर लौट आएंगे।

29 साल पढ़ाया, नौ माह के संकट ने तंगहाल बना दिया
29 साल से कोचिंग पढ़ा रहे शिक्षक मनीष भालेराव ने बताया जहां से 29 साल पहले शुरुआत की थी, आज जिंदगी वहीं आकर खड़ी हो गई है। कोरोना से पहले 200 बच्चों की बैच थी। कोचिंग संस्थान बंद होने से अब 22 बच्चे भी पढ़ने नहीं आ रहे। इतने सालों में कोचिंग पढ़ाकर जो पैसा जमा किया था वह मार्च से नवंबर तक लगभग खत्म हो चुका है। अब तो खुद के बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो गया है।

7 साल कोचिंग में पढ़ाया, कोरोना में बंद हुई तो सेल्स मार्केटिंग कर रहे

भंवरकुआं पर प्राइवेट कोचिंग में 7 साल से पढ़ा रहे शिक्षक रोहित चंदेल ने बताया घर में तीन भाई-बहन और माता-पिता हैं, जो पूरी तरह से उनके ऊपर ही आश्रित हैं। मार्च में लॉकडाउन के कारण घर चलाना मुश्किल हो गया। 7 साल की जमा पूंजी पूरी तरह से खत्म हो गई तो नवंबर में शिक्षक की नौकरी छोड़ प्राइवेट कंपनी में सेल्स मार्केटिंग की जॉब शुरू करना पड़ी।



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