Video: छतरपुर के जंगलों में ऐसे गुजर कर रहे बुजुर्ग पति-पत्नी, आस-कोई सुने

Video: छतरपुर के जंगलों में ऐसे गुजर कर रहे बुजुर्ग पति-पत्नी, आस-कोई सुने


जंगलों में बदहाल जीवन गुजारने को मजबूर ये पति-पत्नी.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    December 24, 2020, 12:18 PM IST

छतरपुर. चारों तरफ जंगल, आसपास न कोई घर, न इंसान, आने-जाने के लिए मांगनी पड़े इजाजत, अगर कोई मुसीबत आ जाए तो दूर-दूर तक सुनने-देखने वाला कोई नहीं. पढ़ने-सुनने में ऐसा लगता है जैसे कोई फिल्म चल रही है. फिल्म में कोई कैद है. लेकिन, मध्य प्रदेश के छतरपुर में ये हकीकत है. यहां के बम्होरी पुरवा गांव में बुजुर्ग पति-पत्नी कैदी की तरह ही रह रहे हैं. उनकी इस हालत का कोई और जिम्मेदा नहीं, बल्कि खुद प्रशासन है.

लवकुश नगर तहसील अंतर्गत आने वाले बमहोरी पुरवा गांव में 70 वर्षीय बुजुर्ग बच्चीलाल कुशवाहा और उनकी पत्नी जगिया खेत में बने कच्चे मकान और बगिया में जैसे-तैसे बुढ़ापा काट रहे हैं. बच्ची लाल के दो बेटे हैं और वे दिल्ली में कहीं मेहनत मजदूरी करते हैं. ये पति-पत्नी वन विभाग की लापरवाही से जंगल में कैद हो गए हैं. वन विभाग ने इनके घर के चारों ओर तार से फेंसिंग कर दी है और गेट लगा दिया है. चौकीदार सुन ले तो ठीक, वरना अगर वह ताला लगाकर कहीं चला जाए तो न ये दंपति बाहर जा सकती है, न इनसे मिलने वाला कोई अंदर जा सकता है.

दीवाली को रोते ही रह गए पति-पत्नीबुजुर्ग जगिया भावुक होकर बताती हैं कि हमें देखने वाला कोई नहीं. इस दीवाली में तो दोनों सिर्फ रोते रह गए. न किसी ने सुना, न देखा. दरअसल बच्चीलाल को सन 1978  में जमीन खसरा नंबर 1135/ 43 मौजा बमोरी पुरवा में राजस्व एवं वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से स्वत्व एवं आधिपत्य में दी गई थी. इसका रकबा 2 हेक्टेयर था.  शासन से जमीन मिलने के बाद बच्ची लाल ने इस अनुपजाऊ, उबड़-खाबड़ जमीन पर मेहनत से कच्चा घर बनाया और अपने परिवार के साथ रहने लगा. इसी जमीन पर वह खेती करता है और परिवार पालता है. इसी खेती पर उसने शासन से लोन लेकर एक कुआं खोदा और डीजल पंप भी लगवा लिया. बुजुर्ग दंपति ने यहां कुछ जानवर भी पाल रखें हैं.

वन विभाग ने बिना जाने रोप दिये बांस

जानकारी के मुताबिक, जून 2019 में बमहोरी पुरवा के इसी इलाके में वन विभाग द्वारा लगभग 60 हेक्टेयर में बांस रोपण शुरू किया गया. जिस इलाके में बांस रोपण कार्यक्रम शुरू किया गया उसी इलाके के बीच में बच्चीलाल की जमीन भी आती है. वन कर्मियों ने बुजुर्ग बच्चीलाल को कहा कि ये जमीन वन विभाग की है और उसे खाली करनी होगी. पति-पत्नी परेशान हो गए और अधिकारियों के चक्कर लगाए. जब अधिकारियों ने नहीं सुनी तो मामला लवकुश नगर व्यवहार न्यायाधीश के न्यायालय में लगाया गया.

वन विभाग ने लगा दिया गेट

इस बीच वन विभाग का बांस रोपण पूरा हो गया और तार फेंसिंग होकर गेट भी लगा दिया गया है. अब हालात ये हैं कि पिछले एक साल से ये बुजुर्ग पति-पत्नी वन विभाग द्वारा बनाई चारदीवारी के बीच कैदियों जैसा जीवन गुजारने को मजबूर हैं. उनसे मिलने कभी कोई रिश्तेदार भी आता है तो उन्हें बमुश्किल अंदर जाने को मिलता है. रात में चौकीदार गेट को ताला लगाकर चला जाता है. अब ऐसे में अगर रात में बुजुर्ग दंपत्ति को कोई परेशानी आ जाए तो वो चिल्लाने के अलावा कुछ नही कर सकते. एडीएम छतरपुर ने मामले में संज्ञान लिया है. उनका कहना है कि अधिकारियों से बात कर बुजुर्ग दम्पप्ति के आने जाने के लिए रास्ता दिलवाने के प्रयास किए जाएंगे.





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