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दमोहएक घंटा पहले
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- जो काल के वश में होता है वो ही करता है विकराल रूप धारण: आचार्यश्री
जबलपुर नाका स्थित श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ससंघ के द्वारा शीतकालीन वाचना में समयसार की क्लास एवं मंगलदेशना की शुरूआत की गई।
आचार्य श्री ने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि समय को आप न रोक सकते हैं और न ही जीत सकते। काल को यदि इस दुनिया में कोई रोक सकता है तो वो है अरिहंत परमेष्ठी, क्योंकि अरिहंत परमेष्ठी काल के वश में नहीं होते। जो काल के वश में होता है वो ही विकराल रूप धारण करता है। इसलिए काल के वशीभूत न होते हुए काल को जीतने की बात करना चाहिए।
जो काल को जीत लेता है वो परमात्मा बन जाता है। काल को जीतने के लिए आत्मा को पाने के लिए, उस म्रत्यु को जीतने के लिए ये समयसार ग्रंथ है। आचार्य श्री ने बताया कि आपके अच्छे पुण्य हैं तो आपको मनुष्य जीवन मिल गया। जैन कुल मिल गया और देवशास्त्र गुरू मिल गए, शरीर स्वस्थ्य मिल गया और यदि पुण्य हैं तो आपको ऐसा सत्संग का माहौल मिल गया। कमेटी के महामंत्री सुधीर विद्यार्थी ने बताया कि 25 दिसंबर की दोपहर 2 बजे शीतकालीन वाचना की कलश स्थापना मंदिर में होगी।