भोपाल में बेसहारा लोग बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं.
भोपाल की कड़कड़ाती ठंड में उन लोगों के रहने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं जो बेघर हैं. प्रशासन हालांकि रैन बसेरा के लिए जरूरी निर्देश दे चुका है, लेकिन अब इनमें जगह नहीं बची. बेसहारा लोग बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
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December 25, 2020, 1:02 PM IST
भोपाल के तीनों रैन बसेरों पहला सुल्तानिया अस्पताल के सामने, न्यू मार्केट और नादरा बस स्टेण्ड का नगर निगम कमिश्नर और संभाग कमिश्नर ने निरीक्षण तो किया था, लेकिन इसके बाद गरीब लोगों की सुध लेने कोई नहीं आया. संभाग आयुक्त ने निर्देश दिए थे कि जो लोग सर्दी में सड़कों पर सो रहे हैं उनको रैन बसेरा में लाकर सुलाया जाए. बिना मास्क के किसी भी व्यक्ति को रुकने नही दिया जाए. रैन बसेरा कोरोना की गाइड लाइन का पूरा पालन करते हुए गरीबों की मदद करें.
बढ़ते जा रहे भीख मंगवाने वाले गिरोह
गौरतलब है कि शहर में भीख मंगवाने वाले गिरोह लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ये गिरोह मासूम बच्चों और महिलाओं से हर चौराहे पर भीख मंगवाते हैं. ये महिलाएं और बच्चे खुले में रात गुजारते हैं, इनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती. इस स्थिति में इनमें से कई लोग ठंड से मर भी जाते हैं, या कई असामाजिक तत्वों का शिकार बन जाते हैं.इंदौर के भी यही हालात
इंदौर में रात के तापमान में दिनों दिन गिरावट आने से ठंड भी धीरे-धीरे अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है. ऐसे में ठंड से बचने के लिए सैकड़ों लोग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एमजी रोड, राजवाड़ा, मंदिरों, धर्मशाला और ऐतिहासिक भवनों में रात गुजारने पर मजबूर हैं. ऐसे में उन लोगों को मुसीबत बढ़ गई है, जिनके पास आधार कार्ड या किसी तरह का कोई परिचय पत्र नहीं है, क्योंकि रैन बसेरों में रुकने के लिए परिचय पत्र जरूरी है. यही वजह है कि ये लोग रात में बाहर फुटपाथ पर सोने को मजबूर होते हैं.
कड़कड़ाती ठंड में बेघर लोग कैसे रह हैं, ये जानने के लिए हमारे चैनल की टीम ने जब शहर के फुटपाथों और रैन बसेरों का रात में जायजा लिया तो तकलीफ स्पष्ट दिखाई देने लगी. ठंड का मुकाबला करने सैकड़ों लोग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के आसपास अलाव तापते नजर आए. नगर निगम ने शहर में बाहरी लोगों के आराम और शहरी फुटपाथियों के लिए 12 रैन बसेरा बनाए हैं, जो शाम 6 से सुबह 8 बजे तक खुले रहते हैं. लेकिन, आधार कार्ड के अभाव में लोगों को रैन बसेरों में घुसने नहीं दिया जाता. इसलिए वो खुले में सोने को मजबूर हैं.