पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है…: 6 साल के बेटे के दिल में छेद; 15 हजार रुपए कमाने वाले पिता ने साढ़े तीन साल में जुटाए 1.70 कराेड़, अब अमेरिका में हो सकेगी सर्जरी

पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है…: 6 साल के बेटे के दिल में छेद; 15 हजार रुपए कमाने वाले पिता ने साढ़े तीन साल में जुटाए 1.70 कराेड़, अब अमेरिका में हो सकेगी सर्जरी


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(अजय वर्मा) भोपाल9 मिनट पहले

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पिता के प्यार के सहारे पिछले छह साल से सांसों की डोर खींच रहा प्रियांशू।

  • भोपाल का प्रियांशु फरवरी में अमेरिका के बोस्टन में इलाज के लिए जाएगा

ये कहानी है तीन साल 8 महीने से बिना थके जिंदगी की जंग लड़ रहे पिता और उसके छह साल के बेटे की जिद की। प्रियांशु पिता के प्यार के सहारे पिछले छह साल से सांसों की डोर खींच रहा है, वहीं पिज्जा डिलीवरी का काम करके 15 हजार कमाने वाले सागर मेश्राम भी बेटे के इलाज के लिए 3 साल 8 महीने से रात-दिन इलाज की रकम जुटाने में लगे हुए थे।

आखिरकार उनके संघर्ष के चलते इलाज की रकम 1 करोड़ 70 लाख रुपए उन्होंने जुटा लिए हैं। अब उम्मीद है कि उनके बेटे का अमेरिका के बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में इलाज फरवरी में हो सकेगा। सागर के संघर्ष और न टूटने वाले यकीन की कहानी उन्हीं की जुबानी….

डॉक्टर्स ने कहा था- बेटे की जिंदगी कम बची, उसके साथ बचा हुआ समय बिताओ

^भोपाल के भदभदा इलाके में रहता था। 25 साल की उम्र में एक बेटी और बेटा होने के बाद लगा कि अब जिंदगी में क्या चाहिए। प्रियांशु चार महीने का था, एक दिन अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टर्स ने बताया कि वह डबल आउटलेट राइट वेन्ट्रीकल विद लार्ज मस्कुलर वेन्ट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट बीमारी से पीड़ित है।

उसके दिल के बीच में एक बड़ा छेद हो गया है। जिससे खून हार्ट की जगह सीधे लंग्स में बहुत प्रेशर से जाता है। इलाज के लिए मैं दिल्ली एम्स पहुंचा। यहां पर डॉक्टरों ने कहा- ये सर्जरी बच्चे के जन्म के एक से दो सप्ताह के अंदर ही होती है। अब संभव नहीं है। डॉक्टर्स की सलाह पर दिल्ली के फोर्टीस एस्कॉर्ट अस्पताल के डॉ. केएस अय्यर से मिला।

यहां पर उन्होंने कहा कि तीन ऑपरेशन होंगे, लेकिन प्रियांशु 10 साल से ज्यादा नहीं जी पाएगा। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य अभियान के तहत मिले एक लाख रुपए से 13 जनवरी 2015 को प्रियांशु की पहली सर्जरी हुई। दूसरी सर्जरी एक साल बाद होना थी। मुंबई बहुत महंगा है तो मैं पत्नी और बेटे के साथ पुणे आ गया। यहां पर पिज्जा डिलीवरी का काम शुरू किया। दूसरी सर्जरी के लिए पैसों का इंतजाम करना था। आखिरकार मैंने भोपाल का घर बेच दिया। जनवरी 2016 में दिल्ली पहुंचे तो डॉक्टर ने कहा कि अब दूसरी सर्जरी संभव नहीं है। बस बचे हुए समय को बेटे के साथ अच्छे से बिताओ। देश के दिल्ली,

मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद के बड़े अस्पतालों के
दरवाजे खटखटाए। हर जगह वहीं जवाब मिला। लेकिन मैंने उम्मीद की डोर नहीं छोड़ी। सोशल मीडिया पर बेटे की बीमारी के बारे में पोस्ट किए। बीमारी से जुड़े वीडियो देखे। तब पता चला कि बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल (यूएसए) में इलाज हो जाएगा।

वीडियो में इस बीमारी के इलाज के बारे में बताया था। टूटी-फूटी अंग्रेजी में हॉस्पिटल को मेल किया। जवाब आया कि पहले 50 हजार फीस भरो। पैसे तो थे नहीं तो मैंने अपनी कहानी लिखकर भेज दी। एक माह तक मैं हर रोज उन्हें एक मेल भेजता रहा। आखिरकार बताया गया कि इलाज संभव है, लेकिन 65 लाख का खर्च आएगा। जो अब बढ़कर 1 करोड़ 70 लाख हो गया है। हालांकि अब उम्मीद है कि इलाज हो जाएगा। रुपए जमा कर दिए हैं।
( जैसा कि प्रियांशु के पिता सागर मेश्राम ने भास्कर को बताया)

सागर के संघर्ष को देख विदेशों से भी सहायता मिली
बेटे के इलाज की ये रकम जुटाने के लिए सागर सोशल मीडिया साइट्स पर जंग छेड़ रखी थी। इतना ही नहीं नौकरी के बाद खाली समय में बेटे के इलाज के लिए सड़क पर उतरकर प्रचार करता था। सागर के संघर्ष को देखकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय और विदेशी नागरिकों ने भी इलाज के लिए रकम जुटाने में आगे आए। लोगों ने भी इलाज के लिए रकम देने में पीछे नहीं हटे।

परिवार को अब सरकार से आस मदद मिल जाएगी तो परिवार संग जाएंगे
प्रियांशु के परिवार को अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आस है कि बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में इलाज कराने जाने के लिए जो खर्च आएगा। उसमें सरकार मदद करे। इसके लिए परिवार अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए समय मांग रहा है।



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