अस्पताल में अव्यवस्थाएं: एसडीएम से प्रसूता बोलीं- साहब! हमसे 700 रुपए लिए, स्टाफ की सफाई- इन लोगों ने खुशी से दिए

अस्पताल में अव्यवस्थाएं: एसडीएम से प्रसूता बोलीं- साहब! हमसे 700 रुपए लिए, स्टाफ की सफाई- इन लोगों ने खुशी से दिए


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मुरैना3 मिनट पहले

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एसडीएम की सिविल सर्जन को दो- टूक हालात सुधारिए, कलेक्टर साहब को देनी है रिपोर्ट

  • जननी सुरक्षा व प्रसूति सहायता के नाम पर भी अस्पताल में वसूली
  • सुविधा शुल्क नहीं, इसलिए 1200 से अधिक केस पेंडिंग

साहब! ओपीडी में तो डॉक्टर बैठते ही नहीं हैं, वार्डों में वे राउंड लेने के लिए नहीं आते। ऐसे में हम अपने मरीजों को किसे दिखाएं। यह शिकायत जिला अस्पताल के मेटरनिटी, सर्जिकल, मेल-फीमेल वार्डों में भर्ती मरीजों व उनके अटेंडेंट ने शनिवार को निरीक्षण करने के लिए पहुंचे एसडीएम आरएस वाकना से कही।

इतना ही नहीं मेटरनिटी में भर्ती प्रसूताओं न खुलेआम कहा कि हां, हमसे डिलीवरी के बाद स्टाफ नर्स, दाइयों ने 500 से 700 रुपए लिए। हालांकि स्टाफ ने अपनी सफाई में कहा कि सर, हमने रुपए नहीं लिए। इन लोगों ने अपनी खुशी से दिए।

इस पर एसडीएम ने कहा कि मैंने पिछली बार भी कहा था कि रुपए लेने की परंपरा बंद करो। अभी यह खुशी व स्वेच्छा की बात है, बाद में स्टाफ इसे अपना अधिकार मानकर जबरिया वसूली करते हैं। हालांकि हकीकत यह है कि मेटरनिटी में सुविधा शुल्क नहीं देने पर प्रसूताओं को इलाज तो छोड़िए निजी नर्सिंग होम्स अथवा ग्वालियर रैफर कर दिया जाता है।

दरअसल कलेक्टर अनुराग वर्मा ने एसडीएम की ड्यूटी हर शनिवार को जिला अस्पताल के निरीक्षण के लिए लगाई है। पिछले निरीक्षण में पलंग पर चादरें व खिड़कियों-जंगलों पर गंदगी व कवर्ड न करने के इंतजाम तो सही हो गए लेकिन मरीजों की मूलभूत समस्या यानि इलाज की व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं मिला।

60 से अधिक डॉक्टर, फिर भी खली रहती है ओपीडी

जिला अस्पताल में 60 से अधिक डॉक्टर हैं लेकिन सुबह 10 बजे से शुरू होने वाली ओपीडी के अधिकांश चेंबर खाली रहते हैं। सुबह 11 बजे तक तो डॉक्टर सर्दी के मौसम में अपने चेंबर में न बैठकर धूप में बैठकर गप्पे लगाते हैं। वहीं दोपहर एक बजते ही अधिकांश डॉक्टर अपने-अपने क्लीनिक व नर्सिंग होम पर रवाना हो जाते हैं। दोपहर बाद की शिफ्ट में डॉक्टर्स को ओपीडी में बैठने के निर्देश हैं लेकिन शाम को इक्का-दुक्का डॉक्टर ही शनिवार को नजर आए।

वार्ड में भर्ती मरीज बोले- डॉक्टर राउंड लेने ही नहीं आते

एसडीएम वाकना सुबह 11 बजे जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले वार्डों का निरीक्षण किया। पिछले निरीक्षण में उन्होंने पलंग पर चादर न होने व खिड़कियों-जंगलों को बंद कराने की बात कही थी। इसलिए वे सबसे पहले उन्हीं चीजों को देखने पहुंचे कि सुधार हुआ या नहीं।

यह व्यवस्थाएं तो दुरुस्त दिखीं लेकिन वार्ड में भर्ती मरीजों ने उन्हें अपनी समस्या सुनाते हुए कहा- साहब, डॉक्टर वार्ड में राउंड लेने ही नहीं आते, ऐसे में हमारे मरीज दो-दो दिन तक बिना ट्रीटमेंट के सिर्फ नर्सों के भरोसे अस्पताल में पड़े हुए हैं। इस पर एसडीएम व सीएमएचओ डॉ. आरसी बांदिल ने सिविल सर्जन डाॅ. अशोक गुप्ता से पूछा कि इस तरह की शिकायतें क्यों… तो सिविल सर्जन निरुत्तर हो गए।

सरकारी सहायता के एक हजार से अधिक केस लंबित

सुरक्षित प्रसव के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही जननी सुरक्षा योजना व प्रसूति सहायता योजना का लाभ भी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा है। प्रसूति सहायता के रूप में महिला को 4 हजार रुपए आंगनबाड़ी से तथा 12 हजार रुपए जिला अस्पताल में प्रसव होने के बाद मिलते हैं लेकिन प्रसव के समय ऐसी महिलाओं से 1500 से 2 हजार रुपए लिए जाते हैं।

प्रसव होने के बाद महिलाओं के केस फाइनल करने के नाम पर संबंधित योजना का काम देख रहे स्टाफ द्वारा 2 हजार रुपए लिए जाते हैं। जो नहीं देते, उनके दस्तावेज में कमी बता दी जाती है। वर्तमान में इन योजनाओं के एक हजार से अधिक केस अभी भी पेंडिंग हैं।

इन 2 उदाहरण से जानिए, कैसे मेटरनिटी में होती है लापरवाही

1. शहर के गणेशपुरा इलाके में रहने वाली सीता पत्नी राकेश नामक महिला को ब्लीडिंग की शिकायत पर परिजन 4 दिन पहले मेटरनिटी में ले गए। स्टाफ नर्स ने महिला के परिजन से ग्लव्स व अन्य सामान मंगवा लिया लेकिन उसका चेकअप नहीं किया। जब परिजन ने कहा कि मरीज को देख तो लो तो नर्सों ने कह दिया कि यहां इलाज नहीं हो सकता। हम पेशेंट को ग्वालियर रैफर कर रहे हैं। तब पीड़ित महिला को परिजन शहर के निजी नर्सिंग होम लेकर पहुंचे और इलाज हो सका।

2. शहर में ही रहने वाले मोहन अपनी पत्नी को प्रसव के लिए मेटरनिटी में लेकर पहुंचे। रात के वक्त सीजर न होने की बात कहकर डॉक्टर ने उसे ग्वालियर रैफर कर दिया, तब तक प्रसूता के दर्द बंद हो गए। 2 दिन बाद दोबारा उसे दिन के समय मेटरनिटी में भर्ती कराया गया लेकिन ड्यूटी डॉक्टर ने ब्लड प्रेशर कम होने की बात कहकर फिर ग्वालियर रैफर कर दिया। अंतत: महिला के परिजन उसे लेकर ग्वालियर गए तब कहीं उसका प्रसव हो सका।

सीएस को कमियां दूर करने के लिए कहा है

जिला अस्पताल के निरीक्षण में मरीजों ने वार्ड में डॉक्टर के राउंड न लेने तथा मेटरनिटी में रुपए लेने की शिकायत सामने आई है। सीएस को इन कमियों को दूर करने के लिए कहा है। साथ ही निरीक्षण रिपोर्ट कलेक्टर को देंगे।

-आरएस वाकना, एसडीएम मुरैना



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