इस मामले में कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान एफआईआर दर्ज हुई थी. यह FIR ईओडब्ल्यू ने रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह की जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की थी. क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार सभी आरोपियों पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके. इस मामले में कुठियाला को कई बार ईओडब्ल्यू ने पूछताछ के लिए बुलाया था. उनसे कई घंटों की पूछताछ भी की गई थी, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया.
इन लोगों को बनाया गया था आरोपी
1- बृजकिशोर कुठियाला- इनकी नियुक्ति 19 जनवरी 2010 को हुई थी. आरोप थे कि इन्होंने अपने 8 साल 3 महीने के कार्यकाल में इन्होंने संघ से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाया. उन्होंने खुद तो लंदन की यात्रा की ही, पत्नी को भी विवि के खर्चे पर यात्रा कराई. इस राशि को 5 महीने बाद एडजस्ट किया गया. विवि के खर्च पर 13 ऐसे टूर पर गए जिसमें प्रशासनिक व वित्तीय नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया. ब्लेडर सर्जरी के लिए 58,150 रुपए, आंख के ऑपरेशन के लिए 1,69,467 रुपए का भुगतान भी विवि से प्राप्त किया. विवि में अनधिकृत तौर पर लैपटॉप, आई-फोन खरीदे गए, जिनका उन्होंने उपयोग किया. विवि के पैसे से महंगी शराब खरीदी गई.2-डॉ अनुराग सीठा- विवि के कम्प्यूटर विभाग प्रोफेसर के पद पर पदस्थ हैं. आरोप था कि इन्होंने नौकरी के दौरान एमसीए का कोर्स किया. इन पर फर्जी तरीके से नियुक्ति पाने का आरोप है.
3-डॉ पी शशिकला- न्यू मीडिया विभाग में प्रोफेसर. आरोप था कि इन्हें कुठियाला ने तीन प्रमोशन दिए.
4-डॉ पवित्र श्रीवास्तव- वर्तमान में जनसंपर्क विभाग और प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर पदस्थ हैं. आरोप था कि इन्हें कुठियाला के कार्यकाल में प्रोफेसर बनाया गया.
5-डॉ अविनाश वाजपेयी- प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर. प्लेसमेंट अधिकारी थे. पर्यावरण में पीएचडी और प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर और विभाग अध्यक्ष भी बन गए थे.
6-डॉ अरूण कुमार भगत- संघ से जुड़े हुए थे. इन्हें अभी हाल में भोपाल कैंपस लाया गया था, लेकिन ये यहां नहीं रह सके और दो साल के लियन पर दिल्ली चले गए.
7-प्रो संजय द्विवेदी- जनसंचार विभाग में प्रोफेसर. रजिस्ट्रार और जनसंचार विभाग के अध्यक्ष पद से हटाया गया. बिना पीएचडी किए प्रोफेसर बने.
8-डॉ मोनिका वर्मा- नोएडा कैम्पस भेज दिया गया. कम एक्सपीरियंस के बावजूद रीडर बनाया. इसके बाद प्रोफेसर बना दिया गया.
9-डॉ कंचन भाटिया- वर्तमान में प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर हैं. इनकी एपीआई कम्पलीट नहीं है. कुठियाला के राज में इनकी फर्जी नियुक्ति की गई.
10-डॉ मनोज कुमार पचारिया- वर्तमान में कम्प्यूटर विभाग में प्रोफेसर हैं. इनकी एपीआई कम्पलीट नहीं है. इनकी फर्जी नियुक्ति का आरोप है.
11-डॉ आरती सारंग- भाजपा विधायक विश्वास सारंग की बहन हैं. वर्तमान में विवि में लाइब्रेरियन के पद पर पदस्थ हैं. आरोप है कि एपीआई कम्पलीट न होने के बावजूद इन्हें प्रोफेसर की रैंक दी गई.
12-डॉ रंजन सिंह- अभी पत्रकारिता विभाग में हैं. इनकी नियुक्ति आरक्षण के तहत की गई थी, जबकि मप्र से बाहर वालों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. इनके ऊपर कोर्ट केस भी लगा है.
13-सुरेन्द्र पाल- तबादला नोएडा कैंपस में कर दिया गया है. प्रोफेसर मोनिका वर्मा के पति हैं. इन पर भी आरक्षण का लाभ लेकर फर्जी तरीके से नियुक्ति लेने का आरोप है. मप्र के बाहर के हैं.
14-डॉ सौरभ मालवीय- पत्रकारिता विभाग में सहायक प्राध्यापक. कुठियाला ने इन्हें तीन बार नियुक्ति दी. इनकी नियुक्ति सबसे विवादित रही.
15-सूर्य प्रकाश- इनकी नियुक्ति में आरक्षण का लाभ दिया गया है, जबकि ये मप्र के बाहर के निवासी हैं. वर्तमान में नोएडा कैम्पस में शिक्षक हैं.
16-प्रदीप कुमार डहेरिया- जनसंचार विभाग में सहायक प्राध्यापक. कंप्यूटर ऑपरेटर से शिक्षक के पद पर 2014 में नियुक्ति. विवि में काम करते हुए पत्रकारिता की नियमित डिग्री ली.
17-सतेन्द्र कुमार डहेरिया- पत्रकारिता विभाग में सहायक प्राध्यापक. बिना स्टडी लीव लिए विवि में लैब इंस्ट्रक्टर रहते हुए 2005 से 2007 के बीच जगत पाठक इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता की डिग्री ली.
18-गजेन्द्र सिंह अवश्या- जनसंपर्क विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं. डिग्री नौकरी के दौरान ली गई. 2013 में प्रोड्यूसर के पद पर नियुक्ति, 2014 में सहायक प्राध्यापक बन गए.
19-डॉ कपिल राज चंदोरिया- वर्तमान में प्रबंधन विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर हैं. डिग्री संदिग्ध है. कोर्ट में भी केस लगा है.
20-रजनी नागपाल- वर्तमान में नोएडा परिसर में रीडर हैं. पत्रकारिता की डिग्री न होते हुए भी इन्हें नियुक्ति दी गई.