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भोपाल18 मिनट पहले
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भोपाल में कोवैक्सीन का थर्ड फेज का ट्रायल चल रहा है और इसका दूसरा डोज लगाया जा रहा है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को वैक्सीनेशन की तैयारियां परखने के लिए ड्राय रन कराने के निर्देश दिए
मध्य प्रदेश में कोविड-19 की वैक्सीन लगाए जाने की मुहिम शुरू करने से पहले की तैयारियां चालू कर दी हैं। इसके तहत अब ड्राय रन होगा। राजधानी भोपाल के तीन प्वाइंट पर ड्राय रन होगा। इससे पहले देश के चार राज्यों- असम, आंध्र प्रदेश, गुजरात और पंजाब में कोविड-19 वैक्सीन का ड्राय रन 28-29 दिसंबर को हुआ था। आज यानि गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को वैक्सीन को लेकर ड्राय रन कराने के निर्देश जारी कर दिए। राज्यों की राजधानी के कम से कम तीन प्वाइंट पर ड्राय रन कराया जाएगा।
को-विन प्लेटफॉर्म पर होंगे रजिस्ट्रेशन
राजधानी भोपाल के तयशुदा केंद्रों पर लोगों को इस वैक्सीन की डोज़ देने की मॉक ड्रिल जाएगी। इसके लाभार्थियों का को-विन आईटी प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। इसके बाद उन्हें मैसेज के जरिए कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए वक्त और जगह के बारे में बताया जाएगा। इस ड्राय रन के लिए एक विस्तृत चेक लिस्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तैयार की है और इसे राज्यों के साथ साझा किया गया है।
वर्कशॉप और रजिस्ट्रेशन
ड्राय रन शुरू करने से पहले वैक्सीनेशन के काम में लगने वाले कर्मचारियों के लिए एक स्पेशल ट्रेनिंग वर्कशॉप होगी। इसके अलावा, को-विन ऐप की भी जांच-परख की गई कि यह ऐप ठीक से काम कर रहा है या नहीं। ड्राय रन कराने के केंद्र सरकार के निर्देश आ गए हैं। एक जनवरी को इसकी प्लानिंग और ट्रेनिंग होगी। इसके बाद ड्राय रन कराया जाएगा। जगह भी निश्चित की जाएगी।
राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि, “इन चीज़ों पर काम शुरू किया गया। हमारे पास वैक्सीनेशन के लिए पहले से कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं, जो कि जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।”
डॉ. शुक्ला ने कहा कि कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है और अब इन तैयारियों को जांचने-परखने की ज़रूरत थी क्योंकि वैक्सीन कभी भी आ सकती है। इसलिए ड्राय रन के जरिए वैक्सीनेशन के काम में लगने वाले कर्मचारियों की तैनाती, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाओं, ट्रांसपोर्टेशन के काम और दूसरे इंतजामों का भी परीक्षण किया जा रहा है। ताकि जब वास्तविक वैक्सीनेशन शुरू हो तब किसी तरह की दिक्कत न आए। वैक्सीनेशन के लिए किस तरह के प्रोटोकॉल रहेंगे और इनका कैसे पालन होना है, इसका भी परीक्षण किया जा रहा है। पूरी योजना ये है कि वैक्सीनेशन को लॉन्च करने से पहले इसकी पूरी व्यवस्थाओं और दूसरे पहलुओं को जांच लिया जाए, ताकि बाद में इसे लेकर दिक्कतें ना आएं।
क्या है ड्राय रन?
यह एक रिहर्सल की तरह है। इसमें कोविड-19 वैक्सीन आने के बाद इसे किस तरह से लगाया जाना है? इसकी क्या तैयारियां होनी हैं? इन तमाम चीज़ों का परीक्षण किया जाना है। इसके जरिए यह भी देखा जाएगा कि वैक्सीनेशन के दौरान क्या-क्या अड़चनें आ रही हैं और उन्हें किस तरह से दूर किया जाना चाहिए। इसे मॉक ड्रिल भी कहा जा रहा है।
सबसे पहले हेल्थकेयर वर्कर्स को यह वैक्सीन लगाई जानी है। इसके बाद 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों और उसके बाद पहले से दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को यह वैक्सीन लगाई जानी है। मध्य प्रदेश में इसे लेकर डेटाबेस बन रहा है। लोगों का रजिस्ट्रेशन होगा और फिर उन्हें मैसेज भेजकर वैक्सीन लगाने की तारीख, वक्त और सेंटर की जानकारी दी जाएगी।
ऐसे होगा वैक्सीन का ट्रांसपोर्टेशन
डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि ट्रांसपोर्टेशन से पहले वैक्सीन मध्य प्रदेश के चार स्टेट स्टोर- इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर आएगी। इंदौर-भोपाल में एयरवेज और ग्वालियर-जबलपुर में रेलवे और रोड-वे के जरिए लाई जाएगी। फिर यहां से जिला मुख्यालयों और फिर स्वास्थ्य केंद्रों तक इन्हें पहुंचाया जाना है। को-विन नाम से एक आईटी प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। इसी प्लेटफॉर्म के जरिए वैक्सीन लगाने का पूरे काम को अंजाम दिया जाएगा।
दो दिन में पूरे होने वाले इस मॉक ड्रिल का पूरा ब्योरा और आंकड़े केंद्र को भेजे जाएंगे। अभी तक जो जानकारी है उस हिसाब से इस मॉक ड्रिल में कोई दिक्कत नहीं आई है। वैक्सीनेशन के इस ड्राई रन में वास्तविक वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। वैक्सीन को छोड़कर इससे जुड़ी पूरी प्रक्रियाओं का वास्तविक आधार पर परीक्षण किया जाएगा।
ऐसे होगा लोगों का रजिस्ट्रेशन
डॉ. शुक्ला ने बताया कि कोरोना की वैक्सीन जिन्हें दी जानी है पहले उनका रजिस्ट्रेशन को-विन प्लेटफॉर्म पर होगा। को-विन एक वेबसाइट और ऐप दोनों की शक्ल में रहेगा। जिन लोगों को सबसे पहले ये वैक्सीन लगाई जानी है, उनका डेटा हमारे पास तकरीबन तैयार है। इसकी संख्या करीब 4 लाख है। रजिस्ट्रेशन में एक मोबाइल नंबर और एक फोटो आईडी जरूरी होगा। आईडी में कई विकल्प दिए जा रहे हैं।
इस मॉक ड्रिल में लाभार्थियों का को-विन एप पर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। इसके ज़रिए इस एप में रजिस्ट्रेशन के दौरान कहीं कोई दिक्कत न आए इन चीज़ों को देखा जा रहा है। वैक्सीनेशन के बाद इसी ऐप पर सर्टिफिकेट भी जनरेट हो जाएगा। इसके अलावा, ड्राय रन में वैक्सीनेशन कहां किया जाएगा और इन सेंटरों को कैसे चिह्नित किया जाएगा, इसकी भी पड़ताल हो रही है। इस ड्रिल के जरिए वैक्सीनेशन करने की पूरी प्रक्रियाओं को जांचा और परखा जा रहा है।
ऐसे होंगे सेंटर
जिन सेंटरों में वैक्सीन लगाई जानी है उनमें तीन कमरे होंगे। पहला कमरा वेटिंग रूम होगा, जहां वेरिफिकेशन की प्रक्रिया होगी। दूसरे कमरे में वैक्सीन लगाई जाएगी और तीसरा कमरा ऑब्जर्वेशन रूम होगा। जहां पर वैक्सीन लगने के बाद लाभार्थी को कुछ देर रुकना होगा, ताकि किसी तरह की दिक्कत होने पर चिकित्सकीय सहायता दी जा सके। वैक्सीनेशन के काम के लिए हर साइट सेंटर पर पांच लोग रहेंगे।