न मकानों का वजन काफी हल्का (Lightweight) होता है. हल्के निर्माण होने की वजह से टॉवर पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता.इस तकनीक से भूकंप रोधी मकान बनाए जा रहे हैं इसलिए भूकंप जैसी घटनाओं में ये मकान पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे.
न मकानों का वजन काफी हल्का (Lightweight) होता है. हल्के निर्माण होने की वजह से टॉवर पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता.इस तकनीक से भूकंप रोधी मकान बनाए जा रहे हैं इसलिए भूकंप जैसी घटनाओं में ये मकान पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे.
इंदौर में जापानी तकनीक से बनने वाले लाइट हाउस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन और शिलान्यास 1 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल तरीके से करेंगे. 128 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट के शिलान्यास समारोह में शामिल होने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह, राज्यमंत्री ओ पी एस भदौरिया इंदौर पहुंचेंगे. जबकि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीपसिंह पुरी भी वर्चुअल तरीके से दिल्ली से कार्यक्रम से जुड़ेंगे.
प्रधानमंत्री ने हाउसिंग फॉर ऑल का लक्ष्य रखा है. देश के हर नागरिक को पक्का मकान मुहैया कराना केंद्र सरकार के एजेंडे में है.सभी के लिए घर मिशन के तहत इंदौर के कनाड़िया एक्सटेंशन के गुलमर्ग परिसर-2 में सुबह 10.30 बजे ये कार्यक्रम होगा.प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम के तहत इंदौर में बनने वाले 1024 फ्लैट के बीम,कॉलम और दीवारों की पैनल पहले ही फैक्ट्री से तैयार होकर कार्यस्थल पर आएंगे.जहां उन्हें फिट करना होगा. इस तकनीक से काम जल्दी होगा.
केंद्र-राज्य के सहयोग सेफ्लैट्स के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 128 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं. नगर निगम ने जिला प्रशासन की मदद से जमीन जुटाई है.प्रोजेक्ट के तहत 16 टावर बनाए जाएंगे, जिनका काम लगभग 18 महीने में पूरा करने का लक्ष्य है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री चौहान शुक्रवार सुबह इंदौर पहुंचेंगे. जबकि नगरीय विकास मंत्री गुरुवार रात इंदौर में ही रहेंगे.सीएम कार्यक्रम के बाद इंदौर से शिर्डी रवाना होंगे.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 6 जनवरी को फिर इंदौर आने का कार्यक्रम बन रहा है. उस दौरान वे इंटरनेशनल कार्गो फ्लाइट का शुभारंभ करेंगे और शहर में कई विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करेंगे.
जापानी तकनीक से बनाए जाएंगे मकान
जापान में अक्सर भूंकप के झटके आते रहते हैं.इसलिए वहां लोगों ने ये तकनीक इजाद की है. इसमें ये मकान लाइट वेट होते हैं और भूंकप को आसानी से सहन कर जाते हैं. इनकी लागत भी कम आती है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब भारत में भी इसी तरीके के मकान बनाने की शुरूआत की जा रही है. इन लाइट हाउस प्रोजेक्ट की खास बात ये है कि जहां निर्माण किया जाना है,वहीं पर मकान के बीम,कॉलम और पैनल एक साथ लगाए जाते हैं.ये बनते कहीं और हैं लेकिन जहां मकान बनना होता है,वहां लाकर इसे फिट कर दिया जाता है.
तराई की ज़रूरत नहीं
दूसरे मकानों में बनाने के बाद पानी से तराई करना पड़ता है,लेकिन इस प्रोजेक्ट में तराई की जरूरत नहीं पड़ती है. इससे पानी की बचत होती है. पर्यावरण के लिहाज से इस प्रोजेक्ट को काफी अच्छा माना जाता है. इन मकानों का वजन काफी हल्का होता है. हल्के निर्माण होने की वजह से टॉवर पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता.इस तकनीक से भूकंप रोधी मकान बनाए जा रहे हैं इसलिए भूकंप जैसी घटनाओं में ये मकान पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे.