व्यवस्था बिगड़ी: डोर-टू-डोर कचरा परिवहन व्यवस्था पटरी से उतरी, अवार्डा को फिर दे दिया एक्सटेंशन

व्यवस्था बिगड़ी: डोर-टू-डोर कचरा परिवहन व्यवस्था पटरी से उतरी, अवार्डा को फिर दे दिया एक्सटेंशन


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जबलपुर18 घंटे पहले

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एस्सेल के कर्मचारी लगातार कर रहे लापरवाही

  • बड़ा सवाल- कब एजेंसी बदलेगी और हर घर से कचरा उठेगा कोई नहीं जानता
  • एस्सेल के कर्मचारी लगातार कर रहे लापरवाही, दुबई की कम्पनी भी लगातार बहाने बना रही

शहर में डोर टू डोर कचरा परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतरी नजर आ रही है। केवल कुछ ही क्षेत्रों में कचरा उठवाया जा रहा है और बाकी जगह यह गाड़ी पहुँचती ही नहीं है जिससे लोग घरों के आसपास ही कचरा फेंक रहे हैं और इसकी सजा निगम के कर्मचारियों को मिल रही है।

स्वच्छ सर्वेक्षण को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं और जहाँ भी कचरा मिलता है तो वहाँ के सुपरवाइजर और अन्य कर्मचारियों का या तो वेतन काटा जा रहा है या फिर उन्हें सस्पेंड किया जा रहा है जबकि यह गलती एस्सेल कम्पनी की है क्योंकि यदि हर घर से समय पर कचरा उठा लिया जाए तो लोग आसपास कचरा फेंकेंगे ही नहीं। वहीं जानकारी मिली है कि दुबई की अवार्डा कम्पनी को एक बार फिर एक्सटेंशन दे दिया गया है।

एस्सेल कम्पनी ने पॉवर प्लांट संचालन का कार्य दुबई की कम्पनी अवार्डा को हस्तांतरित कर दिया है लेकिन वह कम्पनी 8 माह बीतने के बाद भी काम चालू नहीं कर पाई है उसके एवज में एस्सेल के कर्मचारी ही बेमन से यह कार्य कर रहे हैं जिसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।

पिछले दिनों यह खबर फैली थी कि बैंक ने पॉवर प्लांट पर कब्जा कर लिया है जबकि पूर्व से ही बैंक ही प्लांट के खाते का संधारण कर रहा है और एमपीईबी से बिजली के बदले जितनी भी राशि मिलती है बैंक अपनी किस्त काटकर बाकी रकम कम्पनी को देता है। इस बीच एस्सेल कम्पनी ने दुबई की कम्पनी अवार्डा को वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का हस्तांतरण करने की एनओसी निगम से माँगी थी जो कि दे दी गई थी।

कचरा ही नहीं उठेगा तो कैसे नम्बर 1 बनेगा शहर

शहर के अधिकांश क्षेत्रों में इन दिनों कचरा गाड़ी नहीं पहुँच रही हैं या फिर पहुँचती भी हैं तो सप्ताह में एक या दो दिन। ऐसे में लोग अपने घरों के आसपास ही कचरा फेंकने लगे हैं और आने वाले दिनों में कभी भी स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम शहर आ सकती है ऐसे में जब हर तरफ कचरा नजर आएगा तो शहर बन चुका नम्बर वन।

मशीनरी देने की शर्त टेंडर में थी ही नहीं

नगर निगम एस्सेल कम्पनी पर इतना मेहरबान है कि कम्पनी को 82 ट्रिपर वाहन, 17 कॉम्पेक्टर दिए गए हैं। कम्पनी को हर माह 70 से 80 लाख रुपयों का पेमेंट किया जाता है। संसाधन देने की शर्त यदि टेंडर में होती तो कई और भी कम्पनियाँ इसमें शामिल होतीं और कम रेट डालतीं, किन्तु साजिश के तहत ऐसा नहीं किया गया था। यहाँ तक की डीजल भी निगम देता है जिसकी राशि बाद में एडजस्ट की जाती है।

तीसरी बार जारी की एनओसी

एस्सेल कम्पनी ने वर्ष 2016 में 178 करोड़ रुपयों से प्लांट की स्थापना की थी। इस प्लांट की क्षमता 11.5 मेगावॉट बिजली बनाने की है। पिछले साल एस्सेल ने प्लांट को दुबई की अवार्डा कम्पनी को सौंपने की एनओसी नगर निगम से ली थी। इसके बाद अप्रेल में एक एनओसी अवार्डा को भी जारी की गई थी कि वह प्लांट को संचालित कर सकती है।

चूँकि अप्रेल के बाद कोरोना तेजी से फैला जिसके कारण कम्पनी के प्रतिनिधि यहाँ नहीं आ पाए और 3 माह की मियाद समाप्त हो गई। इसके बाद निगम ने फिर 3 माह के एक्सटेंशन की एनओसी जारी की थी, अब जानकारी मिली है कि अवार्डा को 31 जनवरी तक का समय फिर दे दिया गया है।



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