Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
जबलपुर36 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
ऑटो ड्राइवर राजकुमार डहारे
- 20 साल से शहर में चला रहे ऑटो, अब तक चार यात्रियों का सामान छूटने पर लौटा चुके
ऑटो ड्राइवर की ईमानदारी देखकर पुलिस वाले भी उसके कायल हो गए। दरअसल ऑटो में एक महिला का आधा किलो के लगभग चांदी के जेवर छूट गए थे। ड्राइवर की नजर बैग पर पड़ी। वह बैग लेकर सीधे बस स्टैंड पुलिस चौकी पहुंच गया। वहां उसने बैग जमा किया।
इस बीच पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर पर मैसेज प्रसारित हो चुका था कि ऑटो में एक महिला का बैग छूट गया है। यदि किसी थाने या चौकी में कोई जमा करता है, ताे सूचना दें। महिला को उसके बैग मिलने की खबर मिली तो वह चौकी पहुंची। जेवर सही सलामत देख उसने ऑटो ड्राइवर को इनाम दिया और उसकी ईमानदारी की प्रशंसा करती रही।
कलेक्ट्रेट से ऑटो में बैठी थी महिला सवारी
जानकारी के अनुसार गंजीपुरा निवासी दीपा राज सहित पांच महिलाएं कलेक्ट्रेट के सामने ऑटो एमपी 20 आर 3561 में सवार हुई थीं। सभी को फुहारा जाना था। ऑटो ड्राइवर घमापुर निवासी राजकुमार डहारे ने 10 रुपए प्रति सवारी की दर पर सभी को सुपर मार्केट स्थित इंडियन काफी हाउस के पास ड्राप किया था। यहां से वह ऑटो लेकर तीन पत्ती की ओर निकल गया। वहां पहुंचने पर उसकी नजर ऑटो में पड़े बैग पर पड़ी। वह बैग लेकर सीधे बस स्टैंड चौकी पहुंच गया।

महिला दीपा राज का बैग छूटा था ऑटो में
बैग गायब पाकर परेशान हो गई थी महिलाएं
उधर, ऑटो से उतर कर महिलाएं फुहारा की ओर निकल गईं। वहां दीपा को बैग की याद आई तो वह परेशान हो गई। उसने लार्डगंज थाने पहुंच कर इसकी सूचना दी। वहां से कंट्रोल रूम को मैसेज किया गया। उसी दौरान पुलिस को पता चला कि एक ऑटो वाला बस स्टैंड चौकी बैग लेकर पहुंचा है। महिला मौके पर पहुंची। बैग खोली तो उसके सारे जेवर सही सलामत थे। ऑटो ड्राइवर राजकुमार की ईमानदारी से प्रभावित दीपा ने इनाम देकर न सिर्फ हौसला बढ़ाया। बल्कि उनकी ईमानदारी के कसीदे भी गाए।
ऑटो से ही मेरे परिवार की चलती है रोटी
टीआई नीरज वर्मा के मुताबिक ऑटो ड्राइवर राजकुमार ने बताया कि ऑटो से ही उसके परिवार की रोटी चलती है। परिवार में 16 साल का बेटा है, लेकिन वह पूरी तरह से मंदबुद्धि है। दो बेटियों में एक 12वीं में पढ़ रही है। दूसरी छोटी है। पत्नी सहित बच्चों का पूरा खर्च किराए से ऑटो चलाकर ही निकालता हूं। शहर की सड़कों पर पिछले 20 साल से ऑटो चला रहा हूं। अब तक अधारताल, रांझी, गोरखपुर और अब बस स्टैंड में यात्री का सामान लौटा चुका हूं। कई बार यात्री हड़बड़ी में सामान भूल कर उतर जाते हैं। कोशिश रहती है कि आसपास के थाने में उनका सामान जमा कर देता हूं।