सत्तासुख: सुरखी को सबसे ज्यादा छठवीं बार मिला मंत्री पद, सागर और बंडा को सिर्फ एक बार ही मिला स्थान

सत्तासुख: सुरखी को सबसे ज्यादा छठवीं बार मिला मंत्री पद, सागर और बंडा को सिर्फ एक बार ही मिला स्थान


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सागरएक दिन पहले

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सागर| मंत्री बनने के बाद लोगों ने गोविंद सिंह का स्वागत किया।

  • गोविंद सिंह राजपूत ने तीसरी बार ली शपथ, सबसे ज्यादा 16 साल रहली में रहा मंत्री पद

सुरखी से भाजपा विधायक गोविंद सिंह राजपूत ने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली। 2 साल 6 दिन के भीतर उन्होंने तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है। यह जिले में दूसरी बार है। इससे पहले गोपाल भार्गव भी 2 साल के भीतर 3 बार मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 2003, 2004 और 2005 में सरकार तो भाजपा की ही रही लेकिन इस दौरान उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। तीनों ही बार नए मंत्रिमंडल का गठन हुआ था।

फर्क सिर्फ इतना है कि गोविंद ने दो सरकारों (कमलनाथ और शिवराज) में तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है, जबकि भार्गव के समय सरकार एक ही रही थी, मुख्यमंत्री जरूर बदले गए थे। सुरखी से पांच अलग-अलग सरकारों में सबसे ज्यादा 6 बार मंत्री का पद आया है। यह जिले में सर्वाधिक है। हालांकि कार्यकाल के हिसाब से सबसे ज्यादा 16 सालों तक मंत्री पद रहली में ही रहा है। व्यक्तियों के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 3-3 मंत्री सुरखी और बीना से बने हैं। जबकि देवरी और नरयावली से 2-2 तो रहली, खुरई, बंडा और सागर से एक-एक व्यक्ति ही मंत्री बन सका है।

सागर, बंडा को सिर्फ एक बार ही सरकार में मंत्री पद मिला है। सागर में तो पिछले 30 सालों से मंत्री पद मिला ही नहीं है। यही वजह है कि सागर नगर रहली और खुरई से विकास में कहीं पीछे है अब एक और चुनौती सुरखी क्षेत्र से भी शुरू हो जाएगी। इसकी वजह यह भी है कि जिले के मंत्री संभागीय मुख्यालय होने के बाद भी सागर से ज्यादा अपने क्षेत्र पर ही फोकस करते हैं। अब चूंकि जिले से तीन मंत्री हो गए हैं ऐसे में आगे भी सागर के कोटे में मंत्री पद आने की संभावना मुश्किल ही हैं।

जिले के विधानसभा क्षेत्रों से मंत्रियों और उनके कार्यकाल की यह रही है स्थिति
सुरखी :
1977 में पहली बार लक्ष्मीनारायण यादव मंत्री बने। कार्यकाल ढाई साल का रहा। स्वर्गीय विट्ठल भाई पटेल 1980 और 85 में मंत्री बने। कार्यकाल 10 साल का रहा। गोविंद सिंह राजपूत 2018 में 15 माह और 2020 में 6 माह के लिए मंत्री बने। 2021 में उन्होंने तीसरी बार शपथ ली है।
रहली : गोपाल भार्गव लगातार 15 सालों तक मंत्री रहे। उन्होंने 2003, 2004, 2005 में क्रमशः उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह के मंत्रीमंडल में शपथ ली। 2008, 2013 में भी मंत्री बने। 2020 में उन्होंने छठवीं बार मंत्री पद की शपथ ली।
बीना : 1969 में ब्रजकिशोर पटैरिया मंत्री बने। कार्यकाल 3 साल का रहा। 1989 में सुधाकर राव वापट मंत्री बने। कार्यकाल 3 साल का रहा। 1997 में प्रभु सिंह मंत्री बने। कार्यकाल करीब डेढ़ साल का रहा।
खुरई : भूपेंद्र सिंह 2013 में मंत्री बने। कार्यकाल 5 साल का रहा। 2020 में उन्होंने दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली।
नरयावली : सुरेंद्र चौधरी 2001 में मंत्री बने। उनका कार्यकाल करीब 2 साल का रहा। 2008 में नारायण प्रसाद कबीरपंथी एक साल के लिए मंत्री बने।
बंडा : 2003 में स्वर्गीय हरनाम सिंह राठौर मंत्री बने। उनका कार्यकाल करीब एक साल का ही रहा।
सागर : 1985 में प्रकाश जैन संसदीय सचिव यानी उप मंत्री बने। कार्यकाल 5 साल का रहा।
देवरी : 1968 और 1977 में डॉ. परशुराम साहू मंत्री बने। पहली बार उनका कार्यकाल एक साल तो दूसरी बार ढाई साल का रहा। 2018 में हर्ष यादव मंत्री बने। उनका कार्यकाल 15 माह का ही रहा।



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