अनदेखी: रैन बसेरा नहीं खुल रहे, बेसहारों को ओटलों पर गुजारना पड़ रही रात

अनदेखी: रैन बसेरा नहीं खुल रहे, बेसहारों को ओटलों पर गुजारना पड़ रही रात


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बड़वाह20 घंटे पहले

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बसेरे के अभाव में बाहर सोने को मजबूर लोग।

  • ठंड में भी रैन बसेरा में लगा है ताला, प्रशासन की अव्यवस्था को लेकर लोगों में रोष
  • सीएमओ ने बुलाई लकड़ियां, कर्मचारियों को अलाव जलाने के नहीं मिले निर्देश

सुबह-शाम पड़ रही ठंड से लोग ठिठुर रहे हैं लेकिन प्रशासन अभी तक ठंड से बेखबर है। गरीबों को ठंड से बचाने के लिए प्रशासन की ओर से कोई पहल नजर नहीं आ रही। जिम्मेदारों ने अभी तक नपा के सामने बने रैन बसेरा को नहीं खोला है और न ही सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं।

कार में बैठकर ऑफिस पहुंचे वाले नपा के जिम्मेदार सीएमओ राधेश्याम मंडलोई ठंड में सिकुड़ रहे गरीब लोगों की सुध नहीं ले रहे। लगातार बढ़ रही ठंड के कारण गरीब, बेसहारा व निराश्रित लोग बेहाल है। नपा के प्रशासक एसडीएम प्रवीण फुलपगारे व सीएमओ हैं लेकिन जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं। सार्वजनिक स्थानों पर अलाव लगाने के लिए सीएमओ ने एक ट्रैक्टर-ट्राली लकड़ियां बुला ली है लेकिन उन लकड़ियों को कर्मचारियों से नपा कार्यालय के ऊपर रखवा दी है लेकिन कर्मचारियों को अलाव जलाने के निर्देश नहीं मिले।

रैन बसेरे में व्यवस्थाएं तो है लेकिन उसका ताला नहीं खोला जा रहा। बेसहारों को ओटलों पर सोना पड़ रहा है। नपा के सामने बने रैन बसेरे के बाहर बोर्ड जरूर लगा रखा है लेकिन रात में चैनल गेट पर ताला लगा रहता है। कोई बेसहारा अपने साधन से भी अंदर नहीं सो सकता। मजबूरी में उसे ओटलों पर सोकर रात गुजरना पड़ रही है। रात 11 बजे रैन बसेरे में ताला लगा हुआ था। आसपास ना कोई कर्मचारी तैनात था ना नपा प्रशासन ने गरीबों को ठंड से बचाने के लिए अलाव की व्यवस्था की।

लोग बस स्टेशन के बरामदे में ही अपने कंबल में लिपटे हुए सिकुड़कर बैठे हुए थे। रैन बसेरे में दो कक्ष है। पहले कक्ष में हमेशा ताला लगा रहता है। पहले उसमें सब्जी व्यापारियों के कैरेट रखे रहते हैं। नपा ने उसे हटा दिया है लेकिन उसमें व्यवस्था नहीं है। न उसकी सफाई होती है न मरम्मत। दूसरे कक्ष में आधार कार्ड का कार्यालय संचालित होता है।

नपा कार्यालय के ऊपर रखी अलाव जलाने की लकड़ियां
नगर पालिका हर साल ठंड से बचाव करने के लिए अलाव की व्यवस्था करती है लेकिन अभी तक शुरू नहीं किया। अस्पताल में जिन मरीजों के परिजनों के पास बिस्तर रहते हैं वह कहीं न कहीं सो जाते हैं लेकिन जिनके पास व्यवस्था नहीं रहती वह अस्पताल परिसर में बैठकर ही रात गुजारते हैं। नगर में कई जगह खुले आसमान के नीचे आशियाना बनाकर स्वयं व परिवार का पेट पालने वाले निर्धन, असहाय डेरा जमाए हुए हैं।

ठंड के मौसम में गर्म कपड़ों का अभाव होने के कारण पूरी रात ठिठुरते हैं। जिम्मेदार अधिकारी कंबल, अलाव तो दूर रैन बसेरों को भी नहीं खोल रहे हैं। रैन बसेरों में पेयजल, प्रकश, कंबल, रजाई, बिस्तर के प्रबंध के साथ अलाव की व्यवस्था होना चाहिए।

सनावद : नगर में नहीं हो रहा रैन बसेरे का संचालन
नगर में बेसहारा लोगों के लिए प्रशासन ने रैन बसरा की व्यवस्था की है लेकिन उसका लाभ नहीं मिल पा रहा। इसके कारण बेसहारा लोग बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या दुकानों के ओटलों पर रात गुजारने को मजबूर है। रैन बसेरों की सबसे ज्यादा आवश्यकता बारिश व ठंड के मौसम में होती है। क्षेत्र में ठंड बढ़ती जा रही है। ऐसे मौसम में जिनके पास साधन नहीं है वह रैन बसेरे के होते हुए भी खुले में सोने को मजबूर है। नगर पालिका ने अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं की। सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलने से रात को गुजरने या रुकने वाले लोगों को ठंड से बचने का सहारा हो जाता है। लोगों ने नगर पालिका से रैन बसेरा शुरू करने व सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था किए जाने की मांग की।

अलाव जलाने की व्यवस्था की जाएगी
नगर में रैन बसेरे का संचालन नहीं होता है। नगर के सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की जाएगी।-एमआर निंगवाल, सीएमओ नगर पालिका सनावद



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