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- If Paddy Grows Here, The Expenditure Of 250 Rupees Will Come To 75, 5 Farmers Hope To Grow Rice
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उज्जैन21 घंटे पहले
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- अब 500 किसान करेंगे इसी की खेती
- क्लस्टर की सफलता के लिए सबसे बड़ी जरूरत रॉ मटेरियल की
राज्य सरकार ने एक जिला एक उत्पाद अभियान में उज्जैन जिले के लिए पोहा उद्योग को चुना है। लेकिन इसकी राह आसान नहीं है। इसके लिए सबसे जरूरी है धान की उपलब्धता। धान यही उगे तो 250 रुपए प्रति क्विंटल का खर्च घटकर 75 रुपए से भी नीचे आ सकता है। इससे अन्य राज्यों की पोहा की कीमतों से हमारे उद्यमी भी स्पर्धा कर सकते हैं। हमारे किसानों ने धान उगाकर आश्वस्त किया है कि यह समस्या भी हल हो सकती है।
उज्जैन और आसपास के जिलों में कहीं भी धान की पैदावार नहीं होती। पोहा परमल उद्योग इसका आयात छत्तीसगढ़ और गुजरात से करते हैं। इस उद्योग के पिछड़ने की यह सबसे बड़ी वजह है। उद्योगपतियों का कहना है कि सबसे पहले प्रशासन को धान का उत्पादन शुरू कराना होगा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सोमवार को ट्वीट कर उज्जैन जिले को पोहा क्लस्टर के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। उज्जैन में पोहा-परमल के 40 उद्योग संचालित हैं। इनमें रोज 200 टन पोहा-परमल का उत्पादन होता है।
उज्जैन में बने पोहे का स्वाद अलग होने से इसकी डिमांड रहती है। उज्जैन के पोहे को दूसरे शहरों और राज्यों के व्यापारी अपनी छाप लगा कर बेचते हैं। इसलिए उज्जैन का पोहा अपनी पहचान होने के बावजूद ब्रांड नहीं बन पाया है। सरकार की घोषणा से उद्यमी उत्साहित है। पोहा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरीश माहेश्वरी और सचिव मयंक पटेल कहते है कि यह घोषणा धरातल पर तब आ सकती है जब सरकार मदद करे।
आश्वासन : यह होगा क्लस्टर का रोड-मेप
कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है पोहा क्लस्टर के लिए उद्योगपतियों के साथ बातचीत हो चुकी है। चावल का उत्पादन करने के लिए किसान भी तैयार हैं। उज्जैन के पोहा को ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए जरूरी उपाय करेंगे। इसके लिए रोड मैप तैयार है। धान का उत्पादन शुरू करने के लिए कृषि विभाग से पहल कराई जाएगी। किसान व उद्यमी के बीच तालमेल करेंगे।
दावा : 500 से ज्यादा किसान पोहा वाली धान लगाएंगे
उद्योगपतियों का कहना है कि उज्जैन के 50 से 100 किमी दायरे में भी धान की पैदावार होती है तो अभी गुजरात आदि से आयात करने में प्रति क्विंटल 250 रुपए लगने वाला खर्च घट कर 75 रुपए से भी नीचे आ सकता है। इसका फायदा उद्योगों को मिलेगा। पैदावार और उत्पादन दोनों एक ही क्षेत्र में होने से ब्रांड बनाने में आसानी होगी। इसलिए सरकार को सबसे पहले क्षेत्र में धान का उत्पादन शुरू करने पर फोकस करना होगा।
पीपलिया हामा के उन्नत किसान अश्विनीसिंह चौहान का दावा है कि अगले सीजन में 500 से ज्यादा किसान उज्जैन जिले में धान की खेती करेंगे। मार्च-अप्रैल में इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र में सेमीनार आयोजित करेंगे जिसमें किसान, दवा व्यापारी, बीज विक्रेता और पोहा उद्यमियों को बुलाया जाएगा। ताकि चावल उत्पादन में तकनीकी व अन्य सहायता मिले और खरीदारों के अनुसार उत्पादन किया जा सके।
8 उपाय…पोहा-परमल का जियोटेग कराकर ब्रांड का रूप दें, बार कोड बनाया जाए
1. शहर के नजदीक उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध हो।
2. लाइसेंस व नवीनीकरण के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था हो।
3. संपत्तिकर में छूट दे और सरकारी योजनाओं का फायदा दिलाया जाए।
4. सरकार उद्यमियों को उद्योग से संबंधित जानकारी व प्रशिक्षण दे।
5. उद्यमियों को बैंकों से ऋण, सस्ती बिजली की सुविधा मिले।
6. औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं सड़क, पानी आदि उपलब्ध हो।
7. ईंधन के लिए सीएनजी सस्ती दर पर उपलब्ध कराएं।
8. पोहा-परमल का जियोटेग कराकर ब्रांड का रूप दें, बार कोड बनाया जाए।
दो दिन में चार किसानों ने 308.30 क्विंटल धान बेचा
धान की सरकारी खरीदी दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। दो दिन में चार किसानों ने 308.30 क्विंटल उपज बेची। जिले के 5 किसानों ने इसी साल से धान की खेती की शुरुआत की है। खिलचीपुर मार्केटिंग सोसायटी के सहायक प्रबंधक सुरेश शर्मा के अनुसार उपज खरीदी बुधवार को भी जारी रहेगी। जिले में बोरखेड़ा भल्ला और पिपल्याहामा के 5 किसानों ने इस साल पहली बार धान की बोवनी की है। उनकी उपज 1868 रुपए क्विंटल में खरीदी जा रही है।
खिलचीपुर खरीदी केंद्र पर आए 2 किसानों में से एक किसान किशनसिंह भटोल से 278 बोरी की खरीदी की जबकि दूसरे किसान अश्विनी सिंह से 123 बोरी खरीदी की गई। इसी तरह मंगलवार को आए किसान से 91 क्विंटल यानी 260 बोरी की खरीदी की गई। सहायक प्रबंधक शर्मा के अनुसार शुरुआत में 40 किलो की बोरी भर्ती की थी।