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- Accusation: People’s Medical College Is Not Treating Volunteers Participating In The Trial
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भोपाल28 मिनट पहले
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पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में हुए ट्रायल पर सवाल उठ रहे हैं।
- पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की सफाई- आरोप निराधार हैं, ट्रायल प्रोटोकॉल और केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक इलाज किया जा रहा
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज पर बुधवार को एक बार फिर से एक्टिविस्ट रचना ढींगरा ने वॉलंटियर बने लोगों के साथ भेदभाव और उनका प्रोटोकॉल के तहत इलाज नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने शंकर नगर निवासी महिला मंजू देवी (60) का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने वॉलंटियर के तौर पर पहला डोज दिया गया, लेकिन जब वह दूसरा डोज लगवाने मंगलवार को अस्पताल पहुंचीं, तो उनका दूसरा डोज लगाने से पहले ब्लड प्रेशर चेक किया गया, उनका ब्लड बढ़ा हुआ पाया गया। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें दूसरा डोज लगाने से मना कर दिया और कहा कि आप घर भेज दिया।
ढींगरा ने कहा कि महिला मंजू देवी के कागज भी ले लिए और इलाज करने के बजाए अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें 20 रुपए दिए। कहा कि ब्लड प्रेशर की दवा लेकर घर पर आराम करें। आपको दूसरा डोज नहीं दिया जाएगा। ढींगरा का आरोप है कि जितेंद्र चौरसिया को भी उन्होंने ऐसे ही किया था। उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई, लीवर में संक्रमण हो गया है। पस पड़ गया है। जब प्रेशर पड़ा, तो अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती किया है। ऐसा ही दूसरे मरीजों के साथ हो रहा है।
हालांकि, पीपुल्स प्रबंधन ने आरोपों को निराधार बताया है। ढींगरा की मानें, तो लोगों को वैक्सीन लगाने के पहले पूरी जानकारी नहीं दी गई है। उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उनको इसके बाद क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं। कोवैक्सिन लगवाने वाले लोगों की तबियत बिगड़ी, तो उनका नि:शुल्क इलाज करने के बजाय पैसे लिए जा रहे हैं। हद तो यह है कि जिनको वैक्सीन लगाई गई, उन लोगों को इनफॉर्म कंसेंट दी जाती है, जिसमें टेस्ट की डिटेल होती है।
ट्रायल प्रोटोकॉल के तहत जिन वॉलंटियर्स को कोवैक्सिन के ट्रायल में पहला डोज दिया गया है, उनका हर रोज फॉलोअप लेना और अगर वॉलंटियर बीमार है, तो उनके इलाज की व्यवस्था करना जिम्मेदारी है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ऐसा नहीं कर रहा है।
छोटू बैरागी को बोले- कोविड की दवा बाजार से ले आओ
ढींगरा ने एक और मामले में वॉलंटियर छोटू बैरागी के बारे में बताया, पहला डोज लेने के बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई, लेकिन उसे इलाज देने के बजाय घर भेज दिया। कहा कि ये दवाईयां ले लेना। बाद में उसका फॉलोअप नहीं किया गया। जब वह दूसरा शॉट लेने गया, तो उसे दूसरा डोज दिया ही नहीं गया।
वॉलंटियर का फॉलोअप हो रहा और बीमार होने पर इलाज भी
पीपुल्स यूनिवर्सिटी के VC डॉ. राजेश कपूर ने इन आरोपों पर कहा कि हमने मंजू देवी को दवा देने के बाद घर भेजा था, अगर महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हुआ है, तो उस पर ट्रायल कैसे कर सकते हैं। हमने कोरोना पॉजिटिव आए वॉलंटियर को होम आइसोलेशन में जाने को कहा था, जब वो ठीक हो जाएगा, तो उसे अगला डोज लगाएंगे। उसका फॉलोअप किया जा रहा है। जहां तक जितेंद्र की बात है, तो उसका इलाज किया जा रहा है। उसके बारे में जानकारी देर से मिली, इसलिए इलाज में देरी हुई। ट्रायल में भाग लेने वाले जितने भी वॉलंटियर्स की तबियत खराब हुई है, उनका इलाज हम तय प्रोटोकॉल के तहत करा रहे हैं। हर वॉलंटियर का फॉलोअप किया जा रहा है।