स्ट्रीट वेंडर योजना: 6 माह में 46 हजार कुल पंजीयन, इनमें 30 हजार प्रकरण बैंकों को भेजे, पर लोन 17 हजार को ही मिला

स्ट्रीट वेंडर योजना: 6 माह में 46 हजार कुल पंजीयन, इनमें 30 हजार प्रकरण बैंकों को भेजे, पर लोन 17 हजार को ही मिला


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इंदौर3 घंटे पहले

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रुपयों के लिए छह महीने से चक्कर लगा रहे हैं हितग्राही (प्रतीकात्मक फोटो)

  • पीड़ित बोले- बैंक वाले कहते हैं नया खाता खुलवाओ तो कभी कहते हैं जिस बैंक में खाता है, वहां जाओ

प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद भी निजी बैंक गरीबों को मात्र 10 हजार का लोन भी आसानी से नहीं दे रहे। पिछले छह महीनों से उन्हें चक्कर कटवाए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी प्राइवेट बैंकों की ओर से आ रही है, जहां निगम के अफसर और नेताओं की बात सुनी नहीं जा रही है। कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगों को 10 हजार का लोन देने की प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर योजना के तहत इंदौर नगर निगम ने 46 हजार हितग्राहियों के पंजीयन किए हैं। इनमें से 30 हजार से ज्यादा प्रकरण बैंकों में भेजे जा चुके हैं। इसके बावजूद अब तक सिर्फ 17 हजार के लगभग लोगों को ही बैंकों से लोन मिला है।

पूर्व पार्षद लोगों को बैंक ले गए
पूर्व पार्षद दीपक जैन टीनू खुद हितग्राहियों को लेकर एचडीएफसी बैंक की इतवारिया बाजार और राजमोहल्ला शाखा गए। उन्होंने वहां मैनेजर के अलावा निचले स्टाफ से
भी बात की। उनका कहना था कि सेंट्रल ऑफिस से अप्रूवल नहीं आ पा रहा है। इसके बाद अपर आयुक्त शृंगार श्रीवास्तव भी वहां पहुंचे। उन्होंने भी बैंक के अधिकारियों से बात की लेकिन बैंक वालों ने उन्हें भी यही बताया।

रुपयों के लिए छह महीने से चक्कर लगा रहे हैं
सुनील चौहान ने बताया छह महीने से हम बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। कभी एक बैंक दूसरी बैंक भेजता है तो कभी निगम के जोन जाने का कहकर टाल देते हैं। सब्जी का ठेला लगाने वाले जितेंद्र परमार ने बताया, पांच महीने हो गए बैंक और निगम के चक्कर काटते हुए। कभी बोलते हैं नया खाता खुलवाओ तो कभी कहते हैं जिस बैंक में खाता है, वहां जाओ। कोई भी ठीक से बात नहीं करता।

सुनीता ने बताया बैंक वाले बार-बार कलेक्टर से लिखाकर लाने का कहकर भगा देते हैं। सभी जगह से लिखवाकर ले आए तो कहते हैं कि अभी क्लोजिंग है। एक सप्ताह बाद आना। अपर आयुक्त श्रीवास्तव ने बताया, निगम द्वारा हितग्राहियों को पूरा सहयोग किया जा रहा है। उन्हें जोन से बैंक तक निगम की ही गाड़ियों में भेजा जाता है। निजी बैंकों से सबसे ज्यादा परेशानी आ रही है।



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