पन्ना की इस खदान में 50 साल से हीरा खनन चल रहा है.
मझगवां हीरा खदान (Diamond mine) में 50 साल से काम जारी है. खदान की लीज 1 दिसंबर 2020 तक थी. राज्य सरकार ने इसकी खनन लीज 20 साल बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. अब मामला राज्य वन्य प्राणि बोर्ड के पास पेंडिंग हैं.
देश दुनिया में हीरे के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिले के मझगवां में एशिया की एकमात्र हीरा खदान है. NMDC कई वर्षों से इसे चला रहा है. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व प्रशासन की आपत्ति के बाद एनएमडीसी मझगवां में हीरा माइंस का काम 1 जनवरी से बंद कर दिया गया था.खदान बंद हुई तो श्रमिकों और स्टाफ में असंतोष फैला. बात जब क्षेत्रीय सांसद, विधायक और नेताओं तक पहुंची तो वो भी सक्रिय हुए. क्षेत्रीय सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह फौरन मुख्यमंत्री से मिले और एनएमडीसी की हीरा खदान फिर से शुरू करने की मांग रखी. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी बिना देर किए इस पर ध्यान दिया. उनके निर्देश पर राज्य शासन ने एनएमडीसी को अगले 20 साल के लिए खदान में काम करने की इजाज़त दे दी. शासन ने राज्य वन्य प्राणि बोर्ड को अपना सहमति पत्र भेज दिया है.
कलेक्टर ने बताया
कलेक्टर पन्ना संजय कुमार मिश्र ने बताया कि हीरा खनन परियोजना मझगवां में काम जारी रखा जाएगा. राज्य सरकार ने इस परियोजना की लीज 20 साल बढ़ा दी है. इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणि मध्य प्रदेश ने कहा शासन ने लीज बढ़ा दी है. इसलिए खदान दोबारा शुरू करने की मंजूरी इसे दे दी गयी है. मंज़ूरी का पत्र राज्य वन्य प्राणि बोर्ड को भेज दिया गया है. लेकिन शर्त ये है कि इसमें नयी जगह खुदाई नहीं की जाएगी और वन्य प्राणियों और उनके आवास पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.जब तक राष्ट्रीय वन्य प्राणि बोर्ड इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले लेता तब तक काम चालू रहेगा.
ये थी आपत्ति
प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल आलोक कुमार ने पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर को एक पत्र लिखा.इसमें उन्होंने ज़िक्र किया कि मझगवां हीरा खदान में 50 साल से काम जारी है. खदान की लीज 1 दिसंबर 2020 तक थी. राज्य सरकार ने इसकी खनन लीज 20 साल बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. अब मामला राज्य वन्य प्राणि बोर्ड के पास पेंडिंग हैं. फिलहाल खदान में तब तक काम जारी रखा जाएगा जब तक राष्ट्रीय वन्य प्राणि बोर्ड इस पर कोई निर्णय नहीं लेता.लेकिन इस दौरान कोई नया काम खदान में शुरू नहीं किया जाएगा और इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि वन्य प्राणियों पर इसका बुरा असर न पड़े.