फैसला: 6 साल बाद मां को मिली बेटियों की कस्टडी, पर वे पिता का घर छोड़ने को तैयार नहीं हुई

फैसला: 6 साल बाद मां को मिली बेटियों की कस्टडी, पर वे पिता का घर छोड़ने को तैयार नहीं हुई


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झाबुआ16 घंटे पहले

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मां के साथ बेटियों को भेजा तो वो इस तरह बिलखने लगी।

  • पुलिस ने जबरन भेजा तो रोने लगीं
  • एसडीएम कोर्ट ने नाबालिग बेटियों को लेकर मां के पक्ष में दिया फैसला, बच्चियों का रोना सुनकर सारे लोग बाहर आ गए

कसमा पिता गलाल बामनिया निवासी कालापान की 2010 में पाडलघाटी के रामसिंह से शादी हुई। उनकी दो बेटियां 9 साल की सरिता और 7 साल की परी है। 2014 में रामसिंह ने दूसरी शादी कर ली और कसमा को छाेड़ दिया। कसमा पिता के घर आ गई। दोनों नाबालिग बेटियां सुसराल में ही रह गई।

6 साल बाद दिसंबर में कसमा ने बेटियों की कस्टडी के लिए एसडीएम कोर्ट में आवेदन लगाया। बुधवार को एसडीएम ने बच्चियों को मां के साथ भेजने के आदेश दे दिए। लेकिन जब पुलिस उन्हें मां के साथ भेजने लगी तो दोनों बेटियां चीख-चीखकर रोने लगी। उन्हें जबरन खींचकर भेजा गया। आवाज सुनकर कलेक्ट्रेट के लोग बाहर आ गए। बाद में बाहर बिठाकर पुलिस और परिवार वालों ने दोनों बेटियों को समझाया।

दूसरी शादी के बाद ससुराल वाले प्रताड़ित करते थे
कसमा ने बताया, नई पत्नी लाने के बाद पति और ससुराल वाले प्रताड़ित करते थे। उसने भरण-पोषण का केस भी लगाया, इसमें भरण-पोषण देने का आदेश होने के बावजूद पति पैसा नहीं देता। दूसरी पत्नी से उसे एक बेटा है। ऐसे में बेटियों को पाने के लिए केस लगाया था। एसडीएम एमएल मालवीय ने बताया, बेटियां नाबालिग हैं और पिता ने दूसरी पत्नी रख रखी है। ऐसे में उचित कस्टोडियन मां ही है। इसलिए मां को सौंप दिया गया। बच्चियां शुरू से पिता के घर रह रही हैं, इसलिए हो सकता है उन्हें दुख हो। पक्षकार फैसले पर अपील कर सकते हैं।



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