IND vs AUS 3rd Test: जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) का दूसरा परिचय परंपराओं और पुरानी मान्यताओं को झुठलाने का ही रहा है. 2018 में जनवरी में साउथ अफ्रीका में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले बुमराह 2 साल के भीतर ही चैंपियन गेंदबाज़ बन गए हैं.
Source: News18Hindi
Last updated on: January 7, 2021, 9:23 AM IST
बुमराह का दूसरा परिचय परंपराओं और पुरानी मान्यताओं को झुठलाने का ही रहा है. 2018 में जनवरी में साउथ अफ्रीका के केपटाउन शहर में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले बुमराह सिर्फ 2 साल के भीतर ही चैंपियन गेंदबाज़ बन गए हैं. अगर मौजूदा दौरे की शुरुआत से पहले ही टीम इंडिया को सबसे अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ ईशांत शर्मा के नहीं होने से बड़ा झटका महसूस नहीं हुआ तो इसकी वजह बुमराह की मौजूदगी थी. अगर भुवनेश्वर कुमार इस टीम का हिस्सा नहीं थे और मोहम्मद शमी पहले टेस्ट के बाद और उमेश यादव दूसरे टेस्ट के बाद वापस भारत लौट आए और तब भी टीम इंडिया को शिकन नहीं आई तो इसकी वजह भी गुजरात के तेज़ गेंदबाज़ बुमराह ही थे.
ऐसा क्या ख़ास है बुमराह में जिसके चलते सिर्फ 16 टेस्ट के बाद ही बुमराह को हर कोई महान गेंदबाज़ों के साथ जोड़ रहा है. 20.68 का औसत. ये वो आंकड़ा है जिसके चलते बुमराह टेस्ट क्रिकेट में 50 से ज़्यादा विकेट झटकने वाले पिछले 50 साल के हर तेज़ गेंदबाज़ों में सबसे अव्वल हैं. 16 टेस्ट के दौरान पारी में 5 विकेट का कमाल अब तक 5 मर्तबा दिखाने वाले बुमराह के करियर के शुरुआती रुझान मैल्कम मार्शल, कर्टली एम्ब्रोस, ग्लेन मैक्ग्रा जैसे महान गेंदबाज़ों वाली लीग की तरफ इशारा करते हैं जो ना सिर्फ विकेट झटकते थे बल्कि बल्लेबाज़ों को रन बनाने की भी कोई आज़ादी नहीं देते थे.
सिर्फ 16 टेस्ट के अनुभव के बाद बुमराह ने 7 जनवरी को भारतीय गेंदबाज़ी के इकलौते लीडर बनकर सिडनी टेस्ट 2021 की शुरुआत की. इस मैच में दूसरे छोर पर उनका साथ देने के लिए 1 टेस्ट पुराने मोहम्मद सिराज और पहला टेस्ट खेलने वाले नवदीप सैनी हैं. कपिल देव के बाद किसी भी दूसरे भारतीय गेंदबाज़ ने इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी विदेशी ज़मीं पर अपने कंधों पर नहीं ली है. पिछले दौरे पर बुमराह 4 मैचों की सीरीज़ में 21 विकेट झटककर सबसे कामयाब गेंदबाज़ बने थे. लेकिन, उतने कामयाब दौरे पर भी अगर बुमराह को कहीं नाकामी मिली थी तो वो था सिडनी क्रिकेट ग्राउंड जहां पर उन्हें सिर्फ 1 विकेट मिले थे. ऐसे में इस बार सिडनी के मैदान पर बुमराह को ना सिर्फ इस मैदान से अपना पूरा हिसाब चुकता करना है बल्कि अपने लिए एक नई राह भी तैयार करनी है. अगर बुमराह ने मौजूदा दौरे पर एडिलेड टेस्ट की साधारण शुरुआत को तुरंत भुलाकर मेलबर्न में शानदार खेल दिखाया तो अब नए साल के पहले टेस्ट में वो वही पुराने घातक गेंदबाज़ को वापस सिडनी में बुला सकते हैं. सिडनी सिर्फ भारतीय क्रिकेट के लिए नए साल में एक नया टेस्ट नहीं, बल्कि एक नए दशक की शुरुआत भी है. और इस दशक में गेंदबाज़ी के लीडर बुमराह ही होंगे.
जब बुमराह ने 2016 में सिडनी की उड़ान भरी थी तब फ्लाइट में वो गुजरात के ही साथी खिलाड़ी अक्षर पटेल के अलावा किसी को नहीं जानते थे. टीम होटल पहुंचने के बाद रवि शास्त्री ने उनसे कहा कि क्या वो अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए तैयार हैं तो उन्होंने ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई. धोनी ने बुमराह को कहा कि वो जैसा चाहें उस तरीके से गेंदबाज़ी कर सकते हैं. बुमराह ने खुद से कहा कि मैं इस मैच को रणजी मैच की तरह लूंगा. अतीत के पन्नों पर नज़र डालें तो ये साफ दिखेगा कि युवा बुमराह ने खुद को जो राय दी थी वही राय अब वो सैनी या सिराज को दे सकते हैं.
चलते चलते एक और बात का जिक्र करना चाहूंगा जो खुद बुमराह ने कही थी. उनके बेहतरीन खेल पर जब महानायक अमिताभ बच्चन ने पहली बार ट्वीट किया था तो वो उस सोशल मीडिया पर ही नहीं थे. मज़ाक में बुमराह ने कहा कि अगर ट्विटर पर होता तो शायद कुछ हज़ार फॉलोअर ही बढ़ जाते! बहरहाल, अब तक इतने कम समय में बुमराह ने जिस तरह का खेल दिखाया है उससे ना सिर्फ सोशल मीडिया में उनके फैंस की संख्या बढ़ी है बल्कि उससे भी बड़ी बात है कि भारत के लाखों युवा तेज़ गेंदबाज़ों के साथ-साथ दुनिया के लाखों युवा बुमराह को अपना आदर्श मानकर उन्हीं के नक्शे-क़दम पर चलने की कोशिश कर रहे हैं. (डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
First published: January 7, 2021, 9:23 AM IST