पत्थरबाजी पर कानून: प्राइवेट प्रॉपर्टी के नुकसान की भरपाई का होगा प्रावधान, दावा अधिकारी के फैसले को सिविल कोर्ट में नहीं दी जा सकेगी चुनौती

पत्थरबाजी पर कानून: प्राइवेट प्रॉपर्टी के नुकसान की भरपाई का होगा प्रावधान, दावा अधिकारी के फैसले को सिविल कोर्ट में नहीं दी जा सकेगी चुनौती


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भोपाल3 मिनट पहले

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पत्थरबाजों को सख्त सजा देने के नए कानून के ड्राफ्ट पर मंत्रालय में गृह विभाग में शुक्रवार देर शाम बैठक आयोजित की गई। जिसमें कानून के प्रस्तावित प्रावधानों पर चर्चा हुई।

  • अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में कानून के ड्राफ्ट पर हुई चर्चा
  • हड़ताल या दंगों में निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर भी होगी वसूली

पत्थरबाजों को सख्त सजा देने के नए कानून में यह प्रावधान होगा कि यदि पब्लिक प्रॉपर्टी के अलावा प्राइवेट प्रॉपर्टी को नुकसान की भरपाई आरोपियों से की जाएगी। इस कानून में पत्थरबाजी के अलावा हड़ताल या फिर दंगों में प्राइवेट प्रॉपर्टी को नुकसान को भी इसमें शामिल किया जा रहा है। कानून में यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि आरोपियों से नुकसान की वसूली सामूहिक और निजी, दोनों होगी। यदि किसी घटना में 100 लोग शामिल हैं तो नुकसान की रिकवरी की राशि सभी आरोपियों में बराबर-बराबर से वसूली जाएगी।
नए कानून के ड्राफ्ट को लेकर मंत्रालय में शुक्रवार देर शाम गृह विभाग ने बैठक बुलाई थी। यह बैठक अपर मुख्य सचिव गृह डा. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में हुई। जिसमें विधि विभाग के प्रमुख सचिव सत्येंद्र कुमार सिंह, सीआईडी के अफसर सहित गृह विभाग के कई अफसर मौजूद रहे।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में महाराष्ट्र, यूपी और कर्नाटक में लागू कानून के प्रावधानों पर चर्चा की गई। जिसमें यह तय किया गया कि यदि महिलाओं और बच्चों को आगे कर पत्थबाजी की घटना को अंजाम दिया जाता है तो इसे ज्यादा संगीन अपराध माना जाएगा। ड्राफ्ट के मुताबिक धार्मिक स्थल पर खड़े होकर या महिला-बच्चे के पीछे से कोई पत्थरबाजी करता है तो उस जगह को राजसात किया जाएगा। इसमें नेचर ऑफ क्राइम को देखते हुए कितना नुकसान, जुर्माना और वसूली होगी, इसका फिलहाल कोई आकंलन नहीं किया जा सकता है, ऐसे में तय किया गया कि यह कानून के तहत प्रस्तावित दावा अभिकरण (अपीलेट ट्रिब्यूनल) परिस्थितियों और साक्ष्य के आधार पर निर्धारित करेंगे।
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 में अर्थदंड का प्रावधान नहीं
बैठक में सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के लागू प्रावधानों पर भी चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि इस कानून में पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने पर 5 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन अर्थ दंड का प्रावधान नहीं है। ऐसे में नए कानून में पब्लिक और प्राइवेट प्रॉपर्टी के नुकसान पर अर्थ दंड का प्रावधान किया जाएगा। देश में लागू इस कानून में पत्थरबाजी का जिक्र कहीं नहीं किया गया है। इसके लिए बैठक में तय किया गया कि तीनों राज्यों में लागू नए कानूनों का एक बार फिर से अध्ययन करने करने के बाद निर्णय लिया जाएगा।
ट्रिब्यूनल का गठन होगा
नए कानून पर सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल का गठन होगा। इसमें समय भी तय होगा कि ट्रिब्यूनल केस का कितने दिन में फैसला करेगा। इसको लेकर अगली बैठक में निर्णय होगा। सूत्रों ने बताया कि ड्राफ्ट को अगली बैठक में फाइनल कर लिया जाएगा। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा। सरकार की मंशा इस कानून के बिल को विधानसभा के बजट सत्र में सदन में रखे जाने की है।
केरल में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 5 साल की सजा
बैठक में केरल में लागू कानून पर भी चर्चा हुई। केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश का मसला काफी उछला था। इसे लेकर राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचा। इससे निपटने के लिए केरल सरकार ने कानून लागू किया था। इसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति विरोध प्रदर्शन में पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है, तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। एक्ट के मुताबिक अगर हिंसक विरोध प्रदर्शन में विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ हो या आगजनी हुई हो, तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है। ऐसे मामलों में दोषी को तब तक जमानत नहीं मिलने का प्रावधान है, जब तक कि वो नुकसान हुई संपत्ति का 100 % भरपाई नहीं कर देता। वहीं, केंद्रीय कानून में ये प्रावधान है कि जमानत के लिए कम से कम नुकसान हुई संपत्ति का 50% की भरपाई करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को ध्यान में रखा जाएगा
सरकारी और पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में गाइड लाइन जारी की थी। बैठक में इस गाइड लाइन को लेकर भी चर्चा की गई। जिसमें पब्लिक पॉपर्टी के नुकसान होने की स्थिति में जिम्मेदारी नुकसान करने वाले आरोपी की होगी। इतना ही नहीं, आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होता है।



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