पार्षदों के 50 पदों के लिए 600 आवेदन अब तक आ चुके हैं.
प्रत्येक वॉर्ड (Ward) से टिकट तो एक ही उम्मीदवार को मिलनी है लेकिन कहीं अन्य दावेदार नाराज़ न हो जाएं. इस बात की भी चिंता कांग्रेस (Congress) को सता रही है
निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस भाजपा से एक कदम आगे चल रही है. शुरुआत ही उसकी उत्साह से भरी हुई है. हालांकि ये उत्साह चुनौती भी दे रहा है. अब पहला पायदान ही ले लीजिए निकाय चुनाव के लिए किस वॉर्ड से कौन उम्मीदवार हो सकता है इस के चयन के लिए जिला चयन समिति ने शहर के 79 में से 50 वार्डों में दावेदारों के आवेदन आमंत्रित किए. सभी दावेदारों को कांग्रेस के नगर अध्यक्ष के सामने आवेदन पेश करना था. मात्र 5 दिन के भीतर ही 50 वार्डों में करीब 600 से ज्यादा आवेदन आ गए. दावेदारो के आवेदन क्या पहुंचे नगर अध्यक्ष सुबह से शाम तक आवेदनों की जांच में जुटे हुए है.
प्रत्याशियों का चयन बड़ी चुनौती- नगर अध्यक्ष
दावेदारों की लंबी कतार ने कांग्रेस नगर अध्यक्ष दिनेश यादव का काम भी बढ़ा दिया है. जबलपुर पहुंचे प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक ने पार्षद प्रत्याशियों के चयन लिए जिला स्तरीय चयन समिति तो तय कर दी. लेकिन अब चयन समिति के पसीने भी छूट रहे हैं. क्योंकि दावेदारों से निपटना है,चुनाव भी संपन्न कराना है और जीत भी लानी है. प्रत्येक वॉर्ड से टिकट तो एक ही उम्मीदवार को मिलनी है लेकिन कहीं अन्य दावेदार नाराज़ न हो जाएं. इस बात की भी चिंता कांग्रेस को सता रही है.
बीजेपी का दावा
भाजपा कांग्रेस में दावेदारों की लंबी लिस्ट से खुश नजर आ रही है. उसका कहना है कि भाजपा हमेशा से कहती आ रही है की बीजेपी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है तो वहीं कांग्रेस नेता आधारित. जितने कार्यकर्ता कांग्रेस में काम नहीं करते उससे ज्यादा नेता पद लेकर घर पर बैठे रहते हैं. निकाय चुनाव से जोड़कर अगर देखें तो बीजेपी पहले से मज़बूत थी और कांग्रेस की अंदरूनी कलह के कारण और मजबूत हो गई है.