शिक्षिका का काॅर्निया हो चुका था खराब, नहीं हुआ ट्रांसप्लांट: सोटो भोपाल में होता तो हार्ट भी किसी के काम आ जाता

शिक्षिका का काॅर्निया हो चुका था खराब, नहीं हुआ ट्रांसप्लांट: सोटो भोपाल में होता तो हार्ट भी किसी के काम आ जाता


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भोपालएक दिन पहले

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डोनर का काॅर्निया ले जाती गांधी मेडिकल कॉलेज की टीम।

  • चार दिन तक आंखें खुली होने के कारण काॅर्निया सफेद पड़ गया था

कोलार निवासी शिक्षिका तापसी चक्रवर्ती का ब्रेन हेमरेज की वजह से निधन हो गया था। उनकी मौत के बाद परिवार ने उनके लिवर, दोनों किडनी और कार्निया दान कर दिए। इनमें से लिवर और दोनों किडनी अलग-अलग मरीजों को ट्रांसप्लांट की गई। लेकिन कार्निया ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सका।

वजह- चार दिन तक अस्पताल में आंखें खुली होने के कारण काॅर्निया सफेद पड़ गया था। लेकिन परिवार अपने फैसले पर अडिग रहा और तापसी के पति व बेटे ने जीएमसी से आई टीम से कहा कि वे कार्निया बच्चों के शोध और शिक्षण के लिए ले जा सकते हैं।

इसके बाद नेत्ररोग विभाग की एचओडी डॉ. कविता कुमार ने काॅर्निया ले लिया। हालांकि तापसी का हार्ट भी काम नहीं आ पाया। पड़ताल में पता चला है कि यह स्थिति भेापाल में स्टेट ऑर्गन टिशू एंड ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) के नहीं होने से पैदा हुई। भोपाल आर्गन डोनेशन सोसायटी के काउंसलर सुनील राय ने बताया कि अभी मप्र में ऐसा कोई डेटाबेस सेंटर नहीं है, जहां ऐसे जरूरतमंद लोगों की ग्रेडेशन लिस्ट मौजूद हो।

देशभर में जहां एम्स वहीं सोटो के केंद्र

एक महीने पहले सोटो को इंदौर से भोपाल लाया गया था। वहां सोटो को दो साल पहले एमजीएम कॉलेज में जगह दी गई थी, लेकिन इन दो साल में न तो कोई टीम तैयार हो सकी और न ही किसी प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम हुए। भोपाल में 33 अस्पतालों के भीतर आर्गन संस्था ने वालिंटियर तैयार कर दिए थे। इन्हें प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही हमीदिया में किडनी ट्रांसप्लांट की भी अनुमति मिल गई। सबसे बड़ी बात की भोपाल में एम्स मौजूद हैे और देश भर में एम्स वाले शहरों में ही सोटो के केंद्र बनाए जाते हैं।



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