ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 338 रन बनाए थे, जवाब में टीम इंडिया 244 रन पर ही सिमट गई. इसके बाद मेजबान ने 6 विकेट पर 338 रन बनाकर अपनी दूसरी पारी घोषित की और भारत के सामने बड़ा लक्ष्य रखा. टीम इंडिया ने चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक 98 रन पर रोहित शर्मा और शुभमन गिल के विकेट गंवा दिए थे. इसके बाद पांचवें दिन का खेल शुरू होने के कुछ देर बाद ही कप्तान अजिंक्य रहाणे के रूप में भारत को 102 रन पर ही तीसरा झटका लग गया था. इस समय तक टीम पर हार का संकट मंडरा रहा था. मगर पंत और पुजारा ने 148 रन की साझेदारी कर उम्मीद जगाई.
दर्द में भी पंत ने मचाया कोहराम
पहली पारी में ऋषभ पंत चोटिल हो गए थे और उन्हें स्कैन के लिए अस्पताल ले जाया गया था. दूसरी पारी में शायद ही किसी को उनसे ऐसी बल्लेबाजी की उम्मीद थी. पंत ने दूसरी पारी में 118 गेंदों पर 12 चौके और 3 छक्के लगाकर 97 रन बनाए और टीम को मजबूती दी.डटे रहे पुजारा
पहली पारी में चेतेश्वर पुजारा ने अपने टेस्ट करियर का सबसे धीमा अर्धशतक जड़ा था. दूसरी पारी में भी उन्होंने धीमी बल्लेबाजी की, मगर इसी वजह से टीम की ड्रॉ की उम्मीद जागी. पुजारा ने दूसरी पारी में 205 गेंदों पर 12 चौकों की मदद से 77 रन बनाए. वह हेजलवुड की गेंद पर बोल्ड हुए. पुजारा के रूप में भारत को 272 रन पर पांचवां झटका लगा था.
अश्विन बने दीवार
पुजारा के आउट होने के बाद हर किसी को टीम की हार नजर आने लगी थी, मगर ऐसे में आर अश्विन टीम की दीवार बन गए. पहली पारी में अश्विन गेंद से कमाल नहीं दिखा पाए थे और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में उन्होंने दो विकेट लिए. मगर सिडनी में वह बल्ले से छाए रहे. धीमी बल्लेबाजी करके वह दिन के आखिर तक क्रीज पर टिके रहे और 128 गेंदों पर 39 रन बनाकर नाबाद लौटे.
यह भी पढ़ें :
IND vs AUS: आखिरी दिन का खेल शुरू होने से पहले अजिंक्य रहाणे ने ऐसे फूंकी थी टीम में जान
विहारी ने भी दिया योगदान
इस दौरे पर हनुमा विहारी अब तक सिर्फ आलोचकों के निशाने पर ही रहे. वह बल्ले से तो प्रभावित नहीं कर पाए थे और फिर खराब फील्डिंग ने भी उनके ऊपर सवाल खड़े कर दिए, मगर तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने जो कर दिखाया, वो भारत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. विहारी ने क्रीज पर अश्विन का साथ दिया. उन्हें देखकर साफ लग रहा था कि टीम ड्रॉ के मूड में है. विहारी ने भले ही 161 गेंदों पर 23 रन बनाए, मगर उन्होंने अपना विकेट गंवाकर मेजबान को जीत के लिए कोशिश करने का एक भी मौका नहीं दिया.