वर्ष 2017 में उन्होंने अपने पिता से आठ से दस हजार रुपए उधार लेकर सड़क किनारे चाय की दुकान लगानी शुरू की. प्रफुल्ल ने मिस्टर बिल्लोर, एमबीए चायवाला के साथ दुकान का नामकरण किया. सड़क के किनारे चाय की दुकान से शुरुआत करने वाले प्रफुल्ल ने तीन साल में तीन करोड़ रुपए का कारोबार किया. अपने व्यवसाय के पहले दिन उन्होंने 150 रुपए की बिक्री की. उन्होंने कई नई चीजों को करने का प्रयास किया जिसके तहत राजनीतिक रैलियों में चाय बेचने का भी कार्य किया. वर्ष 2019-20 तक प्रफुल का बिजनेस तीन करोड़ रुपए तक पहुंच गया.
जहां एडमिशन नहीं मिल सका, वहां के छात्रों को किया संबोधित
प्रफुल्ल के कामयाब बिजनेस मॉडल ने सुर्खियां बटोरी तो उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में छात्रों को संबोधित करने का निमंत्रण मिला. जहां कभी उन्होंने एडमिशन लेकर पढ़ने का ख्वाब देखा था वहां स्टूडेंट्स को लेक्चर देने की बात से वो खुशी से झूम उठे. प्रफुल्ल ने अपने लेक्चर में बताया कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने कमाना शुरू कर दिया था. कॉमर्स में स्नातक प्रफुल्ल ने एमवे सेल्समैन के रूप में 25 हजार रुपए प्रति माह की नौकरी की. उन्होंने बताया कि मैं काम और पढ़ाई में संतुलन बनाने में सक्षम था क्योंकि एक औसत छात्र के पास बहुत समय होता है कि वो मेहनत से सफल हो सके. उन्होंने प्रोडक्ट्स बेचे और कंपनी के लिए नए सदस्य भी बनाए. लेकिन करीब एक साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि उन्हें इसमें कोई भविष्य नहीं दिखा. जब किसी जाननेवाले ने उन्हें MBA और CAT (कॉमन एडमिशन टेस्ट) एग्जाम के बारे में बताया तो उन्होंने इसे देने का फैसला किया.प्रफुल्ल ने कहा कि वो एमबीए ग्रैजुएट्स को कोर्स के बाद मिलने वाले शानदार पैकेजों (सैलरी) से आकर्षित हुए. वो इंदौर आ गए और कैट में एक पेइंग गेस्ट में रहने लगे. उन्होंने पढ़ाई की और मेहनत किया. पूर्व में उन्होंने छह महीने का अंग्रेजी पाठ्यक्रम भी किया था लेकिन जब वो प्रमुख कॉलेजों में एडमिशन पाने के लिए मार्क्स सुरक्षित नहीं कर पाए तो वो निराश हुए. उन्होंने बताया कि लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से एग्जाम देने का फैसला किया. वर्ष 2017 में उन्हें 82 प्रतिशत अंक मिला लेकिन उनके मनपसंद किसी भी टॉप कॉलेज में सीट पाने के लिए वह पर्याप्त नहीं था. तब निराशा में उन्होंने इसे छोड़ने का निश्चय किया.
उनकी फैमिली उन पर किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने का दबाव बना रही थी लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए. पहली बार मई 2017 में प्रफुल्ल अहमदाबाद आए. उन्हें आईआईएम अहमदाबाद के बाहर पीजी रूम मिला. वो संस्थान उनको भा गया, वो यहां से एमबीए करना चाहते थे. उन्होंने अहमदाबाद को चुना था क्योंकि उनका मानना था कि गुजरात किसी भी व्यवसाय को करने के लिए उपयुक्त जगह है. उन्होंने एक दोस्त से मोटरसाइकिल उधार ली और शहर भर में घूमना शुरू किया. उन्होंने पाया कि यहां के लोग अच्छे और विनम्र थे.
मैकडॉनल्ड्स आउटलेट में नौकरी कर व्यापार के गुर सीखे
जल्द ही यहां उन्हें मैकडॉनल्ड्स ऑउटलेट में नौकरी मिल गई. उन्होंने वहां बर्तन साफ करने और पेपर्स प्लेटों में लगाने का काम किया. उन्होंने यहां लगभग 32 रुपए प्रति घंटा कमाए और हर दिन 10-12 घंटे काम किया. इससे वो हर दिन लगभग 300 रुपए कमाते. उन्होंने वहां बिजनेस कैसे करना है यह सीखा. इसके बाद प्रफुल्ल ने अपना व्यवसाय करने का निर्णय किया. प्रफुल्ल कहते हैं कि उनकी शुरुआती योजना अपने पिता से लगभग 10-12 लाख रुपए उधार लेकर एक फूड रेस्टोरेंट खोलने की थी. लेकिन फिर उन्हें महसूस हुआ कि यह जोखिम भरा हो सकता है. तब उन्होंने छोटे व्यवसाय पर फोकस करते हुए टी-स्टॉल शुरू करने का मन बनाया और इसको शुरू करने के लिए अपने पिता से करीब आठ से दस हजार रुपए उधार लिए.
प्रफुल्ल ने 25 जुलाई, 2017 को अपना व्यवसाय शुरू किया. शुरू में वो इसे केवल शाम सात बजे से रात 10 बजे के बीच चलाते थे. इस दौरान वो मैकडॉनल्ड्स में सुबह नौ से चार बजे तक काम किया. प्रफुल्ल पहले सड़क किनारे स्टॉल में चाय बनाते और उसे बेचते थे. लेकिन वो टोस्ट और टिशू पेपर के साथ मिट्टी के बर्तनों में लोगों को चाय पिलाते, यह बात उन्हें दूसरों से अलग करती थी. प्रफुल्ल के चाय की कीमत 30 रुपए थी. बिजनेस के अपने पहले दिन उन्होंने पांच कप चाय बेचकर 150 रुपए कमाए. आमदनी अच्छी थी क्योंकि कोई किराया या अन्य ओवरहेड्स (देनदारी) नहीं देना था.
दूसरे दिन उन्होंने 20 कप चाय बेचे और 600 रुपए कमाए. एक महीने के भीतर प्रफुल्ल हर दिन चाय बेचकर 10-11 हजार रुपए कमाने लगे. जल्द ही उनके परिवार को उनके व्यवसाय के बारे में पता चला जब एक YouTuber ने उनकी टी-स्टॉल पर एक वीडियो बनाया. पहले तो उनके परिवार ने नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की लेकिन बाद में वो उन्हें समझ गए. प्रफुल्ल ने तब तक मैकडॉनल्ड्स की अपनी नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा समय चाय के बिजनेस पर देने लगे. प्रफुल्ल की सफलता पर आस-पास के चाय विक्रेताओं को उनसे ईर्ष्या होने लगी तो उन्होंने कुछ गुंडों को उनके पास भेजा और उन्हें अपनी चाय की दुकान बंद करने के लिए मजबूर किया. प्रफुल्ल दूसरे इलाके में मूव कर गए और यहां उन्होंने एक प्रॉपर आउटलेट स्थापित किया जिसमें एक बड़ा बरामदा भी था. इस इलाके में कई कॉलेज और कार्यालय थे.
नए आइडियाज़ के साथ चाय के बिजनेस को आगे बढ़ाया
यहां प्रफुल्ल ने अपने आउटलेट पर स्नैक्स, शेक, कॉफी और चाय की कुछ किस्मों की पेशकश की और युवा लोगों के लिए एक नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म में अपनी चाय की स्टाल लगाई और उन्हें नौकरियों और अन्य जानकारियों के बारे में अपने विज्ञापन पोस्ट करने के लिए जगह दी. उन्होंने अन्य छोटे कार्यक्रमों के बीच उद्यमशीलता कार्यक्रम और संगीत भी आयोजित की. इससे बढ़ते हुए वर्ष 2019 में 300 वर्गफुट क्षेत्र में प्रफुल्ल ने एक पूर्ण रेस्टोरेंट खोला और राजनीतिक रैलियों में चाय के स्टाल लगाने शुरू किए.
अपनी उद्यमी क्षमता से प्रफुल्ल ने कई लोगों को रोजगार दिया है. वर्ष 2017 में छोटे से टी-स्टॉल से बिजनेस का सफर शुरू करने वाले प्रफुल्ल ने महज तीन साल में तीन करोड़ रुपए का कारोबार किया. नवोदित उद्यमियों के लिए उनकी सलाह है कि अपने सपनों पर विश्वास करें और कभी हार न मानें. अपने काम पर फोकस रखें, जो भी करें उसमें अपना बेस्ट दें तो कामयाबी जरूर मिलेगी.