MP News: शराब की दुकानों को लेकर एमपी में छिड़ी है राजनीतिक लड़ाई.. (सांकेतिक तस्वीर)
Explainer: MP में जब कमलनाथ सत्ता में थे, तब शराब दुकानें बढ़ाने के फैसले का शिवराज सिंह विरोध कर रहे थे, अब शिवराज सत्ता में हैं, तो कमलनाथ ने मोर्चा खोल रखा है. इस बवाल और सियासत के बीच जनता का एक ही सवाल है कि जब शराबखोरी से अपराध बढ़ते हैं, तो फिर नई दुकानें क्यों?
- News18Hindi
- Last Updated:
January 21, 2021, 7:26 PM IST
बता दें कि 12 जनवरी को मुरैना में हुए जहरीली शराब कांड की जांच पूरी हो चुकी है. मुरैना के कलेक्टर एसपी हटाकर उनकी जगह नए बैठाए जा चुके हैं. इस कांड के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शराब माफिया को कुचलने के आदेश दिए थे. तबसे भोपाल, सागर, भिंड, मुरैना, जबलपुर सहित तमाम जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी में हजारों लीटर अवैध शराब पकड़ी जा रही है और शराब बनाने की भट्टियां तोड़ी जा रही हैं. 19 जनवरी को कलेक्टर-कमिश्नर के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान नई शराब दुकानें खोलने का प्रस्ताव रखा गया था. यह भी बताया गया कि मुरैना शराब कांड की जांच के दौरान यह तथ्य सामने आए हैं कि वहां शराब दुकानें कम और अधिक दूरी पर होने के कारण अवैध शराब की बिक्री को बढ़ावा मिला है.
महाराष्ट्र से बस यही सीखा?
इसके बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ऐलान किया सरकार अवैध शराब का कारोबार रोकने नई शराब दुकानें खोलेगी. उन्होंने दलील दी कि 1 लाख की आबादी पर महाराष्ट्र में 21 शराब दुकानें, राजस्थान में 17 और यूपी में 12 शराब दुकानें चल रही है, लेकिन मप्र में 1 लाख की आबादी पर केवल 4 दुकानें हैं. इसलिए राज्य में नई शराब दुकानें और खुलनी चाहिए. सवाल यह है कि जरा-जरा सी बात पर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर आंखें तरेरने वाली भाजपा ने क्या महाराष्ट्र से शराबखोरी बढ़ाने का ही सबक सीखा और कोई अच्छा सबक नहीं लिया?सियासत का ये कैसा चेहरा
बता दें कि शराब दुकानें बढ़ाने का फैसला बीते साल 6 जनवरी 2020 को तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने किया था और इस बारे में अधिसूचना जारी की थी. जब यह फैसला आया था, तब शिवराज सिंह ने विपक्ष के नेता के रूप में चिट्ठी लिखकर फैसले का विरोध किया था और कहा था कि हमने तो राज्य में शराब दुकानें घटाईं, आप इनकी संख्या बढ़ा रहे. शराब से बड़े पैमाने पर अपराध बढ़ेंगे और महिलाओं, बच्चों पर अत्याचार बढेगा. वर्तमान में मंत्री गोपाल भार्गव तक धरने पर बैठ गए थे. अब इसका उल्टा हो रहा है, शिवराज सरकार के मंत्री नरोत्तम शराब दुकानें बढ़ाने का ऐलान कर रहे हैं, तो कमलनाथ विरोध में हैं. कमलनाथ का कहना है “शराब के दलदल में प्रदेश को फेंका जा रहा है. ये कैसी व्यवस्था है. ये कैसी सरकार है.”
इन अलग-अलग चेहरों को पहचान लीजिए
शराब दुकानों को लेकर जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फैसला किया, तो शिवराज विरोध में थे. अब शिवराज सरकार वही काम कर रही है, तो कमलनाथ विरोध में हैं. तब शिवराज को भी शराब से समाज में अपराध बढ़ते दिखते थे, अब कमलनाथ को ऐसा लग रहा, लेकिन एक बात सच, साफ है कि शराब जिंदगी और परिवारों का सुकून छीन लेती है. शराबखोरी से अपराध बढ़ते हैं, घरों में रहने वाली महिलाओं पर मानसिक और जिस्मानी अत्याचार बढ़ जाते हैं, बच्चों की जिंदगी नर्क बन जाती है, लेकिन सत्ता और सियासत को यह बात कौन समझाए? (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं)