नाबालिग की मौत के मामले में कमनाथ ने सीबीआई जांच की मांग की है. (फाइल फोटो)
कमलनाथ ने कहा शिवराज सरकार क्राइम में नंबर 1 है. जब से शिवराज सरकार आई है तब से अपराध बढ़े हैं.
- News18Hindi
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January 23, 2021, 11:49 AM IST
दूसरी ओर नाबालिग बच्ची की मौत के बाद उन बच्चियों के परिजन बेहद डर गए हैं, जो अभी भी शेल्टर होम में रह रही हैं. परिजनों ने अधिकारियों से पूछा है कि अगर केस 20 साल चलेगा तो क्या बच्चियां तब तक शेल्टर होम में ही रहेंगी. परिजन अब भोपाल (Bhopal News) प्रशासन से अपनी बच्चियों को ले जाने की मिन्नतें कर रहे हैं. बता दें कि नींद की गोलियां खाने की वजह से इन्हीं बच्चियों में से एक नाबालिग बच्ची की हाल ही में मौत हो गई और उसके अंतिम संस्कार में यूपी के हाथरस जैसी अमानवीयता दिखाई दी.
अधिकारियों से मिलने पहुंचे परिजन
दरअसल, इन पीड़ित बच्चियों के परिजन कलेक्टर, एडीएएम और बाल कल्याण समिति के कार्यालय पहुंचे. हालांकि, कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो सकी. परिजनों ने समिति के सदस्यों से पूछा कि बच्चियां कब तक शेल्टर होम में रहंगी? क्या अगर केस लंबा चला तब तक उन्हें वहीं रहना होगा? इसके बाद बाल कल्याण समिति ने शाहपुरा, कोहेफिजा और कमला नगर टीआई व एसपी को पत्र लिखकर पूछा है कि बच्चियों को कब तक प्रोटेक्शन में रखना है? ये बच्चियां 13 जुलाई 2020 से पुलिस प्रोटेक्शन में हैं.मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट
इस मामले में बाल आयोग और मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है. जिला विधिक प्राधिकरण ने भी पूरे मामले में बाल कल्याण समिति से जांच रिपोर्ट मांगी है. वहीं बालिका गृह की अधीक्षिका अंतोनिया कुजूर इक्का को संभागायुक्त कवींद्र कियावत ने निलंबित कर दिया है. अंतोनिया इससे पहले भी तीन बार सस्पेंड हो चुकी हैं.
बच्ची ने खा ली थीं नींद की गोलियां- पुलिस
प्यारे मियां यौन शोषण मामले में मृतक नाबालिग बच्ची बालिका गृह में रह रही थी. पुलिस के मुताबिक, उसने कुछ दिनों पहले नींद की गोलियां खा ली थीं. इसके बाद उसे संदिग्ध परिस्थितियों में हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया. मामले को लेकर कलेक्टर अविनाश लवानिया ने न्यायायिक जांच के आदेश दे दिए थे. पूरे मामले में कमला नगर थाना पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी. जांच के बाद बालिका गृह संरक्षण की अधीक्षिका एंटोनिया कुजूर इक्का को हटा दिया गया और नई अधीक्षिका योगिता मुकाती को नियुक्त किया गया है.
ये है पूरा मामला
नाबालिग की मौत के बाद पुलिस की निगरानी में उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. इस केस में गौर करने वाली ये है कि नाबालिग इस केस की न तो आरोपी थी और न ही अपराधी. वह केवल फरियादी थी. पुलिस नाबालिग के शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे श्मशान ले गई, जबकि मर्चुरी में पीड़िता के चाचा और पिता ने शव घर ले जाने की जिद की. लेकिन, पुलिस नहीं मानी.