शिवराज भोपाल में विजयाराजे की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम में शामिल हुए.
Bhopal : साल 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Vijya raje scindia) के साथ कांग्रेस के 36 विधायक विरोधी दल में शामिल हो गए थे. जिसके बाद तत्कालीन द्वारका प्रसाद मिश्रा की कांग्रेस सरकार गिर गई थी और पहली बार एमपी में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी.
राजमाता की पुण्यतिथि पर शिवराज प्रदेश मुख्यालय में हुए बीजेपी महिला मोर्चा के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. चौहान ने राजमाता पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से इमरजेंसी के दौरान किए गए अत्याचारों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा आपातकाल में जब कई लोगों ने समर्पण कर दिया तब राजमाता डटकर खड़ी हो गईं. महलों में रहने वालीं जेल भेज दी गईं.उन्हें सामान्य कैदियों की तरह रखा गया लेकिन राजमाता ने हार नहीं मानी.
एक पार्टी में पूरा सिंधिया परिवार
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने से पहले तक सिंधिया परिवार दो अलग-अलग पार्टियों में बंटा हुआ था. ज्योतिरादित्य कांग्रेस में थे तो वहीं दूसरी तरफ सिंधिया परिवार की ही यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी में थीं. हालांकि राजनीतिक तौर पर यह बंटवारा अतीत में भी रहा है. विजयाराजे सिंधिया जनसंघ में थीं और आखिरी वक्त तक बीजेपी में ही रहीं. वहीं दूसरी तरफ उनके बेटे माधवराव सिंधिया को कांग्रेस रास आई. बाद में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस में ही शामिल रहे. बीते साल मार्च में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. तब से पूरा सिंधिया परिवार एक ही पार्टी में है.
क्या है सरकार गिराने का इतिहास ?
साल 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के साथ कांग्रेस के 36 विधायक विरोधी दल में शामिल हो गए थे. जिसके बाद तत्कालीन द्वारका प्रसाद मिश्रा की कांग्रेस सरकार गिर गई थी और पहली बार एमपी में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. ठीक इसी तरह साल 2020 में उनके पौत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे और कांग्रेस की कमल नाथ सरकार गिर गयी. उसके बाद शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने.