देश के कई राज्यों में जहरीली शराब से मौतों के बाद भी क्यों नहीं सतर्क हो रहीं सरकारें. (सांकेतिक तस्वीर)
Poisonous liquor : हर साल सैकड़ों की संख्या में लोग जहरीली शराब पीने से मर जाते हैं और इतने ही आंखों की रोशनी खो बैठते हैं. सवाल है कि आखिर क्यों राज्यों की सरकारें जहरीली और अवैध शराब के कारोबार (Illegal Liquor Business), उसकी तस्करी पर रोक नहीं लगा पातीं?
भोपाल. मध्य प्रदेश के मुरैना, उज्जैन, रतलाम, यूपी के बुलंदशहर, सहारनपुर, राजस्थान के भरतपुर में जहरीली शराब के तांडव और मौतों पर कोहराम को भूल भी नहीं पाए थे कि शुक्रवार को राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara) के एक गांव में जहरीली शराब (Poisonous liquor) पीने से 4 लोगों की मौत और कई के बीमार हो जाने की खबर ने दिल दहला दिया है. देश का कमोबेश हर राज्य जहरीली शराब के कारोबार की चपेट में हैं. हर साल सैकड़ों की संख्या में लोग जहरीली शराब पीने से मर जाते हैं और इतने ही आंखों की रोशनी खो बैठते हैं. सवाल है कि आखिर क्यों राज्यों की सरकारें जहरीली और अवैध शराब के कारोबार, उसकी तस्करी पर रोक नहीं लगा पातीं?
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब जहरीली शराब से मौतें हुई हों, इसका सिलसिला लगातार जारी है. भीलवाड़ा जिले के कंवलियास गांव में 7 और अमरगढ़ गांव में 4 लोग मर चुके हैं. अभी साल का जनवरी महीना गुजरा भी नहीं है, कि देश के अलग-अलग राज्यों एक के बाद एक जहरीली शराब से मौतों की घटनाओं ने हिलाकर रख दिया है. यूपी के बुलंदशहर में जहरीली शराब के सेवन से 4, राजस्थान के भरतपुर में 11 और मध्यप्रदेश के मुरैना में 28 लोग जान गंवा चुके हैं.
हर साल हो जाती हैं सैकड़ों मौतें
आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में ही पिछले कुछ महीनों में मुरैना जिले में 28, उज्जैन में 16 और रतलाम में करीब 11 लोग जहरीली शराब पीकर मौत को गले लगा चुके हैं. एक तथ्य पढ़कर आप चौंक जाएंगे कि 2019 अकेले फरवरी महीने में यूपी और उत्तराखंड के चार जिलों में 112 लोगों की मौत हुई थी. इनमें सबसे ज्यादा 55 मौतें सहारनपुर में, कुशीनगर में 10, मेरठ में 18 और उत्तराखंड के रुड़की में 32 लोगों की मौत हुई थी. इसी महीने में असम में जहरीली शराब पीने से करीब 200 लोग मरे थे. अगस्त 2020 में जब पूरा देश कोरोना की महामारी के संकट से जूझ रहा था, तब पंजाब में करीब 111 लोगों ने मेथेनाल से बनी जहरीली शराब पीने के बाद तड़प-तड़प कर दम तोड़ा था. कोरोना संकट के दौरान ही नवंबर 2020 में हरियाणा के सोनीपत में 28 मौतों को भी अभी तक कोई नहीं भूला है.
आप किसी भी राज्य में जहरीली शराब से हुई मौतों की पड़ताल करें तो पाएंगे, कि इनमें मरने वाले गांवों के मजदूर थे, जो सस्ती शराब के चक्कर में गांवों में ही धधकती भट्टियों में बनने वाली शराब या पड़ोसी राज्यों से लाकर अवैध रूप से बेची जा रही शराब खरीद लेते हैं और फिर अपनी जान से खिलवाड़ करते हैं. झाबुआ में जब बड़ी संख्या में जहरीली शराब से लोग मरे, तो जांच कमेटी ने दलील दी कि शराब दुकानें बहुत दूर हैं, इसलिए अवैध शराब कारोबारी सक्रिय हैं, जिनके हाथों में ये लोग शिकार हुए. भीलवाड़ा में भी गुरुवार की रात लोग हथगढ़ शराब पीने के कारण मरे.
यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, असम में जहरीली शराब से मौतों की हर घटना के बाद सरकार एकदम से एक्शन मोड में आती है. पुलिस-प्रशासन के अफसर तात्कालिक रूप से हटा दिए जाते हैं. शराब भट्ठियों की धरपकड़ और छापेमारी शुरू होती है. कुछ आरोपी गिरफ्तार किए जाते हैं, कड़े कानूनों की दिशा में कुछ कदम उठाने और सख्ती की बात की जाती है, लेकिन समय बीतने के साथ फिर अवैध शराब का खेल जस का तस शुरू हो जाता है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि हर जिले, हर थाने, हर हल्के के पुलिस और प्रशासन से जुड़े अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक सबको पता रहता है, कि कौन कहां शराब की भट्ठी लगा रहा है, कौन बिकवा रहा है, लेकिन कार्रवाई तब तक नहीं होती, जब तक कोई बड़ी घटना नहीं हो जाती.
यह आरोप कई बार सच्चाई बनकर सामने आ चुके हैं कि हर जगह माफिया स्थानीय नेताओं, पुलिस, प्रशासन और आबकारी अफसरों के गठजोड़ की वजह से ही अवैध शराब की बिक्री का धंधा फलता-फूलता है. अवैध शराब कहीं देशी के नाम पर बेची जाती है, तो कुछ और तरीकों से. पानी के इस धंधे में पैसा भी पानी की तरह बहता है. सवाल यही है कि जिनके कंधों पर शराब भट्टियां नष्ट करने, अवैध शराब बिक्री रोकने की जिम्मेदारी है, अगर वही शह देंगे तो फिर यह धंधा खत्म कैसे होगा?
सरकारें जब तक अपने सिस्टम में लगे घुन नहीं पहचानेगी, तब तक सब ऐसे ही चलता रहेगा, दोबारा ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए मैदानी अमले को कड़ा संदेश देने की जरूरत है, जैसा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना में हुए जहरीली शराब कांड के बाद तत्कालीन कलेक्टर और कमिश्नर को हटा कर दिया है. आबकारी अमले पर वैसी कार्रवाई नहीं हुई, जैसी अपेक्षित थी. इसी तरह जहरीली यूपी में जहरीली शराब जहरीली शराब पीने से मौत की घटनाओं में आबकारी ऐक्ट की धारा 60 ‘क’ के तहत मुकदमा दर्ज करने और कानून में मृत्युदंड देने तक का प्रावधान किया गया है.
न्यूज-18 पहले भी जहरीली शराब की घटनाओं के बाद सचेत करता रहा है, और अभी भी कर रहा है कि अगर आम जनता इस तरह के मामलों को रोकने के लिये सरकारों का मुंह ताकेगी तो ताकती ही रह जायेगी. क्योंकि जहरीली शराब का कहर रोकने में सिस्टम फेल रहा है, इसलिए इस तरह के जानलेवा हादसे रोकने के लिये आम आदमी को खुद ही सावधान होना होगा. शराब पीना आप का शौक, खुशी मनाने या गम मिटाने का साधन हो सकता है, लेकिन इसके लिये अपनी जान को को तो सांसत में ना डालें. सस्ते के झांसे में आकर अपनी जान और अपने परिवार के साथ खिलवाड़ ना करें. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)