लाखन सिंह के हाथ और नाक डकैत छोटे सिंह ने काट दिये थे.
Bhind : 1979 में जब लाखन सिंह (Lakhan singh) मल्लपुरा गांव से अपने गांव तकपुरा जा रहे थे तभी डकैत छोटे सिंह (Chhote singh) ने अपने आधा दर्जन साथियों के साथ उन्हें घेर लिया.उसके बाद डकैतों ने उनकी घंटों बेरहमी से पिटाई की और फिर तलवार से उनके दोनों हाथ और नाक काट कर छोड़ दिया.
भिंड के तकपुरा गांव में रहने वाले लाखन सिंह पुत्र नवल सिंह के दोनों हाथ वर्ष 1979 में डकैत छोटे सिंह ने काट दिए थे. छोटे सिंह ने उनकी नाक भी काट दी थी, जिससे वह जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए. उस समय लाखन की उम्र महज 21 साल थी. दस्यु पीड़ित लाखन को शासन ने महज पांच सौ रुपये पेंशन दी. लेकिन वो भी 8 साल पहले बंद हो गई. पीड़ित आर्थिक मदद के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहा है. पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह दस्यु पीड़ित लाखन सिंह की दर्दभरी कहानी को मेहगांव के ब्रिटिश कालीन थाने में बनाये जा रहे संग्रहालय में बताने की तैयारी में हैं.
ये है दस्यु के आतंक की दास्तान
दस्यु पीड़ित लाखन सिंह के दोनों हाथ नहीं हैं. इनकी इस हालत का जिम्मेदार दस्यु छोटे सिंह है.लाखन सिंह की डकैत छोटे सिंह से कोई दुश्मनी नहीं थी. बल्कि लाखन के बहनोई का डकैत से विवाद चल रहा था. 1979 में जब लाखन मल्लपुरा गांव से अपने गांव तकपुरा जा रहे थे तभी डकैत छोटे सिंह ने अपने आधा दर्जन साथियों के साथ उन्हें घेर लिया.उसके बाद डकैतों ने उनकी घंटों बेरहमी से पिटाई की और फिर तलवार से उनके दोनों हाथ और नाक काट कर छोड़ दिया. तब से वह अपाहिज की जिंदगी बिता रहे हैं.लाखन सिंह के अनुसार कुछ समय बाद ही डकैत छोटे सिंह मारा गया.लेकिन शासन ने उसका नाम बड़े या सूचीबद्ध डकैतों में शामिल नहीं किया.न पेंशन न नौकरी
वर्ष 1984 में लाखन सिंह को तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के सहयोग से पेंशन मिलना शुरू हुई थी. लेकिन 8 साल पहले वह बंद कर दी गई. ऐसे में अब लाखन सिंह की गुजर बसर मुश्किल हो गई है. वह अपनी पेंशन फिर से चालू कराने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं. लाखन सिंह अपने भाई भतीजों के साथ रह रहे हैं. उनके हिस्से में महज डेढ़ बीघा जमीन है. ऐसे में इतनी कम जमीन से उनकी गुजर बसर बेहद ही मुश्किल हो रही है.हालात यह है कि लाखन सिंह अब आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है.
ऐसे सामने आयी कहानी
भिंड में एक डकैत संग्रहालय बनाया जा रहा है.उसमें प्रदर्शित करने के लिए पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह दस्यु पीड़ितों की कहानी एकत्रित कर रहे हैं. इसी सिलसिले में उनकी मुलाकात लाखन सिंह से हुई और तब लाखन सिंह ने अपनी कहानी उन्हें बयां की. साथ ही अपनी पेंशन बंद होने की पीड़ा भी बताई.पुलिस अधीक्षक लाखन की पेंशन शुरू कराने के प्रयास में जुट गए हैं.
अंजाम से डरें अपराधी
बहरहाल पुलिस अधीक्षक इस संग्रहालय के माध्यम से लोगों को बताना चाहते हैं कि अपराधी अपराध करने से पहले सौ बार सोचें कि उसका अंजाम आखिर क्या होता है.