खास बात ये है कि यहां केवल ये मजदूरी करने नहीं आए हैं बल्कि इन्होंने मन्दिर का जीर्णोद्धार करने के लिए एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी से बकायदा एक लाख रुपये का समूह लोन लिया है. लोन लेना इनकी मजबूरी बन गया था क्योंकि जर्जर हो चुके इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए कोई इनकी मदद नहीं कर रहा था.