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भोपालएक मिनट पहले
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फाइल फोटो।
वर्तमान समय में रैगिंग के कारण बहुत से होनहार बच्चे, जो कि भविष्य के उज्जवल सपने लेकर विश्वविद्यालय या काॅलेज में प्रवेश करते है, किंतु रैगिंग की प्रताड़ना के परिणामस्वरूप अपना जीवन समाप्त कर लेते है। जिससे उन बच्चों के साथ उसके परिवार के सपने भी समाप्त हो जाते है।
यह टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने आरकेडीएफ कालेज में रैगिंग की शिकार छात्रा अनिता शर्मा की आत्महत्या के मामले में दोषी चार लड़कियों निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी को पांच साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई है।
न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया के फैसला सुनाये जाने के तुरंत बाद चारों लड़कियों को हिरासत में लेकर केंद्रीय जेल भेज दिया गया। इस मामले में सरकारी वकील मोहम्मद खालिद कुरैशी ने पैरवी की। राजधानी में यह पहली बार है जब रैगिंग के मामले में चार छात्राओं को एक साथ दोषी मानते हुए उन्हें सजा सुनाई गई है l अदालत ने सबूतों की कमी के चलते आरोपी शिक्षक मनीष को बरी कर दिया।
मामला एक नजर में
6 अगस्त 2013 की रात आरकेडीएफ कॉलेज में बी-फार्मा सेकंड ईयर की छात्रा अनीता ने डेढ़ साल से चल रही रैगिंग की प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। घटना के वक्त घर में सिर्फ उसकी सात साल की भांजी थी। कमला नगर पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला था। जिसमें उसने कॉलेज की चार सीनियर छात्राओं पर रैगिंग का आरोप लगाते हुए खुदकुशी करने की बात लिखी थी। अनीता ने कॉलेज के शिक्षक मनीष को रैगिंग वाली बात बताई तो मनीष ने कार्यवाही करने की बजाय अनीता को चुप रहने की सलाह दे दी। अनीता जीवन विहार सोसायटी के फ्लैट नंबर 611 में रहती थी। उसके पिता मुंबई की एक निजी कंपनी में लाइजनिंग ऑफिसर थे। अनीता ने घटना के पहले अपनी बड़ी बहन सरिता को भी चार छात्राओं द्वारा रैगिंग लेने की बात बताई थी।
न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने फैसले में लिखा ……….
अदालत ने फैसले में लिखा है कि रैगिंग शाब्दिक अर्थ होता है डांटना या सताना। विश्वविद्यालय के छात्रों में कनिष्ठ छात्रों से आत्मीयता बढ़ाने के लिये इसे शुरू किया गया था लेकिन धीरे धीरे रैगिंग का अर्थ बदलने लगा और इसने वर्तमान में आंतक का रूप धारण कर लिया है। विद्यार्थी किसी कालेज में प्रवेश पाने को लेकर इतने चितिंत नहीं होते है जितने कि प्रवेश मिलने पर रैगिंग का सामना करने को लेकर। अधिकांश मामलों में पीड़ित पहल नहीं करते है और दोषी छात्रों के खिलाफ मामला भी दर्ज नहीं कराते है। वर्तमान समय में रैगिंग के कारण बहुत से होनहार बच्चे जो कि भविष्य के उज्जवल सपने लेकर विश्वविद्यालय या काॅलेज में प्रवेश करते है किंतु रैगिंग के प्रताड़ना के परिणामस्वरूप अपना जीवन समाप्त कर लेते है जिससे उक्त बच्चें के साथ उसके परिवार के सपने भी समाप्त हो जाते है । न्यायाधीश ने लिखा कि वर्तमान में बढती हुए रैगिंग की घटनाओं के परिणाम स्वरूप दंड इतना होना चाहिए कि अन्य लोगों को ऐसा कृत्य करने के पूर्व उसका परिणाम को सोचकर भय उत्पन्न हो तथा कोई व्यक्ति जो अपने भविष्य के सपनों को लेकर किसी विधालय या महाविधालय में प्रवेश करता है तो उन सपनों को छोड़कर आत्महत्या करने के लिये प्रेरित न हो।
अनिता का सुसाइड नोट
रैगिंग के चलते आत्महत्या कर रहीं हूं, मुझे पिंक सूट पहना कर जलाना…….अनिता ने अपने माता पिता को संबोधित करते हुए सोसाइड नोट में लिखा था कि ‘मॉम एंड डैड आई लव यू. आप मुझे मिस मत करना. ब्रदर सबसे ज्यादा तूं रोने वाला है, बी कॉज तेरी बेस्ट फेंड्र जा रही है. मैं न गंदी बन सकती हूं, न स्ट्रांग. मुझे पिंक सूट पहना कर जलाना.’ पापा मैं जानती हूं कि मैं आपकी फेवरेट रही हूं. चाहती थी कि पढ़ लिखकर खूब पैसा कमाऊं और एक बड़ा घर बनवाऊं. ‘मैं अनीता शर्मा आरकेडीएफ कॉलेज में बी-फार्मा सेकंड ईयर की छात्रा हूं. जब से मैं कॉलेज आई, तभी से मेरे साथ रैगिंग हो रही है. ये चारों लड़कियां बहुत गंदी हैं. मैंने इन्हें एक साल तक कैसे झेला, ये मैं ही जानती हूं. मुझसे इन्होंने मिड सैम की कॉपी तक लिखवाई. उनकी शिकायत करने पर मनीष सर ने मुझे कहा था कि कॉलेज में रहने के लिए सीनियर्स की बात माननी पड़ती है.’
(कीर्ति गुप्ता की रिपोर्ट)