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- Uma Bharti Liquor Prohibition Drive Strategy | Madhya Pradesh Ex CM Preparing To Close Tikamgarh Dunda Shop First
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भोपालकुछ ही क्षण पहले
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पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती ने शराबबंदी काे लेकर अभियान चलाने का ऐलान किया तो सरकार बैकफुट पर आ गई। उमाभारती सड़क पर उतरे, उससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर रतलाम में जनजागरण अभियान शुरु कर दिया।
- सरकार को डाला सांसत में, CM शिवराज ने 4 फरवरी को रतलाम में नशाबंदी के लिए जनजागरण अभियान का ऐलान किया
शिवराज सरकार शराब दुकानों की तादात बढ़ाने पर हां-ना करती रह गई लेकिन बीजेपी की फायर ब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। वे 8 मार्च से एमपी में शराबबंंदी के लिए अभियान का आगाज कर देंगी। उनके ऐलान से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घिरते नजर आ रहे हैं। दरअसल, शिवराज जानते हैं कि उमाभारती को हमेशा फ्रंट फुट पर खेलने की आदत है।
यही कारण है कि शराबबंदी के भारती के बाद बयान के बाद मुख्यमंत्री ने भी 4 फरवरी को रतलाम में नशाबंदी के खिलाफ अभियान चलाने की शुरुआत कर दी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से मुठ्ठी बंधवाई और दोनों हाथ उठवाकर नशाबंदी के लिए संकल्प दिला दिया।
जानकारों का मानना है कि नगरीय निकाय चुनाव से पहले उमाभारती के अभियान का असर बीजेपी को नुकसान पहुंंचा सकता है। उमाभारती शराबबंदी अभियान को बड़े आंदोलन की शक्ल देने की तैयारी में हैं। वे इसकी शुरुआत टीकमगढ़ से करने जा रही हैं। सबसे पहले अपने गृह ग्राम डूंडा की शराब दुकान को बंद कराने की रणनीति बनाई है। 500 की आबादी वाले इस गांव शराब दुंकान खोले जाने का महिलाए विरोध कर चुकी हैं।
उमाभारती कह चुकी हैं कि परिवार के मुखिया की शराबखोरी की आदत के कारण महिलाएं ज्यादा परेशान रहती है और उन सबका मुझे शराब दुकानें बंद कराने में सहयोग मिलेगा। इस तैयारी की जानकारी इंटेलीजेंस के माध्यम से सरकार तक पहुंच गई है।
उमाभारती ने कहा था कि अगले कुछ दिनों में अभियान का रोडमैप सार्वजनिक करेंगी। अब सरकार सांसत में इसलिए है क्योंकि उमाभारती की छवि एक जिद्दी और धुनी नेता की है। वे खुद इस बात को मानती हैं कि जो ठान लेती हैं, वह करके रहती हैं।
जिस तरह से उमाभारती अपने तेवर दिखा रही हें, उससे साफ है कि कांग्रेस के साथ बीजेपी के अंदर भी शराब की नई सियासत पर चर्चा छिड़ गई है। आर्थिक संकट से जूझ रही राज्य सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही थी लेकिन राजनीतिक बखेड़ा खड़ा होने के कारण उसे बैकफुट पर जाना पड़ा। कोरोना के बहाने सरकार दुकानें बढ़ाने वाली थीं लेकिन अब बैकफुट पर है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में उमा भारती अकेली राजनेता नहीं हैं जिन्होंने शराबबंदी की मांग की है। यदाकदा इसे लेकर आवाजें उठती रही हैं। कभी सामाजिक संगठनों की तरफ से मांग उठती है तो कभी राजनीतिक दलों के भीतर ही इसे लेकर बातें होती रहती हैं। शराब बंदी की मांग के बीच सरकार आज तक इस सवाल का जवाब नहीं खोज पाई कि यदि शराब को पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया तो इससे मिलने वाले राजस्व की भरपाई कहां से होगी?
चार साल पहले भी शिवराज ने शुरु किया था नशाबंदी अभियान
‘जब गाँव-गाँव में नशामुक्ति समितियाँ बनेंगी व लोगों को जागरूक करेंगी तभी हमारा यह विशाल जनअभियान सफल होगा।’: मुख्यमंत्री @ChouhanShivraj
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) April 9, 2017
ऐसा पहली बार नहीं है कि प्रदेश में शराबबंदी को लेकर अभियान शुरु किया जा रहा है। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आपने तीसरे कार्यकाल में वर्ष 2017 में जनजागण अभियान चलाया था। पहले फेस में नर्मदा के तट से 5 किलोमीटर तक करीब 58 शराब दुकानें बंद कराई गई थीं। तब शिवराज ने कहा था कि प्रदेश सरकार पूर्ण शराबबंदी की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी। उस समय नई आबकारी नीति के तहत नशा करके ड्राइविंग करने पर प्रथम बार 6 माह तथा दूसरी बार 2 वर्ष हेतु ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने का प्रावधान भी किया गया था।
फिर भी बढ़ गई दुकानें और सरकार की कमाई
2019-20 8 हजार 521 करोड़ रुपए
2021-21 10 हजार 318 करोड़ रुपए
(प्रदेश में अब 3605 दुकानें हैं, दस साल पहले यह 2770 ही थीं )