भास्कर एक्सप्लेनर: किसानों के 3 घंटे के चक्काजाम में क्या-क्या होगा, किसे मिलेगी छूट, जानें सबकुछ

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2 घंटे पहलेलेखक: जयदेव सिंह

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कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान आज दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में चक्काजाम करेंगे। दोपहर 12 से 3 के बीच होने वाले इस चक्काजाम के दौरान एंबुलेंस और स्कूल बस जैसी जरूरी सर्विसेस को छूट रहेगी।

26 जनवरी से आंदोलन कर रहे किसानों ने ये चक्काजाम क्यों बुलाया है? आंदोलन में शामिल कौन से संगठन इसमें शामिल हैं? चक्काजाम के दौरान क्या होगा? पुलिस की क्या तैयारी है? आइये जानते हैं…

आज का चक्काजाम किसने बुलाया है?

चक्काजाम आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों द्वारा बनाए गए संयुक्त किसान मोर्चा ने ये चक्काजाम बुलाया है। शनिवार दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्काजाम रहेगा। इस दौरान गाड़ियों को चलने नहीं दिया जाएगा। सभी नेशनल और स्टेट हाइवे को जाम किया जाएगा।

चक्काजाम क्यों बुलाया गया है?

एक फरवरी को पेश किए बजट में किसानों की मांग की अनदेखी करने और दिल्ली की सीमा पर हो रहे आंदोलन की जगहों पर इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ ये चक्काजाम हो रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के बाद से कई किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए हैं। दिल्‍ली बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है। इन सबके खिलाफ ये जाम होगा।

चक्काजाम देश के किन इलाकों में होगा?

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि दिल्ली में हम कोई चक्काजाम नहीं कर रहे हैं। वहां, राजा ने खुद किलेबंदी कर रखी है। वहां हमें चक्काजाम करने की जरूरत ही नहीं है। इसके अलावा यूपी और उत्तराखंड में भी चक्काजाम नहीं होगा। हालांकि, टिकैत ने यहां चक्काजाम नहीं करने का कारण नहीं बताया है। इन तीन राज्यों को छोड़कर देशभर के स्टेट और नेशनल हाईवे को जाम किया जाएगा।

इस चक्काजाम से किसान क्या संदेश देना चाहते हैं?

इस चक्‍काजाम से किसान अपनी एकजुटता दिखाना चाहते हैं। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद किसानों के लिए ये प्रदर्शन बहुत अहम हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सिंघु और टिकरी बॉर्डर से इस पूरे चक्‍काजाम को कोऑर्डिनेट करेंगे।

चक्काजाम के दौरान क्या होगा?

टिकैत के मुताबिक 12 से 3 बजे तक चलने वाले चक्काजाम के दौरान जिन गाड़ियों को रोका जाएगा, उन्हें खाना और पानी दिया जाएगा। साथ ही बताया जाएगा कि सरकार उनके साथ क्या कर रही है। इस दौरान इमरजेंसी और जरूरी सर्विसेस जैसे एम्बुलेंस, स्कूल बस आदि को नहीं रोका जाएगा। दोपहर 3 बजे चक्‍काजाम खत्‍म होने के बाद एक साथ एक मिनट के लिए गाड़‍ियों के हॉर्न बजाए जाएंगे।

चक्काजाम को देखते हुए पुलिस की क्या तैयारी है?

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के सभी बॉर्डर पर सिक्योरिटी बढ़ा दी है। मूवमेंट रोकने के लिए पुलिस ने पहले ही मल्टी लेयर बैरिकेडिंग की हुई है। हरियाणा पुलिस ने भी सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए हैं।

आखिर किसानों की मांगें क्या हैं? सरकार क्या कह रही है उन पर?

आंदोलन कर रहे किसानों की 4 मांगें हैं। इसे लेकर ही पिछले 72 दिन से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। ये मांगे हैं…

1. खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द हों। किसानों के मुताबिक इससे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।

सरकार का रुखः कानून वापस नहीं ले सकते। संशोधन कर सकते हैं।

2. MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके।

सरकार का रुखः आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं, तो आश्वासन दे सकते हैं।

3. नया बिजली कानून न आए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी।

सरकार का रुखः बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा। नया कानून नहीं आएगा।

4. पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस हो।

सरकार का रुखः पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी। सरकार इस प्रावधान को हटाने को राजी है।

खेती से जुड़े तीनों कानून क्या हैं…

1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (एपीएमसी) से बाहर फसल बेच सकते हैं। ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा।

2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट करके पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं।

3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है। केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी।





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