जानिए कैसे होती है गिद्धों की गिनती? हाल ही में एमपी सरकार ने किया है यह काम 

जानिए कैसे होती है गिद्धों की गिनती? हाल ही में एमपी सरकार ने किया है यह काम 


मध्य प्रदेश में गिद्धों की गिनती का आखिरी चरण पूरा हो चुका है.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गिद्धों (Vultures) की गिनती का अंतिम चरण रविवार को पूरा किया गया. र्योदय (Sunrise) से शुरू हुई गिनती का काम होकर दोपहर 3 बजे तक चला. प्रदेश के सभी 16 वृत्त और 8 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्ध गणना का काम वन विभाग (Forest Department) के अधिकारी-कर्मचारियों ने किया.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 7, 2021, 11:53 PM IST

भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गिद्धों (Vultures) की गिनती का अंतिम चरण रविवार को पूरा कर लिया गया. रविवार को सूर्योदय (Sunrise) से शुरू हुई गिनती का काम होकर दोपहर 3 बजे तक चला. प्रदेश के सभी 16 वृत्त और 8 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्ध गणना का काम वन विभाग (Forest Department) के अधिकारी-कर्मचारी, डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. डब्ल्यू. डब्ल्यू.आई. के प्रतिभागियों के अलावा स्वयं-सेवक और फोटोग्राफर द्वारा साथ मिलकर किया गया.

गणना के बाद डेटा एनालिसिस का काम वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल में होगा और फिर उसके बाद गिद्धों की गिनती के ताज़ा आंकड़े जारी किए जाएंगे. एमपी में गिद्धों की गिनती की शुरुआत साल 2018 से की गई थी. इसमें 7 हजार 28 गिद्धों का आंकलन किया गया था. साल 2019 में यह संख्या बढ़कर 8 हजार 398 हो गयी थी. गिद्ध गणना का काम दो चरणों में किया जाता है. पहला चरण अक्टूबर-नवम्बर में और दूसरा चरण जनवरी-फरवरी में आयोजित किया जाता है. मध्यप्रदेश में कुल 7 प्रजातियों में गिद्ध पाये जाते हैं. इनमें से 4 प्रजाति स्थानीय और 3 प्रजाति प्रवासी हैं, जो सर्दी का मौसम खत्म होते ही वापस चली जाती है.

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कैसे होती है गिनती ?गिद्धों की गिनती पहले चरण में तब की जाती है, जब सभी प्रजाति के गिद्ध घोंसले बनाकर अपने अंडे दे चुके होते हैं या देने की तैयारी में होते हैं. इसी तरह से फरवरी आने तक इन घोंसलों में अंडों से नवजात गिद्ध निकल जाते हैं और वे उड़ने की तैयारी में रहते हैं. इसलिये गिद्धों की गणना करने के लिये शीत ऋतु का अंतिम समय ठीक माना जाता है, ताकि स्थानीय और प्रवासी गिद्धों की सही गणना हो जाये.

इन बातों का रखा जाता है ध्यान
गिद्धों की गिनती में शामिल होने वाले कर्मचारी और स्वयं-सेवक सूर्योदय के तुरंत बाद प्रथम चरण में चयनित गिद्धों के घोंसलों के पास पहुंच जाते हैं और घोंसलों के आसपास बैठे गिद्धों और उनके नवजातों की गिनती करते हैं. इसमें इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है कि आवास-स्थलों पर बैठे हुए गिद्धों को ही गणना में लिया जाये. उड़ते गिद्धों को गणना में नहीं लिया जाता.अंतिम चरण में वन विभाग के इस साल कर्मियों के साथ-साथ पूरे प्रदेश के विभिन्न स्थानों में पक्षी विशेषज्ञ, छात्र, फोटोग्राफर और स्थानीय नागरिक इस गणना में अपनी भूमिका निभाते हैं.








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