प्रेरक कथा: जो लोग दूसरों के सुख के बारे में सोचते हैं, उनकी मदद भगवान भी करते हैं

प्रेरक कथा: जो लोग दूसरों के सुख के बारे में सोचते हैं, उनकी मदद भगवान भी करते हैं


  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Motivational Story About Charity, We Should Help Others, Prerak Katha In Hindi, Life Management Tips About Happiness In Life

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

6 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
  • एक गरीब व्यक्ति से संत ने कहा कि तुम्हारी किस्मत में सिर्फ पांच बोरी अनाज ही है, इसीलिए भगवान तुम्हें थोड़ा-थोड़ा देता है, ताकि तुम्हें जीवनभर अन्न मिल सके

एक लकड़हारा था। वह जंगल से लकड़ियां काटता और गांव के बाजार में बेचकर अपना जीवन चला रहा था। उसे इस काम से सिर्फ इतना ही पैसा मिल पाता था कि वह थोड़े बहुत खाने की व्यवस्था कर सकता था। बहुत परेशानियों में उसका जीवन चल रहा था। इस वजह से वह बहुत दुखी रहता था।

एक दिन लकड़हारे के गांव में एक विद्वान संत पहुंचे। संत के दर्शन करने और उनके प्रवचन सुनने के लिए लोग दूर-दूर से गांव पहुंच रहे थे। गरीब लकड़हारा भी संत से मिलने पहुंच गया। मौका मिलते ही गरीब व्यक्ति ने अपनी परेशानियां संत को बता दीं। उसने संत से कहा कि आप भगवान से पूछिए कि मेरे जीवन में इतनी परेशानियां क्यों हैं? संत ने उससे कहा कि ठीक हैं भगवान से प्रार्थना करूंगा।

कुछ दिन बाद लकड़हार संत के पास फिर से पहुंचा। संत ने उससे कहा कि भाई तुम्हारी किस्मत सिर्फ पांच बोरी अनाज ही है। इसीलिए भगवान तुम्हें थोड़ा-थोड़ा अन्न दे रहा है, ताकि तुम्हें जीवनभर खाना मिलता रहे।

संत की बात सुनकर लकड़हार अपने घर लौट आया। कुछ दिन बाद वह फिर से संत के पास पहुंचा और बोला कि गुरुजी आप भगवान से कहो कि मुझे मेरी किस्मत का सारा अनाज एक साथ दे दे। कम से कम एक दिन मैं भरपेट भोजन करना चाहता हूं। संत ने कहा कि ठीक हैं मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करूंगा।

अगले दिन गरीब लकड़हारे के घर पांच बोरी अनाज पहुंच गई। उसने सोचा कि संत ने मेरे लिए प्रार्थना की है, इसीलिए भगवान ने मुझे इतना अनाज दे दिया है। उसने बहुत सारा खाना बनाया खुद खाया और गांव के गरीब लोगों को बांट दिया। सभी ने उसे दुआएं दीं। अगले दिन उसके घर फिर से पांच बोरी अनाज आ गया। उसने फिर ऐसा ही किया, खुद खाया और दूसरों को खाना खिला दिया।

काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। फिर एक दिन वह संत के पास पहुंचा और पूरी बात बता दी। संत ने उससे कहा कि भाई तुमने अपनी किस्मत का अनाज दूसरों की खिला दिया तो तुम्हारे इस नेक काम से भगवान बहुत प्रसन्न हैं। इसीलि वे तुम्हें अन्य जरूरतमंद लोगों की किस्मत का अनाज भी दे रहे हैं। ताकि तुम उन्हें भरपेट भोजन करा सको।

संत की बात गरीब व्यक्ति को समझ आ गई। इसके बाद उसने दूसरों को खाना खिलाने का सिलसिला जारी रखा।

सीख- इस कथा की सीख यह है कि जो लोग दूसरों के दुख दूर करने के बारे में सोचते हैं। उनकी मदद भगवान भी करते हैं। इसीलिए दान-पुण्य करते रहना चाहिए। दान करने से हमारा जीवन भी बदल सकता है।



Source link